नेपाल के तीसरी बार प्रधानमंत्री बने पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’, राष्ट्रपति बिद्या भंडारी ने किया नियुक्त

नेपाल में रविवार को घटनाओं के एक नाटकीय मोड़ में विपक्षी CPN-UML और अन्य छोटे दलों ने CPN-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को अपना समर्थन दिया है, जो तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। दिन भर के राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच प्रचंड ने विपक्षी CPN-UMLऔर अन्य छोटे दलों के समर्थन से नई सरकार के गठन का दावा पेश किया था। पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले विपक्षी CPN-UML, CPN-माओवादी सेंटर, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक में 'प्रचंड' के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति बनी। संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति बिद्या भंडारी द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त हो रही थी। सूत्रों ने बताया कि प्रचंड सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय गये और सरकार बनाने का दावा पेश किया।

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काठमांडू, पीटीआइ। नेपाल में रविवार को घटनाओं के एक नाटकीय मोड़ में विपक्षी CPN-UML और अन्य छोटे दलों ने CPN-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’  को अपना समर्थन दिया है, जो तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं।  दिन भर के राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच प्रचंड ने विपक्षी CPN-UMLऔर अन्य छोटे दलों के समर्थन से नई सरकार के गठन का दावा पेश किया था। पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले विपक्षी CPN-UML, CPN-माओवादी सेंटर, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक में ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति बनी।

संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत गठबंधन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति बिद्या भंडारी द्वारा दी गई समय सीमा रविवार शाम को समाप्त हो रही थी। सूत्रों ने बताया कि प्रचंड सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) के अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन सहित अन्य शीर्ष नेताओं के साथ राष्ट्रपति कार्यालय गये और सरकार बनाने का दावा पेश किया।

पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें सभी दल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए। प्रस्ताव में 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सदस्यों के समर्थन का दावा किया गया, जिनमें सीपीएन-यूएमएल के 78, सीपीएन-एमसी के 32, आरएसपी के 20, आरपीपी के 14, जेएसपी के 12, जनमत के छह और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि सरकार बनाने का दावा करने वाले पत्र पर 165 सांसदों के हस्ताक्षर थे।

सूत्रों के अनुसार, 68-वर्षीय ‘प्रचंड’ को नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के लिए ‘शीतल निवास’ स्थित राष्ट्रपति कार्यालय में एक प्रस्ताव पंजीकृत किया गया था। उन्होंने बताया कि चूंकि प्रधानमंत्री पद के लिए केवल एक प्रस्ताव राष्ट्रपति कार्यालय में दर्ज किया गया था, ऐसे में राष्ट्रपति ने प्रचंड को नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त कर दिया। प्रचंड को तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है।

ग्यारह दिसंबर, 1954 को पोखरा के निकट कास्की जिले के धिकुरपोखरी में जन्मे प्रचंड करीब 13 साल तक भूमिगत रहे। वह उस वक्त मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए जब सीपीएन-माओवादी ने एक दशक लंबे सशस्त्र विद्रोह का रास्ता त्यागकर। शांतिपूर्ण राजनीति का मार्ग अपनाया. उन्होंने 1996 से 2006 तक एक दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया था, जो अंततः नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ।

इससे पहले ओली के आवास बालकोट पर बैठक आयोजित हुई, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ओली के अलावा प्रचंड तथा अन्य छोटे दलों के नेताओं ने प्रचंड के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति जताई। प्रचंड और ओली के बीच बारी-बारी से (रोटेशन के आधार पर) सरकार का नेतृत्व करने के लिए सहमति बनी है और प्रचंड के पहले प्रधानमंत्री बनाने पर ओली ने अपनी रजामंदी जताई।

सीपीएन-यूएमएल के महासचिव शंकर पोखरेल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा था, ‘‘चूंकि सबसे बड़ी पार्टी के रूप में नेपाली कांग्रेस राष्ट्रपति की ओर से दी गई समय सीमा के भीतर संविधान के अनुच्छेद 76(2) के अनुसार अपने नेतृत्व में सरकार बनाने में विफल रही, इसलिए अब सीपीएन-यूएमएल ने 165 सांसदों के समर्थन से प्रचंड के नेतृत्व में नई सरकार बनाने की पहल की है।”

इससे पहले, आज सुबह प्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-एमसी के बीच सत्ता-साझेदारी पर सहमति न बन पाने के बाद प्रचंड पांच दलों के गठबंधन से बाहर आ गए थे, क्योंकि देउबा ने पांच-वर्षीय कार्यकाल के पूर्वार्द्ध में प्रधानमंत्री बनने की प्रचंड की शर्त खारिज कर दी थी। देउबा और प्रचंड पहले बारी-बारी से नई सरकार का नेतृत्व करने के लिए मौन सहमति पर पहुंचे थे।

माओवादी सूत्रों ने बताया कि रविवार की सुबह प्रचंड के साथ बातचीत के दौरान नेपाली कांग्रेस (नेकां) ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों प्रमुख पदों के लिए दावा किया था, जिसे प्रचंड ने खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप वार्ता विफल हो गई।

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