CBI-ED के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट कल करेगी सुनवाई

नई दिल्ली। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के आरोप और एजेंसियों की शक्तियों पर सुनवाई करेगी। 14 विपक्षी दलों की याचिका पर सुनवाई की अपील के साथ सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि गिरफ्तारी और जमानत की कार्यवाही के लिए दिशानिर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया जाए। बता दें कि सीबीआई और ईडी की कार्रवाई के चलते कई विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। कांग्रेस, आप, राजद समेत कई पार्टियों का कहना है कि केंद्र सरकार इन एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी पार्टियों पर बदले की कार्रवाई कर रही है। विपक्षी दलों की याचिका पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करेगी। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला भी बेंच का हिस्सा होंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा 24 मार्च को तत्काल सुनवाई के लिए संयुक्त याचिका का उल्लेख किया गया था। 2014 के बाद मामलों में भारी उछाल अभिषेक सिंघवी ने याचिका में 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद सीबीआई और ईडी द्वारा दायर मामलों की संख्या में वृद्धि का उल्लेख किया। याचिका में कहा गया है कि 2014 के बाद मामलों में भारी उछाल आया है। हालांकि, सजा की दर चार से पांच प्रतिशत ही है। सिंघवी ने कहा कि हम पूर्व-गिरफ्तारी दिशानिर्देश और गिरफ्तारी के बाद की जमानत के दिशा-निर्देश मांग रहे हैं। गलत कार्रवाई का आरोप याचिका में आरोप लगाया गया है कि विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं और असहमति के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करने वाले अन्य नागरिकों के खिलाफ जबरदस्ती आपराधिक प्रक्रियाओं के उपयोग में खतरनाक वृद्धि हुई है। एक याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया है कि सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों को एक चुनिंदा और लक्षित तरीके से तैनात किया जा रहा है और विपक्ष को घेरा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले 14 राजनीतिक दलों में कांग्रेस, डीएमके, आरजेडी, बीआरएस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी), JMM, जेडी (यू), CPI (एम), CPI, समाजवादी पार्टी, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल हैं। जनता के बीच अपनी जमीनी उपस्थिति देते हुए, याचिका में विपक्षी दलों ने कहा है कि इन 14 राजनीतिक दलों ने मिलकर पिछले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनावों में डाले गए वोटों का 45.19 प्रतिशत और 2019 के आम चुनावों में डाले गए वोटों का 42.5 प्रतिशत मतदान किया। याचिका दायर करने वाली पार्टियों का तर्क है कि 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सत्ता पर काबिज हैं।

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नई दिल्ली। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के आरोप और एजेंसियों की शक्तियों पर सुनवाई करेगी। 14 विपक्षी दलों की याचिका पर सुनवाई की अपील के साथ सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि गिरफ्तारी और जमानत की कार्यवाही के लिए दिशानिर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया जाए।

बता दें कि सीबीआई और ईडी की कार्रवाई के चलते कई विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। कांग्रेस, आप, राजद समेत कई पार्टियों का कहना है कि केंद्र सरकार इन एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी पार्टियों पर बदले की कार्रवाई कर रही है। विपक्षी दलों की याचिका पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करेगी। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला भी बेंच का हिस्सा होंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा 24 मार्च को तत्काल सुनवाई के लिए संयुक्त याचिका का उल्लेख किया गया था।

2014 के बाद मामलों में भारी उछाल

अभिषेक सिंघवी ने याचिका में 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद सीबीआई और ईडी द्वारा दायर मामलों की संख्या में वृद्धि का उल्लेख किया। याचिका में कहा गया है कि 2014 के बाद मामलों में भारी उछाल आया है। हालांकि, सजा की दर चार से पांच प्रतिशत ही है। सिंघवी ने कहा कि हम पूर्व-गिरफ्तारी दिशानिर्देश और गिरफ्तारी के बाद की जमानत के दिशा-निर्देश मांग रहे हैं।

विपक्ष को घेरा जा रहा है

याचिका में आरोप लगाया गया है कि विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं और असहमति के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करने वाले अन्य नागरिकों के खिलाफ जबरदस्ती आपराधिक प्रक्रियाओं के उपयोग में खतरनाक वृद्धि हुई है। एक याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया है कि सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों को एक चुनिंदा और लक्षित तरीके से तैनात किया जा रहा है और विपक्ष को घेरा जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले 14 राजनीतिक दलों में कांग्रेस, डीएमके, आरजेडी, बीआरएस, तृणमूल कांग्रेस, आप, एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी), JMM, जेडी (यू), CPI (एम), CPI, समाजवादी पार्टी, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल हैं। जनता के बीच अपनी जमीनी उपस्थिति देते हुए, याचिका में विपक्षी दलों ने कहा है कि इन 14 राजनीतिक दलों ने मिलकर पिछले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनावों में डाले गए वोटों का 45.19 प्रतिशत और 2019 के आम चुनावों में डाले गए वोटों का 42.5 प्रतिशत मतदान किया। याचिका दायर करने वाली पार्टियों का तर्क है कि 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सत्ता पर काबिज हैं।

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