कमज़ोर मीडिया की टांगें हैं जो किसी गुंडे के हंटर के आगे कांपने लगती हैं, महिला पहलवान नहीं।”
“इंसाफ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी।”
नई दिल्ली। पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ आंदोलन खत्म होने की खबरों का खंडन किया। दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने धरना वापस ले लिया है। वे रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौट गए हैं। इसके बाद साक्षी और बजरंग ने ट्वीट कर इन खबरों का खंडन किया और इसे अफवाह बताया। अब इस मामले में साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान का बयान भी सामने आया है। साक्षी ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात पर भी बात की। पहलवान शनिवार रात गृह मंत्री से मिले थे।
2016 रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी ने कहा- हमने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने यही मांग की कि भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार किया जाए। साक्षी मलिक ने साफ किया कि वह विरोध प्रदर्शन से पीछे नहीं हटी हैं, बस उन्होंने रेलवे में ओएसडी के रूप में अपना काम फिर से शुरू किया है। साक्षी मलिक के साथ बजरंग पुनिया और विनेश फोगट ने भी रेलवे में अपनी ड्यूटी फिर से शुरू कर दी है। मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता तब तक हम विरोध करते रहेंगे। हम पीछे नहीं हटेंगे। उसने (नाबालिग लड़की) कोई FIR वापस नहीं ली है, यह सब फर्जी है।
वहीं, साक्षी के पति और 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता पहलवान सत्यव्रत कादियान ने कहा- न हमने कोई समझौता किया है और न हम पीछे हटेंगे। यह सब फर्जी है, हम इस विरोध को वापस नहीं लेंगे। हम एकजुट रहेंगे और न्याय के लिए विरोध करते रहेंगे। हमें कमजोर करने के लिए फर्जी खबरें फैलाई जा रही हैं। पूरा देश दिल्ली पुलिस के खिलाफ है। आंदोलन से नाम वापस लेने की खबर झूठी है। हम विरोध से पीछे नहीं हटे हैं। हमारा विरोध जारी रहेगा।
वहीं, विनेश फोगाट ने ट्वीट किया, “हमारे मेडलों को 15-15 रुपये के बताने वाले अब हमारी नौकरी के पीछे पड़ गये हैं। हमारी जिंदगी दांव पर लगी हुई है। उसके आगे नौकरी तो बहुत छोटी चीज है। अगर नौकरी इंसाफ के रास्ते में बाधा बनती दिखी, तो उसको त्यागने में हम 10 सेकेंड का वक्त भी नहीं लगाएंगे। नौकरी का डर मत दिखाइए।”
विनेश फोगाट ने आगे लिखा- “महिला पहलवान किस ट्रॉमा से गुज़र रही हैं इस बात का अहसास भी है फर्जी खबर फैलाने वालों को? कमज़ोर मीडिया की टांगें हैं जो किसी गुंडे के हंटर के आगे कांपने लगती हैं, महिला पहलवान नहीं।”
ओलंपियन पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगट उन पहलवानों में शामिल हैं, जिन्होंने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के प्रमुख रहे बृजभूषण शरण सिंह पर एक नाबालिग सहित कई पहलवानों के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया था।
इसके बाद शनिवार रात को साक्षी, बजरंग और विनेश ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस दौरान पहलवानों ने गृह मंत्री से बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग की थी। इसके बाद गृह मंत्री ने पहलवानों से बिना भेदभाव के पूरी जांच का भरोसा दिया था। अमित शाह ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा। पुलिस जांच कर रही है।
निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई की मांग की
बैठक कथित तौर पर रात 11 बजे शुरू हुई और एक घंटे से अधिक समय तक चली. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस दौरान बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, संगीता फोगट और सत्यव्रत कादियान ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई की मांग की। पहलवान 28 मई तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जब दिल्ली पुलिस ने नए संसद भवन की ओर मार्च करने से रोकने के बाद आंदोलन स्थल को साफ कर दिया, क्योंकि नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा था।
दरअसल, 2021 टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट WFI अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ चल रहे आंदोलन का मुख्य चेहरा हैं। यह तीनों रेलवे में अपनी नौकरी पर वापस लौट गए हैं। इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया कि तीनों ने आंदोलन से नाम वापस ले लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में सबसे पहले साक्षी का नाम बताया गया। इसके बाद साक्षी और बजरंग ने ट्वीट कर खबरों का खंडन किया। पहलवानों के ट्वीट और बयान से यह साफ है कि साक्षी, बजरंग और विनेश रेलवे में अपनी नौकरी पर जरूर वापस लौट गए हैं, लेकिन इंसाफ के लिए उनका आंदोलन जारी रहेगा।
पहली बार 18 जनवरी को धरने पर बैठे थे पहलवान
इस आरोप को लेकर पहलवान बजरंग, साक्षी और विनेश सबसे पहले 18 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे। इसके बाद खेल मंत्रालय से कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद पहलवानों ने धरना समाप्त कर दिया था। कोई कार्रवाई न होने का आरोप लगाते हुए पहलवान 23 अप्रैल को दोबारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे। पहलवान और बृजभूषण दोनों तरफ से बयानबाजी का दौर चालू रहा। जहां एक तरफ बृजभूषण ने कहा कि आरोप साबित होने पर वह खुद को फांसी लगा लेंगे, तो वहीं पहलवान उनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे।