NDA के खिलाफ INDIA का संकल्प

‘सबका साथ, सबका विकास’अन्यायपूर्ण रहा है। NDA सरकार ने मीडिया तंत्र के सहारे अपनी छवि चमकाई है। बहरहाल, विपक्षी दलों के इन आरोपों से बीजेपी नेतृत्व वाली NDA को चुनौती मिल रही है। NDA सरकार के खिलाफ मतदाओं के मन को बदलने की चुनौती, विपक्षी दल के नए गठबंधन इंडिया को है। मन-मस्तिष्क में इन बातों को लेकर मतदाताओं का बीजेपी से कितना तिव्र विरोध है। और चुनाव के समय संकल्पित होकर बीजेपी के खिलाफ कितने मतदाता अपना मत देते है। यही बातें तय करेंगी 2024 के संसदीय चुनाव का परिणाम और यही होगी NDA के खिलाफ इंडिया के संकल्प की परिणति।

DrashtaNews
रविकांत सिंह (संपादक -‘द्रष्टा’)

भारतीय लोकतांत्रिक विचारों में बंटे राजनीति विपक्षी दलों ने बेंगलुरु में दो दिवसीय बैठक की। विपक्षी दलों ने 18 जुलाई मंगलवार के दिन बैठक सम्पन्न कर ली। कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में गठित UPA ने इस बैठक की अगुवाई की। बैठक के दौरान निमंत्रित सभी दलों ने 17 जुलाई को औपचारिक रात्रिभोज तक एजेंडे को दुरुस्त कर लिया था।

बैठक के दूसरे दिन 18 जुलाई मंगलवार को उपस्थित नेताओं ने एक रणनीति के साथ अपनी शर्तें और बातें कहीं हैं। बैठक खत्म होने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने एकजूट होकर संकल्प लिया है। और विपक्षी दलों ने अपने नये गठबंधन का नाम INDIA (इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस) प्रस्तावित कर दिया है। अब अगली बैठक मुंबई में होगी, जिसमें समन्वय समिति के सदस्यों के नाम के साथ कई अहम फैसले लिए जाएंगे।

विपक्षी दलों ने अपने साझे बयान में कहा कि ‘‘हम, भारत के 26 प्रगतिशील दलों के नेता, संविधान में निहित भारत के विचार की रक्षा के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हैं। हमारे गणतंत्र के चरित्र पर भाजपा द्वारा व्यवस्थित तरीके से गंभीर हमला किया जा रहा है। संघवाद को व्यवस्थित रूप से और खतरनाक रूप से कमजोर किया जा रहा है।

हम संविधान और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों पर जारी हमले का मुकाबला करने और उनका सामना करने के लिए दृढ़ हैं। हम राष्ट्र के सामने एक वैकल्पिक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक एजेंडा पेश करने का संकल्प लेते हैं। हम शासन के सार और शैली दोनों को बदलने का वादा करते हैं जो अधिक परामर्शात्मक, लोकतांत्रिक और सहभागी होगा। हम अपने साथी भारतीयों को निशाना बनाने, प्रताड़ित करने और दबाने के लिए भाजपा की प्रणालीगत साजिश से लड़ने का संकल्प लेते हैं।‘’

विपक्षी दलों के साझे बयान से स्पष्ट होता है कि उनकी दो दिवसीय बैठक संविधान की रक्षा को चुनावी मुद्दा बनाना है। 2014 से ही बीजेपी नेतृत्व वाली NDA सरकार पर विपक्षी दल संविधान के उलंघन का आरोप लगाते रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व वाली UPA और आमआदमी पार्टी पहले से ही इन मुद्दों पर बीजेपी के खिलाफ एकजूट थे।

मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी ने भी दिल्ली में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) की बैठक बुला रखी थी। बैठक में बीजेपी समेत 38 दल शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के नेताओं ने भी शर्तो के साथ एकजूटता का परिचय दिया है। पीएम मोदी ने इस दौरान एनडीए का मतलब भी समझाया।

एनडीए में N का मतलब न्यू इंडिया है, D का मतलब है विकसित राष्ट्र ओर A का अर्थ है लोगों की आकांक्षा। आज युवा, महिलाएं, मध्यम वर्ग, दलित और वंचितों को NDA पर भरोसा है। मोदी ने विपक्षी दलों पर तंज कसते हुए कहा कि देश में राजनीतिक गठबंधन का पुराना इतिहास है, लेकिन नकारात्मक विचार से बने गठबंधन सफल नहीं हुए।”

विपक्षी दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “हमारी एकता को देखकर मोदी जी ने 30 पार्टियों की बैठक बुलाई है। पहले वे अपने गठबंधन की बात तक नहीं करते थे, उनके यहां एक पार्टी के कई टुकड़े हो गए हैं और अब मोदी जी उन्हीं टुकड़ों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।”

लोकसभा चुनाव 2019 के मुकाबले वर्तमान में NDA कमजोर पड़ चुका है। अब तक हुए विगत विधानसभा चुनावों में NDA ने कर्नाटक, हिमाचल, पंजाब और बिहार राज्यों को खो दिया है। पूर्ण बहुमत के साथ NDA केवल उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गोवा, आसाम और हरियाणा तक बची हुई है। बाकि जगहों पर जोड़तोड़ कर जीतती हारती रही है। हाल ही में शिव सेना को तोड़कर महाराष्ट्र में बीजेपी ने सरकार बनाया है।

बीजेपी का घटता जनाधार NDA में शामिल दलों के नेताओं को चिन्तित कर रहा है। अपने आपको विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कहने वाली बीजेपी द्वारा जोड़तोड़ कर सरकार बनाने का षड़यंत्र भी पूरा विश्व जानता है। इसके साथ ही कश्मीर से धारा 370 हटाने और अयोध्या में राम मंदिर जैसे विवादित मुद्दों से NDA की सरकार ने निजात भी पाई है। बाकि यूनिफार्म सिविल कोर्ट, हिजाब पर बैन, एनआरसी जैसे मुद्दे अब तक विवादित बने हुए हैं।

NDA का दूसरा कार्यकाल खत्म होने में कुछ ही महीने बचे हैं। मजदूर, और नौकरी पेशा वाले व निम्न आय वर्ग के लोग अनियंत्रित महंगाई से परेशान हैं। नौजवानों के लिए सरकारी नौकरी की बात दूसरे कार्यकाल में सरकार की प्राथमिकता से ही गायब है। NDA सरकार का नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’अन्यायपूर्ण रहा है। NDA सरकार ने मीडिया तंत्र के सहारे अपनी छवि चमकाई है।

बहरहाल, विपक्षी दलों के इन आरोपों से बीजेपी नेतृत्व वाली NDA को चुनौती मिल रही है। NDA सरकार के खिलाफ मतदाओं के मन को बदलने की चुनौती, विपक्षी दल के नए गठबंधन इंडिया को है। मन-मस्तिष्क में इन बातों को लेकर मतदाताओं का बीजेपी से कितना तिव्र विरोध है। और चुनाव के समय संकल्पित होकर बीजेपी के खिलाफ कितने मतदाता अपना मत देते है। यही बातें तय करेंगी 2024 के संसदीय चुनाव का परिणाम और यही होगी NDA के खिलाफ इंडिया के संकल्प की परिणति।

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