-ADR की SBI के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की याचिका पर 5 जजों का संविधान पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है।
-CJI ने SBI से पूछा कि आपने पिछले 26 दिनों में क्या काम किया, कितना डेटा मिलान किया
-राजनीतिक दलों को चंदे की जानकारी का गैर खुलासा नागरिकों के जानकारी के अधिकार के खिलाफ है।
नई दिल्ली। पाप की कमाई का आधार चुनावी बॉन्ड की जानकारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)छुपाने की कोशिश में लगा है। सुप्रीम कोर्ट से SBI ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगी थी। एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफार्म (आदर) ने SBI के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की सक से गुहार लगाई थी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने SBI पर बड़ी टिप्पणी की है। CJI ने कहा कि हमने आपको डेटा मिलान के लिए नहीं कहा था, आप आदेश का पालन कीजिए। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आपको सिर्फ डेटा सील कवर से निकालना है और भेजना है। CJI ने SBI से पूछा कि आपने पिछले 26 दिनों में क्या काम किया, कितना डेटा मिलान किया। CJI ने ये भी कहा कि मिलान के लिए समय मांगना सही नहीं है। हमने आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है।आखिरकार सारा ब्यौरा मुंबई मुख्य शाखा में भेजा जा चुका है। आपने अर्जी में कहा है कि एक साइलो से दूसरे साइलो में जानकारी का मिलान समय लेने वाली प्रक्रिया है।
5 जजों की संविधान पीठ कर रही है मामले की सुनवाई
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक की मोहलत की मांग वाली अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.- ADR की SBI के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की याचिका पर 5 जजों का संविधान पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच में सुनवाई हुई।
SBI ने कहा हमें और वक्त चाहिए
हरीश साल्वे ने SBI की ओर से दलील दी कि हमें और वक्त चाहिए।साल्वे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक SBI को अप्रैल 2019 से अब तक का ब्योरा चुनाव आयोग को देना है। हमारी एकमात्र समस्या यह है कि हम पूरी प्रक्रिया को उलटने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी SoP ने सुनिश्चित किया कि हमारे कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं था। हमें बताया गया कि इसे गुप्त रखा जाना चाहिए। हम जानकारी एकत्र करने की कोशिश कर रहे हैं। CJI ने कहा कि आप कहते हैं कि दाता का विवरण एक निर्दिष्ट शाखा में एक सीलबंद लिफाफे में रखा गया था। सभी सीलबंद लिफाफे मुंबई में मुख्य शाखा में जमा किए गए थे। दूसरी ओर राजनीतिक दल 29 अधिकृत बैंकों से पैसा भुना सकते हैं। SBI के वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख और खरीदने वाले का नाम एक साथ उपलब्ध नहीं है, उसे कोड किया गया है। उसे डिकोड करने में समय लगेगा।
26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए
सीजेआई ने कहा कि यहां तक कि आपके अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों से भी संकेत मिलता है कि प्रत्येक खरीदारी के लिए आपके पास एक अलग KYC होनी चाहिए इसलिए जब भी कोई खरीदारी की जाती है, तो KYC अनिवार्य होता है। इस पर साल्वे ने कहा कि हमारे पास विवरण है, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमारे पास नहीं है। SBI ने कहा कि हमारे पास सब जानकारी है, किसने खरीदा है, किस राजनीतिक पार्टी को गया है। CJI ने कहा कि हमारा फैसला 15 फरवरी को था, आज 11 मार्च है। पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं ? कुछ भी नहीं बताया गया है। इसका खुलासा होना चाहिए था कि वह काम है जो हो चुका है, हमें और अधिक समय की आवश्यकता है। हम भारतीय स्टेट बैंक से कुछ स्पष्टवादिता की उम्मीद करते हैं। एसबीआई ने कहा कि किसने बॉन्ड खरीदा ये बताना आसान है, लेकिन बॉन्ड नंबर के साथ नाम बताने में समय लगेगा।
जस्टिस खन्ना ने कहा कि हम मान रहे हैं कि आपको खरीददारों और राजनीतिक दलों के नाम देने में कोई कठिनाई नहीं है। एकमात्र कठिनाई मिलान में है। 26 दिन क्या हुआ। कुछ तो हुआ होगा। यह बताया गया था कि बांड में कुछ नंबर होते हैं। इस पर साल्वे ने कहा कि उस नंबर को गुप्त रखा जाता है, उन्हें डालने पर हर ट्रांजैक्शन को ट्रेस करना पड़ता है। CJI ने कहा कि अंतरिम आदेश के अनुपालन में, ECI ने विवरण दिया है। रजिस्ट्री ने इसे सुरक्षित कस्टडी में रखा है। हम उन्हें अभी इसे खोलने का निर्देश देंगे। हम ECI से कहेंगे कि जो कुछ भी है उसे बताएं और SBI से कहें कि आपके पास जो भी है उसे बताएं। आपको कोर्ट के आदेश के मुताबिक काम करना होगा। आपको जानकारी ECI के साथ साझा करनी होगी। ये बेहद गंभीर मामला है।
ये गंभीर मामला है – SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधान पीठ का आदेश है। सीजेआई ने कहा कि ये गंभीर मामला है। बैंक के एक सहायक महाप्रबंधक ने इस न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले में संशोधन की मांग करते हुए एक हलफनामा दायर किया है। CJI ने कहा कि ECI के पास चुनावी बॉन्ड के बारे में डेटा और सारी जानकारी है। हम उन्हें इसे खोलने का निर्देश देते हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा कि KYC पवित्र है। आप देश के नंबर 1 बैंक हैं, हम उम्मीद करते हैं कि SBI आगे आएगा और विवरण साझा करेगा।
SBI ने मांगा तीन हफ्ते का समय
SBI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से एक स्पष्टीकरण चाहते है। सुप्रीम कोर्ट ब्योरा देख रहा है। SBI ने कहा कि बॉन्ड का नंबर, नाम और कितने का बॉन्ड है ये जानकारी हम अगले दो- तीन हफ्ते में दे सकते हैं। साल्वे ने कहा कि यदि बी और सी मेल नहीं खाते हैं, तो हम 3 सप्ताह के भीतर जानकारी दे सकते हैं। सीजेआई ने कहा कि इसके आधार ये थे कि राजनीतिक दलों को चंदे की जानकारी का गैर खुलासा नागरिकों के जानकारी के अधिकार के खिलाफ है।
कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को किया था रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने बीती 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में, चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था।
SBI ने चार मार्च को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाये गए चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।