नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) और उसके नेताओं को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ किसी भी तरह का मानहानि से संबंधित बयान देने से मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक दिया है। न्यायालय ने अंतरिम आदेश में कहा कि सोशल मीडिया पर सक्सेना के खिलाफ कथित अपमानजनक पोस्ट, वीडियो और ट्वीट 48 घंटे के भीतर हटाए ।
अलदात ने कहा, ऐसा लगता है कि सक्सेना के खिलाफ जानबूझकर बयान दिए गए हैं। जस्टिस अमित बंसल ने आप और उसके नेताओं सांसद संजय सिंह, विधायक आतिशी, सौरभ भारद्वाज, दुर्गेश पाठक, पार्टी नेता जैस्मीन शाह को सोशल मीडिया से ऐसी सामग्री हटाने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (ए) सभी व्यक्तियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन अनुच्छेद 19 (2) भी है, जिसके तहत कुछ पाबंदियां हैं, जिनमें मानहानि भी शामिल है। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार एक निरंकुश अधिकार नहीं है, जिसकी आड़ में मानहानिकारक बयान देकर किसी व्यक्ति की छवि धूमिल किया जा सके।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर लगाए गए आरोपों पर कोर्ट के सख्त रुख पर आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को कहा कि हम देश की न्यायपालिका का सम्मान करते है। मगर हम किसी भी कीमत पर सच बोलने से नहीं हिचकिचाएंगे। जरूरत पड़ी तो अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उपलब्ध कानूनी उपायों का सहारा भी लेंगे। आप नेता दुर्गेश पाठक ने कहा कि हम (अदालत के) आदेश से पूरी तरह और विनम्रता से असहमत हैं। हम इसका अध्ययन करेंगे, वकीलों के साथ इस पर चर्चा करेंगे और आपको अपने अगले कदम के बारे में बताएंगे।
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि झूठ बोलकर माफी मांगना आप नेताओं की पुरानी आदत है। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी की ओर से उपराज्यपाल पर लगाए गए झूठे आरोपों के कारण फिर कड़ी फटकार लगाई है। गुप्ता ने कहा कि न्यायालय ने आप के नेताओं के झूठ को बेनकाब करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर झूठे आरोप लगाकर पोस्ट करना बेहद ही शर्मनाक है। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए पार्टी से उपराज्यपाल के संबंध में झूठे आरोप वाले पोस्ट तुरंत हटाने की बात कही है।