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भाजपा उम्मीदवार हंसराज हंस के काफिले को फरीदकोट में किसानों ने खदेड़कर भगाया

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-हंसराज हंस ने कहा कि किसानों की मांगें जायज हैं और वह उनके मुद्दों को जल्द सुलझाने की कोशिश करेंगे।

नई दिल्ली।भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का गाँव -गाँव, नगर नगर विरोध शुरू हो गया है। शुक्रवार को फरीदकोट से भाजपा उम्मीदवार हंसराज हंस को एक बार फिर किसानों के भयंकर विरोध का सामना करना पड़ा। किसानों ने गाड़ी रोक कर हंसराज हंस से सवाल पूछने की कोशिश की। हंसराज हंस जब गाड़ी से नहीं निकले तो किसानों ने BJP मुर्दाबाद का नारा लगाया।  पुलिस ने किसानों को पूरी शक्ति से रोकने की कोशिश की, लेकिन किसान हंसराज हंस सहित उनके काफिले को खदेड़ने में कामयाब रहे।

पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक किसानों ने उन्हें घेरने की तैयारी कर रखी थी। जैसे ही हंस का काफिला बैठक स्थल पर पहुंचा, किसानों ने पहले तो गाड़ी को रोककर सवाल पूछने की कोशिश की। जिस पर पुलिस ने किसानों को हटा दिया।

हंस के काफिले का घेराव कर किसान लगातार बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र द्वारा पारित 3 कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए चल रहे संघर्ष के कारण केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून वापस ले लिए, लेकिन उस मोर्चे को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को कई शर्तें माननी पड़ीं, लेकिन फिर भी उन शर्तों को अब तक लागू नहीं किया जा रहा है, इसके विपरीत, जब किसानों ने फिर से अपनी मांग को याद दिलाने के लिए दिल्ली जाना चाहा, तो उन्हें हरियाणा की सीमा पर ऐसे प्रताड़ित किया गया और रोक दिया गया जैसे कि वे दूसरे देश के नागरिक हों।

किसानों की मांगें जायज हैं -हंसराज हंस

हंसराज हंस ने कहा कि किसानों की मांगें जायज हैं और वह उनके मुद्दों को जल्द सुलझाने की कोशिश करेंगे। किसान अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं लेकिन उनकी हाथ जोड़कर विनती है कि वे अपनी बात जरूर कहें लेकिन हिंसक न हों। उन्होंने कहा कि आप अपनी बात जरूर कहें लेकिन प्यार का दामन न छोड़ें।

उन्होंने कहा कि सभी मुद्दों का समाधान बातचीत से ही हो सकता है। इस प्रकार क्रोध से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होने वाला। पूर्वजों और गुरुओं ने प्रेम करना सिखाया है और प्रेम ही करना चाहिए। हंसराज हंस ने कहा कि किसानों के मुद्दे जायज हैं, वे समाधान के लिए दिल्ली छोड़कर यहां आये हैं। वह लगातार किसानों के हक की बात करते रहे हैं। किसान उनका यूट्यूब चेक करें कि पहले आंदोलन से लेकर अब तक उनकी क्या भूमिका रही है।  किसान ही बताएं कि पहले आंदोलन से लेकर अब तक अगर मुझसे कोई बदतमीजी हुई है या उन्होंने किसी पार्टी की कोई अतिरिक्त चम्मचागिरी की है तो वह आपके गुनहगार हैं। वह किसानों की आवाज बुलंद करते रहे हैं।

हंसराज हंस ने कहा कि वह दिल्ली से जीते थे। वह वजीर भी बन सकते थे उन्होंने किसानों के पक्ष में आवाज उठाई। जो बड़े-बड़े किसानों से जुड़े वजीर थे, उन्होंने आपकी आवाज वहां तक ​​ठीक से नहीं पहुंचाई। ये अम्बाला तक और बातें करते हैं और अम्बाला पार करते ही चम्मचागिरी करने लग पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि वह एक खेत मजदूर के बेटे हैं, उस रिश्ते को देखते हुए वह पहले आंदोलन में भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी कि वह किसानों और प्रधानमंत्री जी की मुलाकात करवाते हैं।

फिर भी पहली बार कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राजेवाल साहब से बात हुई। फिर उन्होंने अलग-अलग चैनलों पर उनके इंटरव्यू करवाए। उन्होंने किसानों से कहा कि वे जांच तो करे कि इस व्यक्ति का किरदार क्या है, हर एक को एक रस्सी से पार न करवाए जाएं। उन्होंने कहा कि नीतियों का विरोध जरूर करें, लेकिन गुस्सा न करें। राजेवाल साहब ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उम्मीदवार का विरोध मत करो बल्कि उनसे 10-12 सवाल पूछें।

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