नई दिल्ली,एजेंसी। लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 7 साल कम करने की वकालत करते हुए एक संसदीय समिति ने शुक्रवार को कहा कि इससे युवाओं को लोकतंत्र में शामिल होने के समान अवसर मिलेंगे। लोकसभा या विधानसभा चुनावों के लिए इसने विशेष रूप से चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु को वर्तमान 25 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने की सिफारिश की।
वर्तमान ढांचे के मुताबिक, लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति की उम्र कम से कम 25 साल होनी चाहिए। वहीं, राज्यसभा और राज्य विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 साल है। अभी कोई व्यक्ति 18 साल का होने पर वोट देने का अधिकार रखता है।
भाजपा के सुशील मोदी की अध्यक्षता वाले पैनल ने पाया कि चुनावों में उम्मीदवारी के लिए न्यूनतम आयु की आवश्यकता को कम करने से युवा व्यक्तियों को लोकतंत्र में शामिल होने के समान अवसर मिलेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है, यह दृष्टिकोण वैश्विक प्रथाओं, युवा लोगों के बीच बढ़ती राजनीतिक चेतना और युवा प्रतिनिधित्व के फायदों जैसे बड़ी मात्रा में सबूतों से पुष्ट होता है।
चुनाव आयोग के अनुसार, जब तक संविधान के किसी प्रविधान को बदलने के लिए बाध्यकारी कारण मौजूद न हों, इसे अपरिवर्तित रहना चाहिए। राजनीतिक प्रतिभागियों, कानून और कार्मिक पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि कनाडा, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया जैसे विभिन्न देशों की प्रथाओं की जांच करने के बाद उनका मानना है कि राष्ट्रीय चुनावों में उम्मीदवारी के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। इन देशों के उदाहरण दर्शाते हैं कि युवा व्यक्ति विश्वसनीय और जिम्मेदार हो सकते हैं।
समिति ने विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारी के लिए न्यूनतम आयु की आवश्यकता को कम करने का भी सुझाव दिया। समिति ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग और सरकार को युवाओं को राजनीतिक भागीदारी के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करने के लिए व्यापक नागरिक शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही ‘फिनलैंड के नागरिकता शिक्षा के सफल मॉडल’ को अपनाने की सलाह भी दी है।