इस्तांबुल। तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में पर्यटकों से भरी रहने वाली इस्तिकलाल स्ट्रीट में रविवार को हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई है। जबकि कम से कम 53 लोग घायल हो गए हैं। सोशल मीडिया पर इस धमाके के वीडियो शेयर किए गए हैं, जिसमें विस्फोट से हुए नुकसान के बीच जमीन पर कई लोगों को दिखाया गया है। फुटेज में एंबुलेंस और पुलिस मौके पर पहुंचती नजर आ रही है।
विस्फोट प्रसिद्ध इस्तिकलाल शॉपिंग स्ट्रीट में हुआ है। यह इलाका दुकानों और रेस्तरां से घिरा हुआ है। आमतौर पर यहां पर्यटक और स्थानीय लोगों की भीड़ रहती है। धमाके के बाद इस इलाके में अफरा-तफरी का माहौल है। बता दें कि 7 साल पहले भी इसी इलाके में सीरियल ब्लास्ट हुए थे जिनमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ग्रुप ने ली थी। जहां धमाका हुआ वहां पास के कासिंपसा पुलिस स्टेशन ने कहा कि सभी चालक दल घटनास्थल पर थे, लेकिन उन्होंने और कोई जानकारी नहीं दी। विस्फोट का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।
स्थानीय मीडिया फुटेज में घटनास्थल पर एंबुलेंस और दमकल की गाड़ियां भी दिखाई दे रही हैं। कई मीडिया रिपोर्टंस में घायलों की संख्या 11 बताई गई है।इससे पहले तुर्की में 2015 और 2017 के बीच इस्लामिक स्टेट समूह और प्रतिबंधित कुर्द समूहों ने कई बम विस्फोट किए थे।
विस्फोट एक विश्वासघाती हमला था
वहीं, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने इस्तांबुल के लोकप्रिय इस्तिकलाल एवेन्यू पर रविवार को हुए भीषण विस्फोट को ‘हमला’ करार दिया। इंडोनेशिया में जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रविवार को रवाना होने से पहले एर्दोआन ने कहा कि विस्फोट एक विश्वासघाती हमला था। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके अपराधियों को दंडित किया जाएगा। एर्दोआन ने कहा कि चार लोगों की घटनास्थल पर और दो की अस्पताल में मौत हो गई।
इस्तांबुल के गवर्नर अली येरलीकाया ने ट्विटर पर बताया कि विस्फोट स्थानीय समयानुसार शाम चार बजकर 20 पर हुआ और घटना में कुछ लोगों की मौत हुई है और कई जख्मी हुए हैं। विस्फोट का कारण अभी साफ नहीं है। प्रसारक ‘CNN’ तुर्क’ ने कहा कि कई लोग जख्मी हुए हैं। एवेन्यू भीड़-भाड़ वाला मार्ग है जो स्थानीय लोगों और सैलानियों में लोकप्रिय है। यहां पर कई दुकानें और रेस्तरां हैं। तुर्की में 2015 से 2017 के बीच कई बार विस्फोट हुए थे, जिनका संबंध इस्लामिक स्टेट और गैर कानूनी कुर्दिश समूहों से है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले के पीछे कुर्दों का हाथ हो सकता है। तुर्की और कुर्द लड़ाकों के बीच रंजिश कोई नई नहीं है। यह दुश्मनी 100 साल से ज्यादा पुरानी है। बताया यह भी जा रहा है कि इस हमले के पीछे आतंकी संगठन तास्किम का हाथ हो सकता है। यह गुट भी तुर्की से अलग होने की मांग करता रहता है। हमले के बाद घटनास्थल को सील कर दिया गया है और पत्रकारों को भी वहां जाने की अनुमति नहीं है।
कई युद्धों में कुर्दों ने अमेरिका का साथ दिया
कुर्द मिडल ईस्ट में फैले हुए हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा ऐसा समूह है जिनका कोई देश नहीं है। ईराक, सीरिया और तुर्की में कुर्द रहते हैं। बताया जाता है कि इनकी आबादी 3.5 करोड़ के आसपास है। पहले विश्वयुद्ध के बाद जब ऑटोमन साम्राज्य बिखऱ गया तो कुर्दों को अलग देश का वादा किया गया था। हालांकि यह समझौता जल्द ही रद्द कर दिया गया। इसके बाद से ही कुर्द अपने अलग देश के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
तुर्की, सीरिया, ईराक, ईरान और आर्मेनिया में तुर्क रहते हैं। ईराक में 2005 में कुर्दिश क्षेत्र घोषित किया गया है। इसमें एक क्षेत्रीय सरकार भी बनाई गई है। वहीं ईरान में इन दिनों हिजाब को लेकर जो विरोध चल रहा है यह भी कुर्द इलाके से ही शुरू हुआ है। तुर्की में भी कुर्द लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। यहां कुर्द आबादी करीब 20 फीसदी है। पहले विश्व युद्ध के बाद यहां कुर्दों का दमन किया गया था। इसके बाद 1980 में कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी जिसे पीकेके के नाम से भी जाना जाता है, ने संघर्ष शुरू किया।
यह संघर्ष हिंसक था। कुर्दों ने हथियार उठा लिए। इसके बाद सरकार के साथ बातचीत हुई और 2013 में सीजफायर पर समझौता हुआ। हालांकि 2015 में समझौते का उल्लंघन हुआ और फिर इस संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया।
मिडल ईस्ट में कई युद्धों में कुर्दों ने अमेरिका का साथ दिया है। खाड़ी युद्ध हो या ईराक पर अणेरिका का हमला। कुर्द अमेरिका के साथ रहे हैं। इसके अलावा आईएसआईएस के साथ युद्ध में भी कुर्द अमेरिका के साथ थे। हालांकि अमेरिका कई बार कुर्दों को धोखा दे चुका है। ईराक में अमेरिका ने हथियार उपलब्ध करवाकर एक तरह से कुर्दों का विरोध किया था। अमेरिका ने कभी वैश्विक मंच पर कुर्दों के देश की वकालत नहीं की।