-अगले साल 2 और देशों से मुक्त व्यापार समझौता होने की उम्मीद, ब्रिटेन, ईयू और कनाडा के साथ चल रही बात
मुंबई। भारत और ब्रिटेन लंबे समय से मुक्त व्यापार समझौता (free trade agreement) पर बात कर रहे हैं। इस संबंध में ब्रिटिश हाई कमिश्नर एलेक्स एलिस ने बड़ा बयान देते हुए, दिवाली तक दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पूरी होने की संभावना जताई है। ऐसे में यह दोनों आर्थिक महाशक्तियों के लिए बहुत अच्छा साबित हो सकता है। यह आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के साथ ही दोनों देशों में नए रोजगार के अवसर पैदा करने में भी मदद कर सकता है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि उन्हें अगले साल यानी 2023 में कम से कम दो और देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने की उम्मीद है। यहां के एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन और कनाडा के साथ बातचीत चल रही है। हालांकि उन्होंने न्यूजीलैंड जैसे छोटे व्यापारिक भागीदारों के साथ किसी तरह के एफटीए से इनकार करते हुए कहा कि हम उनकी अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते हैं।
दिवाली तक हो सकता है मुक्त व्यापार समझौता
ब्रिटिश हाई कमिश्नर ने कहा कि दिवाली के खास मौके पर दोनों देशों के लोगों को मुक्त व्यापार समझौता का गिफ्ट मिल सकता है। ब्रिटिश हाई कमिश्नर के साथ ही इस कार्यक्रम में कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री के ज्वाइंट सेक्रेटरी राजेंद्र रत्नू ने कहा कि इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की जल्द पूरी होने की संभावना है। दोनों देशों ने इस मामले पर दिल खोलकर सकारात्मकता दिखाई है। इस समझौते के अधिकांश मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहमति बन चुकी है और अक्टूबर में दिवाली से पहले समझौता होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यवहार बेहतर होगा और यह दोनों के हित में भी होगा।
वहीं ज्वाइंट सेक्रेटरी राजेंद्र रत्नू ने इस दौरान यह भी बताया कि इस मुक्त व्यापार समझौते से भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर में ग्रोथ दर्ज होगी। इसके साथ ही देश की लेबर इंसेंटिव सेक्टर जैसे प्रोसेस्ड एग्रो, लेदर, टेक्सटाइल और ज्वेलरी प्रोडक्ट्स को भी बहुत बढ़ावा मिलेगा। जबकि इससे देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। ध्यान देने वाली बात ये है मुक्त व्यापार समझौता एक अंतरराष्ट्रीय कानून है जिसके मुताबिक दो या दो से अधिक देश एक दूसरे के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए इंपोर्ट-एक्सपोर्ट की दिक्कतों को दूर करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए उनके बीच में मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होते हैं।
भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार बढ़ाने पर जोर
भारत और ब्रिटेन के बीच फिलहाल 50 बिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा है, जिसे बढ़ाकर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। भारत और ब्रिटेन का व्यापार अधिकतम सर्विस सेक्टर पर निर्भर करता है, जो कि कुल व्यापार का 70 फीसदी हिस्सा है। भारत यूके का 12वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। वहीं यूके भारत का 7वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है। ऐसे में दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते के जरिए व्यापार में होने वाली परेशानी को दूर करके अपनी आर्थिक ग्रोथ में तेजी लाना चाहते हैं।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भारत और ब्रिटेन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल, यह तमाम व्यापार और निवेश को बढ़ावा देगा। वहीं दोनों देश जनवरी 2022 में बातचीत करने पर सहमत हुए थे, इसके बाद बात सकारात्मक होती चली गई। इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार और निवेश संबंधों को आगे बढ़ाना है। बता दें कि दोनों देशों के बीच बातचीत का 5वां दौर 29 जुलाई को पूरा हुआ था।
ऑस्ट्रेलिया के साथ शुरू हुआ FTA
न्यूजीलैंड के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार मात्र 35 करोड़ डालर का है। इस साल अप्रैल में हुए भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते के संबंध में आयोजित एक कार्यक्रम में गोयल ने कहा कि जनवरी में भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों और विदेश में उनके समकक्षों के बीच कई बैठकें होनी हैं। ऑस्ट्रेलिया भेजे जाने वाले पहले भारतीय माल के लिए मूल प्रमाण पत्र सौंपने के बाद उन्होंने कहा कि FTA से कपड़ा, रत्न और आभूषण तथा सूचना प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों को लाभ होगा।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगले पांच से 7 वर्षों में भारतीय IT कंपनियों का आस्ट्रेलिया को निर्यात बढ़कर एक अरब डालर हो जाएगा, जो इस समय 20 करोड़ डालर है। उन्होंने कहा कि भारत ने 2019 में जिस क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) को छोड़ दिया था, वह आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण और समझदारी भरा फैसला था।
उन्होंने कहा कि यह समझौता मुख्य रूप से चीन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता बनकर रह जाता। उन्होंने कहा कि भारत ने RCEPमें शामिल 15 देशों में से 13 के साथ अलग-अलग व्यापार समझौते किए हैं। केवल न्यूजीलैंड और चीन ही बाकी रह गए हैं।
क्या होता है फ्री ट्रेड एग्रीमेंट?
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट दो या फिर इससे ज्यादा देशों के बीच उत्पादों और सेवाओं के आयात और निर्यात में रुकावटों को कम करने के लिए समझौता है. इस समझौते से व्यवसाय करने वाले दोनों देशों को फायदा होता है। मुक्त व्यापार समझौते में कोटा, टैरिफ, सब्सिडी या फिर प्रतिबंध को कम किया जाएगा जो सीमाओं के पार वस्तुओं और सेवाओं के लाने ले जाने की सीमित कर सकता है। वहीं मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार की अनुमति दे सकता है। इस समझौते में सेवाएं, निवेश, सामान, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्धा, सरकारी खरीद और अन्य क्षेत्र शामिल हो सकते हैं।
भारत का इन देशों के साथ है मुक्त व्यापार समझौता
बता दें कि भारत के अप्रैल 2022 तक दक्षिण एशियाई फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भूटान, नेपाल, थाईलैंड, सिंगापुर, जापान और मलेशिया सहित 13 फ्री ट्रेड एग्रीमेंट थे। मगर, 13 में से पिछले पांच सालों के दर्मियान यूएई, मॉरिशस और ऑस्ट्रेलिया से साथ हुए समझौते भी शामिल हैं। वहीं 6 सीमित व्यापारिक समझौतों पर भी साइन किए गए हैं।