सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के PWD पर लगाया 5 लाख रुपये का जुर्माना

PWD का जवाब संतोषजनक नहीं है और अधिकारियों ने ठेकेदारों पर कार्रवाई नहीं की। जुर्माने की राशि चार सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में जमा करनी होगी। कोर्ट ने चेतावनी दी कि आगे से यदि उल्लंघन हुआ तो BNSS और BNS के तहत आपराधिक कार्रवाई अनिवार्य होगी।

DrashtaNews

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। लोक निर्माण विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के गेट-एफ के बाहर नाले की सफाई के लिए मैनुअल सीवर क्लीनर के लिए एक नाबालिग को बिना सुरक्षा उपकरणों के काम पर लगाय था। यह कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन है जिसमें मैनुअल सीवर सफाई पर रोक लगाई गई थी।

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजनिया की खंडपीठ ने कहा कि यदि भविष्य में ऐसी घटना दोहराई गई तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि ठेकेदारों को दिए गए अनुबंध में स्पष्ट शर्तें थीं कि सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं और 18 वर्ष से कम उम्र के श्रमिक न लगाए जाएं, लेकिन इनका पालन नहीं किया गया।

कोर्ट ने यह भी माना कि PWD का जवाब संतोषजनक नहीं है और अधिकारियों ने ठेकेदारों पर कार्रवाई नहीं की। जुर्माने की राशि चार सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में जमा करनी होगी। कोर्ट ने चेतावनी दी कि आगे से यदि उल्लंघन हुआ तो BNSS और BNS के तहत आपराधिक कार्रवाई अनिवार्य होगी।

मैनुअल सीवर सफाई के लिए मजबूर किया गया
इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर ने पीठ को बताया कि अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की जरूरत है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2023 में पारित निर्देशों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया गया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बाहर जिन मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के मैनुअल सीवर सफाई के लिए मजबूर किया गया, उनके नाबालिग भी शामिल है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने इस काम में लगाए गए मजदूरों के नाम और पता भी सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के साथ मैनुअल तरीके से सीवर सफाई की वीडियो भी पेश की गई। इस मामले में दिल्ली सरकार ने पीठ से कहा कि यह खुले नालों से गाद निकालने का काम था, जहां कोई जहरीली गैसें नहीं हैं। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता व न्यायमित्र के परमेश्वर ने कहा कि वह इस प्रथा का बचाव करने के सरकार के रुख से हैरान हैं।

Scroll to Top