-कृषि अर्थशास्त्रियों का यह 32वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
– 90 प्रतिशत किसानों के पास बहुत कम जमीन है, कई देशों में काम आ सकता है हमारा मॉडल
नई दिल्ली। कृषि अर्थशास्त्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा के साथ ही पोषण को भी जरूरी बताया। इसके लिए प्राकृतिक खेती पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि छोटे किसान भारत की सबसे बड़ी ताकत हैं। यहां के 90 प्रतिशत किसानों के पास बहुत कम जमीन है। कई विकासशील देशों की भी ऐसी ही स्थिति है। इसलिए हमारा मॉडल कई देशों के काम आ सकता है।
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में कृषि अर्थशास्त्रियों का यह 32वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जो पांच दिनों तक चलेगा। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि कृषि हमारी आर्थिक नीतियों के केंद्र में है। इस दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे।
दूध, दाल व मसालों का भारत सबसे बड़ा उत्पादक
भारत में पहला कृषि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 1958 में हुआ था। पीएम मोदी ने 65 वर्ष पहले के उस दौर को याद करते हुए कहा कि तब भारत आजाद ही हुआ था और हमारी खाद्य सुरक्षा दुनिया के लिए बड़ी चुनौती थी, मगर आज हम खाद्य अधिशेष देश हैं। दूध, दाल एवं मसालों का सबसे बड़ा तथा खाद्यान्न, फल सब्जी, कपास, चीनी, चाय एवं मछली का दूसरा बड़ा उत्पादक हैं।
जलवायु के अनुकूल फसलों की 19 सौ प्रजातियां
खाद्य के साथ पोषण सुरक्षा के लिए भी हम दुनिया को समाधान दे रहे हैं। पीएम ने कहा कि हम बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती को प्रोन्नत कर रहे हैं। इसके परिणाम भी अच्छे आ रहे हैं। इस साल के बजट में कृषि के सतत विकास पर बड़ा फोकस है। हमारा जोर शोध पर है। दस सालों में हमने जलवायु के अनुकूल फसलों की 19 सौ प्रजातियां दी हैं।
PM ने कहा कि चावल की कुछ किस्में ऐसी हैं, जिन्हें 20 प्रतिशत कम पानी चाहिए। काला चावल सुपरफूड के रूप में उभरा है। हम पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ हो रहा है। कृषि की चुनौतियों का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि पानी की कमी और जलवायु परिवर्तन के साथ ही पोषण बड़ी चुनौती है। इसका समाधान भारत के पास है।
देश में 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र
पीएम ने कहा कि हम मिलेट्स के सबसे बड़े उत्पादक हैं। अपने इस बास्केट को दुनिया के साथ साझा करना चाहते हैं। भारत में कृषि शिक्षा और अनुसंधान का मजबूत इकोसिस्टम है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के ही सौ से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं। कृषि और संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए पांच सौ से ज्यादा कॉलेज हैं। सात सौ से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने में मदद करते हैं।