नई दिल्ली। वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में सर्वे के दौरान मिली शिवलिंग जैसी संरचना के संरक्षण की सीमा बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने अहम फैसला सुनाते हुए अगले आदेश तक वजूखाने का संरक्षण जारी रखने का आदेश दिया है, जहां से ‘शिवलिंग’ मिला था। कोर्ट ने सभी पक्षों से तीन हफ्तों में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।
ज्ञानवापी पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी का ASI से सर्वे कराने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई है। इधर, वाराणसी की जिला अदालत में कथित शिवलिंग की पूजा के अधिकार और मस्जिद में सर्वे की कार्यवाही पर भी सुनवाई हुई। कोर्ट अब 5 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगा।
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में 16 मई को कोर्ट कमीशन के सर्वे के दौरान एक संरचना मिली थी। हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग तो मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस संरचना को संरक्षित करने का आदेश जारी किया था। यह आदेश 12 नवंबर तक के लिए था। हिंदू पक्ष ने 12 नवंबर से पहले इसके संरक्षण की समय सीमा बढ़ाने के लिए याचिका दाखिल की थी। जिसकी तारीख शनिवार को खत्म हो रही थी। ऐसे में अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए इसे बढ़ाने का आदेश दे दिया है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच से अपील की थी कि इस संरक्षण को जारी रखा जाए। इस पर अदालत ने सुनवाई करते हुए 17 मई के अपने आदेश को जारी रखा।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 17 मई को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी के अंदर जिस वजूखाने से शिवलिंग मिला था, उसे संरक्षित रखा जाए। फिलहाल वहां केंद्रीय बलों की तैनाती है और उसका संरक्षण किया जा रहा है ताकि उसके स्वरूप से कोई छेड़छाड़ न हो सके और यथास्थिति बनी रहे। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया, ‘सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग मिलने वाली जगह को सील रखे जाने के फैसले को अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर अर्जी पर जवाब देने के लिए हमें तीन सप्ताह का वक्त दिया है।’
इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी ASI से कराने के फैसले के खिलाफ सुनवाई होगी। इंतजामिया मसाजिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत के ASI से सर्वे कराने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में 31 अक्टूबर को हुई सुनवाई में ASI ने हलफनामा दायर करके कहा था कि कोर्ट के आदेश देने की स्थिति में वह ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कर सकती है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और रामसजीवन ने वाराणसी सिविल कोर्ट में सर्वे में मिले कथित शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना कराने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि कथित शिवलिंग की पूजा, आरती और राग-भोग की व्यवस्था जिला प्रशासन को करानी चाहिए थी। प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है और न किसी सनातन धर्मी को इसके लिए नियुक्त किया है। कानूनन देवता की स्थिति एक जीवित बच्चे के समान होती है, जिसे अन्न-जल न देना संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है। इस मामले में वाराणसी कोर्ट ने 5 दिसंबर को अगली सुनवाई करने की बात कही है।
वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कमीशन की कार्रवाई आगे बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई करेगी। यह याचिका हिंदू पक्ष ने दाखिल की है। इस पर मुस्लिम पक्ष की ओर से आपत्ति लगाई गई है। इसके खिलाफ हिंदू पक्ष को भी अपनी आपत्ति दाखिल करने के लिए 11 नवंबर तक का समय मिला था। पिछले साल वाराणसी सिविल कोर्ट में राखी सिंह, सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी की ओर से यह केस दाखिल किया गया था।