अमेरिका जाने वाले भारतीयों को अब देना होगा दोगुना से अधिक वीज़ा फीस

- अमेरिकी वीजा पहले से 2.5 गुना महंगा हो जाएगा। इसका असर खासतौर पर स्टूडेंट, टूरिस्ट और आईटी सेक्टर में काम करने वाले प्रोफेशनल्स पर पड़ने वाला है। -यह नया नियम अमेरिका की सुरक्षा और इमिग्रेशन कानूनों को मजबूत करने के लिए लाया गया है। सरकार का मकसद है कि विदेशी नागरिक कानूनी नियमों का पालन करें। इसे एक तरह का सिक्योरिटी डिपॉजिट भी माना जा सकता है।

DrashtaNews

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच दिन प्रतिदिन व्यापारिक रिश्ते ख़राब हो रहे हैं। भारत सरकार की विदेश नीति फेल हो रही है। लाखों की संख्या में भारतीय नागरिक विदेशों में नौकरी करते हैं। अमेरिका में भी लाखों भारतीय रहते है। कोई वहां पढ़ाई करने गया है तो कोई नौकरी करने। कुछ लोग कई सालों से अमेरिका में बसे हुए हैं और कुछ लोग घुमने के लिए अमेरिका जाते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प अपने दूसरे कार्यकाल में भारत सरकार से चिढ़े हुए दिख रहे है। भारत के प्रति उनका निर्णय लगातार परेशानी पैदा कर रहा है। पहले तो अमेरिकी वीजा मिलना ज्यादा मुश्किल नहीं था और जेब पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ता था। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार द्वारा लाए गए नए कानून, जिसका नाम ‘One Big Beautiful Bill’ है, इसके लागू होने के बाद अमेरिका जाना काफी ज्यादा महंगा पड़ने वाला है। ट्रंप ने इस नए कानून को पास किया है और इस बिल पर 4 जुलाई को साइन किया था। इस कानून के तहत 2026 से एक नया शुल्क लागू होगा- ‘वीजा इंटेग्रिटी फी’।

इसके लागू होते ही अमेरिकी वीजा पहले से 2.5 गुना महंगा हो जाएगा। इसका असर खासतौर पर स्टूडेंट, टूरिस्ट और आईटी सेक्टर में काम करने वाले प्रोफेशनल्स पर पड़ने वाला है।

क्या है वीजा इंटेग्रिटी फी?
अमेरिका जाने के लिए भारतीय नागरिकों को विभिन्न प्रकार के गैर-प्रवासी वीजा (non-immigrant visas) की आवश्यकता हो सकती है, जैसे पर्यटक वीजा (B1/B2), छात्र वीजा (F1, M1), काम वीजा (H1B, L1), और अन्य। वीजा फीस मुख्य रूप से वीजा के प्रकार पर निर्भर करती है और इसे अमेरिकी डॉलर (USD) में लिया जाता है, लेकिन भारत में भुगतान करते समय इसे भारतीय रुपये (INR) में परिवर्तित किया जाता है, जो कंसुलर एक्सचेंज रेट पर आधारित है।

यह एक नय 250 डॉलर (लगभग 21,400 रुपये) का शुल्क है।
यह फीस 2026 से लागू होगी।
यह फीस नॉन-रिफंडेबल होगी।
यह हर साल महंगाई दर के आधार पर बदली जा सकती है।
वीजा इंटेग्रिटी फी लागू होने का मतलब है कि जो वीजा 16 हजार रुपये में बन जाता था, वो अब 40 हजार रुपये से ऊपर का हो सकता है।

किस-किस को देनी होगी यह फीस?
इस नई फीस का असर ज्यादातर गैर-इमिग्रेंट वीजा धारकों पर पड़ेगा।
टूरिस्ट और बिजनेस वीजा (B-1/B-2) को देनी होगी फीस।
अमेरिका में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को देनी होगी यह फीस।
अमेरिका में नौकरी के लिए गए प्रोफेशनल्स को दोनी होगी यह फीस।
एक्सचेंज विजिटर वीजा (J) वालों को भी यह फीस देनी होगी।
केवल डिप्लोमैटिक वीजा धारक (A और G कैटेगरी) इससे छूट पाएंगे।

अब कितना महंगा होगा अमेरिकी वीजा?
फिलहाल, अमेरिका का एक सामान्य B-1/B-2 वीजा 185 डॉलर (15 हजार रुपये) का है। 2026 से नए शुल्क लागू होने के बाद यह लोगों की जेब में महंगा पड़ने वाला है:-

वीजा फीस- 185 डॉलर (15 हजार रुपये)
वीजा इंटेग्रिटी फीस- 250 डॉलर (करीब 21,400 रुपये)
I-94 फीस- 24 डॉलर (2 हजार रुपये)
ESTA फीस- 13 डॉलर (करीब 1200 रुपये)
टोटल फीस- 472 डॉलर (लगभग 40 हजार रुपये)
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क्या फीस वापस मिल सकती है?
अगर कोई रिफंड की बात करे तो इसका जवाब हां है, लेकिन कुछ खास स्थिति में ही फीस वापस हो सकती है। अगर वीजा धारक अपने वीजा अवधि पूरी होने के 5 दिनों के अंदर अमेरिका छोड़ देता है तो शुल्क वापस मिल सकता है।
इसके साथ ही अगर वह लीगल तरीके से अपने स्टे को बढ़ाता है या ग्रीन कार्ड के लिए अप्लाई करता है तो भी फीस वापस मिल सकती है। लेकिन, कोई व्यक्ति अगर नियमों को तोड़ता है या ओवरस्टे करता है तो फीस वापस नहीं मिलेगी।

वीजा जारी करने की फीस (Reciprocity Fee)
Visa Reciprocity Tables के अनुसार, भारतीय नागरिकों के लिए अधिकांश गैर-प्रवासी वीजा वर्गों के लिए कोई अतिरिक्त वीजा जारी करने की फीस (reciprocity fee) नहीं है। उदाहरण के लिए, B1/B2, H1B, L1, F1, आदि के लिए “None” शुल्क है, जिसका अर्थ है कि केवल आवेदन शुल्क देना पर्याप्त है। E-1 और E-2 वीजा के लिए, भारत के साथ कोई संधि नहीं है, इसलिए ये वीजा भारतीयों के लिए लागू नहीं हैं।

भुगतान और वैधता

वीजा शुल्क का भुगतान ऑनलाइन (NEFT, IMPS, डेबिट/क्रेडिट कार्ड, UPI) या बैंक जमा (नकद, डिमांड ड्राफ्ट) के माध्यम से किया जा सकता है। भुगतान की रसीद 1 वर्ष तक वैध रहती है, और इस दौरान साक्षात्कार की नियुक्ति करनी होती है। प्रवासी वीजा के लिए, शुल्क को दूतावास/कांसुलेट में नकद (USD या INR) या रुपये के बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से भी भुगतान किया जा सकता है, जो “The American Embassy, New Delhi” या “U.S. Consulate General, Mumbai” के नाम पर हो। मुंबई में क्रेडिट कार्ड भुगतान भी स्वीकार किया जाता है।

अतिरिक्त शुल्क और अपवाद

कुछ विशिष्ट मामलों में अतिरिक्त शुल्क लागू हो सकते हैं, जैसे: L वीजा फ्रॉड प्रिवेंशन फीस: $500 USD (लगभग 43,500 INR)।
कुछ H-1B और L-1 पेटिशनर्स के लिए अतिरिक्त फीस: $4,500 USD (लगभग 3,91,500 INR), यदि नियोक्ता विशेष मानदंडों को पूरा करता है।

हालांकि, ये शुल्क मुख्य वीजा आवेदन शुल्क से अलग हैं और विशिष्ट परिस्थितियों में लागू होते हैं। इसके अलावा, कुछ वीजा, जैसे A, G, J (अमेरिकी सरकार द्वारा प्रायोजित), के लिए कोई शुल्क नहीं है, लेकिन ये भारतीयों के लिए कम आम हैं।

ट्रंप ने क्यों लागू किया यह नियम?
यह नया नियम अमेरिका की सुरक्षा और इमिग्रेशन कानूनों को मजबूत करने के लिए लाया गया है। सरकार का मकसद है कि विदेशी नागरिक कानूनी नियमों का पालन करें। इसे एक तरह का सिक्योरिटी डिपॉजिट भी माना जा सकता है। इस नीति को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी संभालेगा और हर साल इसकी राशि महंगई दर के हिसाब से बदल सकती है।

पैसे भेजने पर 1% का टैक्स
ट्रंप सरकार द्वारा लाए गए नए कानून में एक और बड़ा फैसला लिया गया है। अब अमेरिका से भारत या किसी भी देश में पैसे भेजने पर 1% का टैक्स लगेगा। इस फैसले से वहां रहने वाले भारतीय प्रवासियों पर और असर पड़ सकता है।

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