दमकल अधिकारी का दावा, मुंडका अग्निकांड में मरने वालों की संख्या बढ़कर 30 हो सकती है

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नई दिल्ली।  मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास इमारत में आग लगने के घटनास्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन अब खत्म हो गया है। एक दमकल अधिकारी ने दावा किया कि मरने वालों की संख्या बढ़कर 30 हो सकती है। आग की घटना में मरने वालों की संख्या आधिकारिक तौर पर 27 हो गई है, जबकि 25 शवों की पहचान की जानी बाकी है। इस बीच, आग की घटना में इमारत से लापता लोगों की संख्या बढ़कर 29 हो गई, जिनमें 24 महिलाएं और 5 पुरुष थे।
आज सुबह सर्च ऑपरेशन के दौरान दमकल अधिकारियों ने कुछ और अवशेष बरामद किए, जो मृतकों के होने का संदेह है। घटनास्थल पर मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि सुबह हमें कुछ और अवशेष मिले, ऐसा लगता है कि 2-3 लोगों के शव हैं। मरने वालों की संख्या 30 तक पहुंच सकती है। इमारत में रखी प्लास्टिक सामग्री के कारण आग तेजी से फैल गई।

AC में विस्फोट के कारण लगी आग

दिल्ली दमकल सेवा (DFS) के अधिकारियों ने बताया कि बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में शनिवार को इमारत की दूसरी मंजिल पर जले हुए मानव अवशेष मिले, जहां एक दिन पहले भीषण आग लग गई थी। DFS के निदेशक अतुल गर्ग ने कहा कि ऐसा संदेह है कि AC में विस्फोट के कारण आग लगी होगी। पुलिस ने कहा कि इस चार मंजिला इमारत की पहली मंजिल से आग शुरू हुई थी। इस इमारत में एक CCTV कैमरा और राउटर बनाने और असेंबलिंग कंपनी का ऑफिस है।

कंपनी के मालिक हरीश गोयल और  वरुण गोयल गिरफ्तार 

पुलिस उपायुक्त (बाहरी) समीर शर्मा ने कहा कि कंपनी के मालिक हरीश गोयल और उनके भाई वरुण गोयल को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिन्हें पहले हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या की सजा), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 120 (कैद के साथ दंडनीय अपराध को छुपाने की साजिश) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत एफआईआर दर्ज की है।
DCP ने कहा कि इमारत की सभी मंजिलों का इस्तेमाल एक ही कंपनी कर रही थी। पुलिस ने बताया कि इमारत के मालिक मनीष लकड़ा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि 12 घायलों में से एक को छोड़कर सभी की पहचान हो गई है। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, इस चार मंजिला इमारत में आग लगने के बाद अंदर से निकाले गए 27 में से 25 शवों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। NDRF ने मौके पर पहुंचकर बीती रात आग की घटना के तुरंत बाद तलाशी एवं बचाव अभियान शुरू कर दिया था।

NDRF जांच कर रहा है कि क्या अंदर और शव हैं, अब तक 27 शव बरामद किए गए हैं, लेकिन उनमें से 25 की पहचान नहीं हो पाई है। DCPसमीर शर्मा ने कहा कि फॉरेंसिक टीम डीएनए सैंपलों की जांच करेगी, जबकि 29 लापता लोगों शिकायतें दर्ज की गई हैं।
NDRF के सहायक कमांडेंट विकास सैनी ने कहा कि तलाशी अभियान लगातार जारी है। हमें दूसरी मंजिल पर शवों के छोटे-छोटे हिस्से मिले हैं। मुझे लगता है कि तलाशी अभियान 3-4 घंटे में पूरा हो जाएगा। उन लोगों को सही जानकारी देने के उद्देश्य से जिनके परिवार के सदस्य लापता या घायल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में एक हेल्प डेस्क स्थापित किया गया है।

“जब इमारत ही गैरकानूनी तो फायर NOC कैसे”

आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने MCD पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होने कहा कि जहां यह बिल्डिंग है, वह एक्सटेंडेड लाल डोरा की जमीन है। इस तरह की प्रॉपर्टी पर कोई कमर्शल एक्टिविटी नहीं हो सकती है। 2016 में एमसीडी ने इसका लाइसेंस इशु किया था, लेकिन 1 साल बाद किसी की शिकायत पर उस लाइसेंस को कैंसिल कर दिया गया। लेकिन उसके बावजूद पूरी एक्टिविटी चलती रही. फिर 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई मॉनिटरिंग कमेटी ने इस बिल्डिंग को सील कर दिया। इसका फर्स्ट फ्लोर पूरी तरह से सील था, पेनल्टी भी लगाई गई, एमसीडी ने पेनल्टी भी वसूला। लेकिन उसके बावजूद मॉनिटरिंग कमिटी ने सीलिंग नहीं खोली। आजतक यह बिल्डिंग सील है, लेकिन इसमें कमर्शियल एक्टिविटी हो रही थी।
यह बिल्डिंग भी पूरी तरह से इलीगल है. इसका नक्शा पास नहीं कराया गया था। दिल्ली में कोई भी बिल्डिंग बिना MCD से नक्शा पास कराए नहीं बन सकती है। यानी इसकी पूरी जानकारी बीजेपी की एमसीडी के पास थी, लेकिन उन्होंने आंख बंद रखी। इसमें भ्रष्टाचार किया गया, बिना भ्रष्टाचार के ऐसी एक्टिविटी नहीं हो सकती थी।
दिल्ली सरकार द्वारा फायर NOC न दिए जाने के आरोपों पर उन्होने सवाल उठाया कि फायर NOC तो तब दी जा सकती है, जब बिल्डिंग लीगल हो। जब यह बिल्डिंग ही इलीगल है, तो ये फायर एनओसी के लिए कैसे अप्लाई कर सकते थे। बीजेपी यह बताए कि इन्होंने फायर NOC के लिए कहां अप्लाई किया था।
दुर्गेश पाठक ने कहा बिना फैक्ट्री लाइसेंस और फायर NOC वाली औद्योगिक इकाइयों पर कार्रवाई के नॉर्थ एमसीडी के आदेश पर हजारों बार MCD ऐसे आर्डर देती रहती है। ऐसे आर्डर से इनकी लूट का सिस्टम बन जाता है। बीजेपी इसका जवाब दे कि जब कंपनी के पास कमर्शियल लाइसेंस नहीं था, फिर कमर्शियल एक्टिविटी कैसे चलने दी गई। जब बिल्डिंग का नक्शा पास नहीं था, तो फिर उस बिल्डिंग में कैसे काम हो रहा था. जब मॉनिटरिंग कमिटी ने इसे सील कर दिया था और एमसीडी ने उसपर पेनाल्टी भी ले ली थी, तो फिर कैसे उसमें कमर्शियल एक्टिविटी हो रही थी।

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