नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट समेत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से उन फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) उत्पादों को हटाने को कहा है जो रिलायंस इंडस्ट्रीज के ‘रिलायंस’ और ‘ जियो ‘ ट्रेडमार्क का उल्लंघन करते हैं। न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने पिछले हफ्ते एक अंतरिम आदेश में पवन कुमार गुप्ता समेत कई विक्रेताओं को अगली सुनवाई 13 नवंबर तक ‘रिलायंस’ और ‘जियो’ ट्रेडमार्क के तहत FMCG उत्पादों के निर्माण, बिक्री या विज्ञापन करने से रोक दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को रिलायंस और जियो ट्रेडमार्क का दुरुपयोग करके FMCG क्षेत्र में नकली उत्पाद बेचने वाले 21 विक्रेताओं के पेजों को अस्थायी रूप से सूची से हटाने का आदेश दिया। जस्टिस सौरभ बनर्जी ने कहा कि यह विवाद खाद्य उत्पादों से जुड़ा है। ब्रांड नाम के दुरुपयोग से उपभोक्ता सुरक्षा को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में “अधिक सतर्क और कठोर दृष्टिकोण” अपनाया जाना चाहिए।
आदेश में कहा गया, “चूंकि वर्तमान विवाद खाद्य उत्पाद, यानी पोहा से जुड़ा है, जिसे आम तौर पर ग्रामीण और अर्ध-शिक्षित पृष्ठभूमि वाले उपभोक्ताओं सहित उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग खरीदता है। इसके अलावा, प्रतिवादी नंबर 1 से 21 के उत्पाद ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से बेचे जाते हैं, जहां उपभोक्ता वस्तुओं की उत्पत्ति की पहचान के लिए ब्रांड नाम और लोगो पर निर्भर करते हैं। ऐसी परिस्थितियों में यदि ऐसे उत्पादों के बीच किसी भी प्रकार का भ्रम जारी रहता है तो उपभोक्ता की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसलिए ऐसी परिस्थितियों में इस न्यायालय को भ्रम की संभावना का आकलन करने और अधिक सावधानी बरतने के लिए अधिक सतर्क और कठोर दृष्टिकोण अपनाना होगा।”
रिलायंस ने आरोप लगाया कि उसने ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर अपने प्रसिद्ध ‘रिलायंस’ और ‘जियो’ प्रारंभिक ट्रेडमार्क के तहत बिक्री के लिए पेश किए जा रहे उल्लंघनकारी उत्पादों की बड़ी संख्या में लिस्टिंग पाई। उसने दलील दी कि उपरोक्त अधिकांश लिस्टिंग फर्जी नामों और पहचानों के तहत काम करने वाले विक्रेताओं द्वारा पोस्ट की गईं, जिससे उनका पता लगाना, उनकी पहचान करना और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना लगभग असंभव हो गया।
न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादी नंबर 1 से 21 के उत्पादों की समग्र प्रस्तुति ऐसी है कि इससे भ्रम पैदा हो सकता है या उपभोक्ताओं के मन में यह धारणा बन सकती है कि ये उत्पाद रिलायंस/जियो के समान हैं। न्यायालय ने कहा, “प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी नंबर 1 से 21 वादी के ट्रेडमार्क का उपयोग कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रतिवादी नंबर 1 से 21 वादी के ट्रेडमार्क की पूरी तरह से नकल करने के दोषी हैं, जिसके बारे में अनजान ग्राहकों को निश्चित रूप से पता नहीं होगा।” इस प्रकार न्यायालय ने 21 प्रतिवादियों को प्रतिबंधित कर दिया और इंडियामार्ट, मीशो, स्नैपडील आदि सहित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को भी विवादित लिस्टिंग हटाने का निर्देश दिया। इन प्लेटफॉर्म्स को 21 विक्रेताओं के संपूर्ण संपर्क विवरण और बैंक खाते का विवरण भी बताने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही मुकदमा 13 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया।
Case title: Reliance Industries Limited v. Pawan Kumar Gupta & Ors.