Drashta News

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देश

मणिपुर में अराजक हिंसा चरम पर, सेना

थौबल जिले के निवासी जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) कोनसम खेड़ा सिंह का आज (8 मार्च ) सुबह 9 बजे एक वाहन में आए अज्ञात लोगों ने घर से अपहरण कर लिया।Read More

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राजनीति

गणतंत्र का धर्म और श्रीराम की इच्छा

आज भारत की राजनीति प्रथा और परम्पराओं वाले धर्म की बैशाखी पर लंगड़ा रही है। धर्म की इसी बैसाखी का विरोध युगद्रष्टा सरदार भगत सिंह ने किया था। जब राजनीति, धर्म की बैसाखी के सहारे चल रही हो तो, गण और तंत्र का टकराव निश्चित है। Read More

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राजनीति

भारतीय लोकतंत्र को मुठ्ठी में करने की

भारतीय लोकतंत्र को मौजूदा सत्ता हड़पने की पुरजोर कोशिश में लगी है। भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रपंचों और संविधान विरोधी गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं।Read More

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प्रचंड प्रहार

एनडीए के ‘अमृतकाल’ में मणिपुर का सर्वनाश

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने कार्यकाल को 'अमृतकाल' का नाम देकर अमृतमहोत्सव मनवा रहे हैं। और एनडीए मणिपुर के सर्वनाश के बावजूद प्रधानमंत्री के साथ कर्ण की तरह गठबंधन का धर्म निभा रहा है। Read More

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तथ्य और सत्य

नारी ने नारीत्व खो दिया और पुरुष

हम भारतीय अपनी सभ्य संस्कृति का बखान करते नहीं अघाते। हमें अपनी परम्परा और सामाजिक आचार व्यवहार अति प्रिय हैं। यह बातें हम उसी प्रकार करते हैं जैसे विवाहित महिलाएं ससुराल वालों के सामने अपने मायके की तारीफें कर गर्वान्वित महसूस करती हैं। क्या इस तरह के बात-व्यवहार से हमारे सामाजिक दोष समाप्त हो जायेंगे? क्या हमारा दायित्व नहीं हैं कि समाजिक दोषों को दूर करने का प्रयास किया जाय? समय हमारी संस्कृति, सभ्यता, परम्परा, खान-पान और समाजिक व्यवहार सबकुछ बदल देता है यह एक निर्विवाद सत्य है। ज्योति मौर्य और आलोक मौर्य की कहानी पति-पत्नि के बिगड़ते रिश्तों की कहानी नहीं है। न ही मनीष दूबे जैसे कामी प्रवृत्ति वाले चरित्रहीन व्यक्ति की कहानी है। यह कहानी प्रत्येक समय में, प्रत्येक छड़ दोहराई जा रही है। कोई इस कहानी को पितृ सत्तात्मक समाज की देन बता रहा है और ज्योति मौर्या के साथ खड़ा है तो, कोई आलोक मौर्य के साथ। ऐसी सामाजिक परिस्थितियां कई समस्याओं को जन्म देती हैं। और इन समस्याओं से उत्पन्न कई प्रश्न सभ्य मानव समाज के सामने है। क्या करुणा, दया व प्रेम से रहित व्यवहार स्त्री को शोभा देता है? क्या पुरुषों की तरह स्त्रियां भी एक समय में कई पुरुषों के साथ शारीरिक सम्बंध बना सकती हैं? क्या स्त्री को उच्च पद के लिए शिक्षित करना परिवार और समाज के लिए विनाशकारी है ? समाज में पुरुष की बराबरी करना किसी महिला के लिए कितना उचित है? क्या वास्तव में महिला अधिकारों के हनन के लिए पुरुष ही जिम्मेदार है? स्त्रियों के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समृद्धि में समाज का पितृसत्ता कितना बाधक है? एक सभ्य पुरुष एक स्त्री के लिए कैसी सोच रखता है? सामाजिक चिंतकों को सोच समझकर प्रतिक्रिया देना चाहिए ज्योति मौर्य, आलोक मौर्य और मनीष दुबे का चरित्र किसी व्यक्ति या समाज के लिए उदहारण नहीं हो सकता है। और न ही किसी एक घटना का जिक्र कर पूरे समाज को दोषी माना जा सकता है। और सामाजिक दोषों को छूपाया भी नहीं जा सकता है। इस सामाजिक समस्या का दायरा स्त्री और पुरुष के बीच नहीं होना चाहिए । यदि स्त्री और पुरुष के बीच समस्या पर बहस होगी तो, पूरे समाजिक भविष्य का विनाश हो जायेगा। ‘‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’’ अर्थात् ‘‘जननी और जन्म-भूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।’’ पूजनीया महाभागाः पुण्याश्च गृहदीप्तयः। स्त्रियः श्रियो गृहस्योक्तास्तस्माद रक्ष्या विशेषतः।। (महाभारत, 38/11) अर्थात् ‘‘घर को उज्जवल करने वाली और पवित्र आचरण वाली महाभाग्यवती स्त्रियाँ पूजा (सत्कार) करने योग्य हैं, क्योंकि वे घर की लक्ष्मी कही गई हैं, अतः उनकी विशेष रूप से रक्षा करें।’’ द्रष्टा स्त्री और पुरुष के बीच इस बहस को नहीं मानता है। यह एक अति संवेदनशील और व्यहारिक जीवन में प्रतिपल घटने वाली निर्दयी सामाजिक समस्या है। न्याय की तुला पर स्त्री और पुरुष दोनों समान है। ऐसी घटनाओं से मानव में प्राकृतिक गुण क्षमा, दया, करुणा, प्रेम और त्याग का नाश हो जाता है। और समाज अपनी मूल संरचना खो देता है। ऐसी घटनाओं पर मीडिया और सामाजिक चिंतकों को सोच समझकर प्रतिक्रिया देना चाहिए। एक समय में एक ही साथी के साथ सम्बंध ज्योति मौर्य, आलोक मौर्य ,मनीष दुबे और संगीता दुबे की बातें व कार्य स्त्री और पुरुष के बीच रिश्तों की बेकद्री, रोष, और दुर्भावनापूर्ण सामाजिक दोषों को सामने ला रहा है। ‘द्रष्टा’ की नजर में कहानी के यह तीनों पात्र विशेष नहीं है, विशेष है तो केवल इनके कारनामों का उजागर होना है। अध्ययन के लिए बस यही बात महत्वपूर्ण है। पुरुष हो या स्त्री यदि किसी के साथ शारीरिक संबंध के लिए वचन बद्ध नहीं हैं तो, अनेकों के साथ सम्बंध रख सकते हैं। परन्तु, एक समय में एक ही साथी के साथ सम्बंध निभाना उचित है। अदालतें अपने कानून के अनुसार निर्णय लेती है और उसे ही न्याय कहती हैं जबकि, न्याय का आधार सत्य, अहिंसा, प्रेम, त्याग, धैर्य और समर्पण है। और यही मनुष्य का प्राकृतिक स्वभाव है। ‘द्रष्टा’ मानव के प्राकृतिक स्वभाव व व्यवहार पर आधारित इसी न्याय की बात कर रहा है। महिलाओं का हृदय दुर्गुणों से भर जाता है ज्योति मौर्य जैसी सम्मानित पद पाने वाली अनगिनत महिलाओं के मन में अहंकार पैदा हो जाता है। ऐसी महिलाओं का स्वभाव, व्यवहार और दृष्टिकोण परिवार और समाज के प्रति बदल जाता है। वह स्वयं को अन्य व्यक्तियों से अलग दिखने के लिए स्वयं को प्रशिक्षित कर लेती है। सामाज में उच्च स्तर का मान-सम्मान पा कर महिलाओं का हृदय परिवर्तित होने लगता है। कुछ महिलाएं समाज में विनम्र व्यवहार रखती हैं तो, कुछ अन्य महिलाओं और पुरुषों से स्वयं को श्रेष्ठ समझ कर दुर्वव्यवहार करती हैं। श्रेष्ठता के अहंकार में ऐसी महिलाओं का हृदय दुर्गुणों से भर जाता है। वह गलत को ही सही मान बैठती हैं। और महिलाओं के इन्हीं विवेकहीन व्यवहार का लाभ मनीष दुबे जैसे लोग उठाते हैं। सरकारी व गैर सरकारी नौकरियों के लिए प्रशिक्षण ही व्यक्ति में पुरुषत्व प्रधान मानसिकता धारण करने के लिए होता है। इस प्रकार से प्रशिक्षित होने वाली स्त्री हो या पुरुष दोनों के मन में ही श्रेष्ठ बनने की प्रतियोगिता जन्म ले लेती है। पुरुष में पुरुषत्व पहले से ही विद्यमान है। अब स्त्रियां भी ममत्व, देवत्व को छोड़कर समाज में पुरुषों की तरह आचार-व्यवहार अपना रही हैं। कई महिलाएं पुलिस की वर्दी में महिलाओं व पुरुषों के साथ वही व्यवहार कर रही हैं जिस प्रकार का व्यवहार अहंकारी पुरुष करतें हैं। जारी है, शेष अगले अंक में.... Read More

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द्रष्टा स्पेशल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘ क्रूर मौन

यह शब्द किसी व्यक्ति विशेष को अपमानित करने के लिए नहीं कहा जा रहा है। और न हीं केवल प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभी लपेटे में हैं। कारण, झूठे वचन। जनभावनाओं व जनअपेक्षाओं की उपेक्षा करना एक राजनेता को शोभा नहीं देता है। किसी व्यक्ति ने किसी को चाकू मार दिया, किसी गुण्डे ने सामूहिक हत्या की, किसी ने लड़की का रेप किया, किसी समूह ने जायदाद के लिए नरसंहार किया, किसी मनचले ने बड़ी बेदर्दी से किसी लड़की की हत्या की, ऐसी घटनाएं इस देश में पहले भी होती रही हैं और लोग अपने मन -मस्तिष्क को स्वस्थ नहीं रखेंगे तों आगे भी, ऐसी घृणित घटनाएं देखने को मिलेंगी। ऐसी घटनाओं पर टिका टिप्पणी करना एक प्रधानमंत्री के लिए अनिवार्य नहीं है। लेकिन जो अनिवार्य है यह कि देश की जनभावनाओं का कद्र करना। 2014 के बाद कुछ उपरोक्त घटनाओं से अलग एक विशेष तरीके के अपराध और अपराधियों का दबदबा कायम हुआ। और इस दबदबे का असर 2024 तक रहेगा या आगे भी जारी रहेगा यह भविष्य के गर्भ में है। असहिष्णुता, मॉब लिंचिंग, गौरक्षा के नाम पर कु्ररतम हत्याएं, लव जेहाद के नाम पर हत्याएं, मंत्री पुत्र द्वारा किसानों को गाड़ी से कूचलकर मार देना, बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर द्वारा लड़की से बलात्कार करना व उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करना, बीजेपी नेता व मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द का लड़की के साथ बलात्कार करना, बीजेपी सांसद बृजभूष शरण सिंह पर महिला पहलवानों के साथ बलात्कार करने के आरोप पर सत्ता से मदद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मौन इतिहास में दर्ज हो चुका है। उपरोक्त घटनाएं कु्ररता की श्रेणी में आती हैं। और ऐसे अनगिनत घटनाओं ने जनभावनाओं को आहत किया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन असाधारण घटनाओं पर और इनसे जुड़े आरोपियों व अपराधियों पर मौन रहे हैं। मौन रहना अध्यात्मिक कला है। ध्यान-साधना करने वाले साधकों और चिन्तन करने वाले चिन्तकों के लिए मौन आवश्यक है। बोलते समय शब्दों पर पकड़ मजबूत हो और कार्य व्यहवहार के नजदीक भाषण हो इसलिए, नेता कभी-कभी मौन हो जाते हैं। वाद-विवादों से मुक्त रहने वाले व्यक्ति के लिए मौन एक ब्रह्मास्त्र है। परन्तु, मनीपॉवर, मसल पॉवर या सत्ता के बल पर कोई शक्तिशाली व्यक्ति किसी नागरिक के साथ कु्ररता करे तो मौन तोड़ना, अनिवार्य बन जाता है। समाज में कु्ररता बढ़ रही हो और नागरिक चुप रहें तो, वह भी कु्रर समाज के कु्रर मौन नागरिक कहे जायेंगे। बीजेपी सांसद बृजभूष शरण सिंह पर लगे नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण के आरोप जघन्य है। इस घटना से जुड़े किरदार साधारण नहीं हैं। इनकी तुती पूरे विश्व में गुंजती है। बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, पीटी ऊषा और इनके सम्मान में कसीदे गढ़ने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन किरदारों में शामिल हैं। राजनेता के रुप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को भी पूरा विश्व जानता है। लेकिन भावनात्मक लगाव में ये खिलाड़ी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहीं आगे हैं। इन खिलाड़ियों ने देश के लिए खेला है। न केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बल्कि सभी, राजनीतिक दलों के नेताओं ने इनका स्वागत कर, गर्व धारण किया है। देश के नागरिकों ने इनको अपनाया है और इनके सम्मान को हृदय में जगह दी है। देश के नागरिकों को याद रखना चाहिए कि इन खिलाड़ियों के सम्मान की रक्षा करने का वचन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी दिया था। इतने महत्वपूर्ण व्यक्तियों को दिये हुए वचन का पालन न करना, बलात्कार के आरोपी ब्रजभूषण शरण सिंह का साथ देना ही माना जा रहा है। विगत माह से चल रहे पहलवानों के धरना प्रदर्शन में पूरा देश यह जान चुका है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चारित्र्यबल कितना है। बलात्कार के आरोपी ब्रिजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई करने का पहला अधिकार केन्द्र सरकार का था। लेकिन कई दिनों तक खिलाड़ियों के धरना-प्रदर्शन करने के बावजूद केन्द्र सरकार उन्हें न्याय पाने से दूर करती रही। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप करने के बाद दिल्ली पुलिस ने बलात्कार के आरोपी ब्रजभूषण शरण सिंह पर एफआईआर दर्ज किया है। न कि केन्द्र सरकार के कहने पर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वचन उसी दिन भंग हो गया था। नाबालिग लड़की से बलात्कार करने के अपराध में आरोपी ब्रिजभूषण शरण सिंह पर पॉक्सो एक्ट भी लगा है। इसके बावजूद अभी तक आरोपी सांसद ब्रिजभूषण शरण सिंह को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। पहलवानों ने जंतर-मंतर स्थित धरना स्थल पर दिल्ली पुलिस द्वारा उनके साथ मारपीट करने, फब्तियां कसने, डराने-धमकाने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस ने विश्व विख्यात खिलाड़ियों को असंवैधानिक तरीके से धरना स्थल से हटाकर उन्हें अपमानित कर थानों में बैठा दिया। द्रष्टा का मानना है कि देश का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति से जनता की कितनी अपेक्षाएं होती है। इसका इल्म तो, पदासीन व्यक्ति को अवश्य होना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ करके जनभावनाओं को और बल दिया है। ‘मन की बात’ कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रसिद्धि का विशेष चुनावी हथियार भी है। लेकिन कभी भी उपरोक्त घटनाओं को रोकने के लिए मन की बात नहीं की। ऐसी कु्रर घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मौन, कु्ररता के श्रेणी में आता है। इस देश में वैश्या भी अपने स्वाभिमान पर आ जाये तो, रुपये के बदले अपने शरीर का सौदा नहीं करेगी। इस बार 130 करोड़ लोगों के स्वाभिमान पर चोट लगा है। सरकार की योजनाएं और विकास का लालच स्वाभिमानी नागेिरकों के घाव को भरने में सक्षम नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहे जितने भी विकास के डिंगे हांक लें या कंकड़ पत्थर जोड़कर निर्माणकार्यों को विकास का नाम दे दें। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘कु्रर मौन’ जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा है। जिसे देश का स्वाभिमानी नागरिक कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।Read More

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देश

मेरा नाम गांधी है और गांधी किसी

अदाणी मुद्दे से ध्यान भटका रही बीजेपी,भाजपा का बिल्ला अपने सीने पर लगा लीजिए नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी संसद सदस्यता रद्द किये जाने के अगले दिन केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार पर जमकर बरसे। मानहानि मामले में लोकसभा की सदस्यता गंवाने के बाद भाजपा के ओबीसी के अपमान की सियासी आरोपों की बौछारों का सामना कर रहे राहुल गांधी का सब्र इस सवाल को बार-बार दुहराए जाने के बाद टूट गया और यह सवाल पूछने वाले एक पत्रकार को उन्होंने सीने पर भाजपा का बिल्ला लगाकर आने की खरी-खोटी सुना दी। उन्होंने कहा, मुझे जेल में डाल दिया जाए या मारा-पीटा जाए लेकिन मैं सरकार से नहीं डरुंगा। उन्होंने कहा मैं पीएम मोदी और उद्योगपति अडानी के साथ उनके संबंध को लेकर लगातार सवाल पूछता रहुंगा। कांग्रेस मुख्यालय में उनकी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मानहानि के मामले को उनके द्वारा ओबीसी का अपमान करने के भाजपा के आरोपों पर दो पत्रकारों ने अलग-अलग सवाल पूछा लिया था। राहुल गांधी ने दोनों सवालों का जवाब देते हुए सरकार-भाजपा पर अदाणी मुद्दे से ध्यान भटकाने का जवाबी आरोप लगाकर इसे खारिज कर दिया। भाजपा के आरोपों की नैरेटिव को मीडिया में दी जा रही प्रमुखता को भांप रहे राहुल से एक न्यूज चैनल के पत्रकार ने जब तीसरी बार यही सवाल पूछा तब राहुल ने इस पत्रकार को खरी-खरी सुना डाली। उन्होंने कहा 'देखिए आप का पहला अटेंप्ट इधर से आया, दूसरा इधर से और तीसरा प्रयास यहां से आया। आप इतनी डायरेक्टली बीजेपी के लिए काम क्यों कर रहे हो? थोड़ा गुपचुप तरीके से करो यार। थोड़ा घूम-घूमा फिरा कर पूछो। देखो मुस्कुरा रहे हैं। प्लीज अगर आप भाजपा के लिए काम करना चाहते हैं तो भाजपा का बिल्ला अपने सीने पर लगा लीजिए। तब में जिस तरह से जवाब देता हूं उसी तरीके से जवाब दूंगा। फिर आप पत्रकार होने का दिखावा मत करिए। राहुल गांधी ने कहा, देश में लोकतंत्र को खत्म करने के रोज नए-नए उदाहरण मिल रहे हैं। मैंने संसद में स्पीकर को सबूत देकर पूछा, अडानी के पास 20 हजार करोड़ रुपये कहां से आए और बस इसी बात पर इन्होंने मेरी संसद सदस्यता रद्द करवा दी। राहुल गांधी ने पूछा अडानी के पास 20 हजार करोड़ रुपये कहां से आए और प्रधानमंत्री के साथ उनका क्या रिश्ता है? राहुल ने दावा किया, अडानी को ये पैसे एक चीनी व्यापारी ने दिए हैं। अडानी के पास राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई अहम प्रोजेक्ट हैं, इसलिए मुझे देश की सुरक्षा को लेकर भय है। राहुल ने आरोप लगाया, स्पीकर ने उनकी बात नहीं सुनी। उन्होंने कहा मैंने स्पीकर को चिट्ठी लिख कर बताया कि अडानी को एयरपोर्ट नियम बदल कर दिए गये हैं। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। मैंने उनको बदले हुए नियमों की एक कॉपी भी भेजी। राहुल ने कहा, मैंने लंदन में जाकर ऐसी कोई भी बात नहीं की जिससे देश की छवि को नुकसान पहुंचता है। मैंने विदेशी ताकतों से किसी भी तरह की मदद नहीं मांगी। बावजूद इसके केंद्रीय मंत्रियों ने सदन में मुझको लेकर झूठ बोला ताकि अडानी के मुद्दे से ध्यान भटकाया जा सके। लंदन से लौटने के बाद मैंने स्पीकर चिट्ठी लिखकर कहा, मुझे मेरे ऊपर लगे आरोपों का जवाब संसद में देने के लिए अनुमति दी जाए. लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. मैंने स्पीकर से पूछा मुझे संसद में क्यों नहीं बोलने दे रहे हैं, तो वह मुस्कुराए और कहा, मैं यह नहीं करने दे सकता,आइए चाय पीते हैं। राहुल गांधी ने कहा, मैं अडानी पर सवाल पूछना बंद नहीं करूंगा। मैं सरकार से नहीं डरेंगे। मैं इन आरोपों, अदालतों और सजाओं से नहीं डरता, वो जो चाहें कर लें लेकिन मेरा उनसे सवाल पूछना जारी रहेगा। आज के हिंदुस्तान में राजनीतिक पार्टियों को प्रेस से जो सपोर्ट मिलती थी वह अब नहीं मिलती है, लेकिन हम प्रेस के बिना भी जनता के बीच में जाएंगे। मेरी पोजीशन साफ है। यह ओबीसी के अपमान से जुड़ा मामला नहीं है, हम लगातार अडानी और मोदी के रिश्ते के बीच सवाल पूछते रहेंगे। मुझे इस देश ने सब कुछ दिया है। उन्होंने मुझको इज्जत, प्यार और सम्मान दिया है इसलिए मैं अंत तक सिर्फ उनके ही हित की बात करुंगा। मैं देश को धोखा नहीं दे सकता हूं। मैं मेरी लोकसभा क्षेत्र वायनाड के लोगों को पत्र लिखूंगा। वह मेरे परिवार जैसे हैं। राहुल गांधी ने कहा, प्रधानमंत्री मुझसे डरते हैं, मैंने उनकी आंखों में मेरा डर देखा है। वह नहीं चाहते हैं कि मेरा अडानी के ऊपर अगला भाषण संसद में हो इसलिए उन्होंने पहले ध्यान भटकाया और फिर मुझे डिसक्वालीफाई कर दिया। एक सवाल के जवाब में राहुल ने कहा, क्या मैं आपको घबराया हुआ लगता हूं। मुझे मजा आ रहा है। इन लोगों ने मुझे सबसे बड़ा गिफ्ट दिया है। मेरा नाम सावरकर नहीं है, मेरा नाम गांधी है, और गांधी किसी से माफी नहीं मांगता है। मुझे डिसक्वालीफाई करने के बाद उन्होंने मुझे संकेत दे दिया है, लोकतंत्र खत्म हो चुका है। Read More

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प्रचंड प्रहार

 विधान सभा चुनाव 2022 :  क्या जनसमस्याओं को

विधान सभा चुनाव 2022 : प्रश्न-1 ‘द्रष्टा’ की नजर में ”सकारात्मक सोच (पॉजिटिव थिंकिंग  ) रचनात्मकता (क्रिएटीविटी) के लिए अनिवार्य है परन्तु जो झूठ परोसा जा चुका है उसे सकारात्मक सोच (पॉजिटिव थिंकिंग ) से बदला नहीं जा सकता है। इस सत्य को मानने से ही रचनात्मक सोच पैदा होगी।”    भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी […]Read More

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द्रष्टा स्पेशल

आदमखोर सत्ता के पुजारी

SUNDAY, 3 OCTOBER 2021 किसान क्रांति : गरीबों के निवाले भी सियासत, छीन लेती है- पार्ट 6  यह घटना न केवल एक अहंकारी सत्ता के हाथों किसानों को मारे जाने की है और न ही एक बद्जात,   क्रूर आतताई द्वारा गाड़ी से कूचले जाने वाले किसानों की मौत के बारे में है। बल्कि यह घटना […]Read More

देश

दिल्ली के कई अस्पतालों और तिहाड़ जेल

राष्ट्रीय राजधानी के कई अस्पतालों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। तिहाड़ जेल को भी बम से उड़ाने का धमकी भरा ई-मेल मिला है, जिसके बाद तिहाड़ जेल प्रशासन अलर्ट पर है। Read More

राजनीति

नरेन्द्र मोदी 4 जून के बाद नहीं

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को दावा किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' की आंधी हर जगह है और नरेन्द्र मोदी 4 जून के बाद प्रधानमंत्री नहीं होंगे।Read More

सोशल मीडिया

भारत में 1.8 लाख से अधिक अकाउंट

एक्स कॉर्प ने 26 मार्च से 25 अप्रैल के बीच भारत में 184,241 अकाउंट पर बैन लगा दिया। इनमें से अधिकांश अकाउंट बाल यौन शोषण और अश्लीलता को बढ़ावा देने से जुड़े थे।Read More