– बिल में डिजिटल नागरिक को अपनी सूचना लेने, अपने निजी डाटा को ठीक करने या डिलीट करवाने, शिकायत का निपटान करने का अधिकार दिया गया है।
-डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड स्वतंत्र एजेंसी के रूप में काम करेगी। किसी व्यक्ति का डाटा लीक हो जाता है और उससे उसको नुकसान होता है तो उस व्यक्ति को क्षतिपूर्ति का दावा सिविल कोर्ट में करना होगा।
-जिस संस्था से गलती हो जाती है वह चाहे तो स्वैच्छिक रूप से गलती स्वीकारते हुए जुर्माना भर सकता है। उसके खिलाफ फिर कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
-विशेष परिस्थिति में सरकार बिना इजाजत कर सकेगी डाटा का इस्तेमाल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद जारी हो जाएगी अधिसूचना। सरकार विशेष परिस्थिति में बिना इजाजत के डाटा का इस्तेमाल कर सकेगी।
नई दिल्ली। निजी डाटा की असुरक्षा को लेकर नागरिकों में भय व्याप्त है। सरकार भी डाटा के गलत इस्तेमाल को रोकने में अभी तक असक्षम रही है। इसे रोकने के लिए सोमवार को लोकसभा ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 पारित कर दिया था। बुधवार को डिजिटल निजी डाटा सुरक्षा (DPDP) बिल राज्य सभा से भी पारित हो गया है। पिछले सप्ताह यह बिल लोक सभा से भी पारित हो चुका है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसे लागू करने के लिए अधिसूचना जारी होगी।
केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट हुआ था सख्त
वॉट्सऐप प्राइवेसी पॉलिसी 2021 को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को केंद्र सरकार ने बताया था कि नया डाटा संरक्षण विधेयक तैयार है और संसद के मानसून सत्र के दौरान इसे पेश किया जाएगा। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा कि इसके परामर्श की एक लंबी प्रक्रिया है, इसमें समय लगता है, हम एक अच्छा कानून चाहते हैं। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ को बताया कि विधेयक तैयार है। पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेष रॉय, न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार भी हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि मामले को मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के समक्ष रखा जाए ताकि एक नई पीठ का गठन किया जा सके क्योंकि न्यायमूर्ति जोसेफ 16 जून को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इसके बाद मामले को अगस्त 2023 के पहले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।
उल्लंघन करने वाली संस्थाओं पर कितना जुर्माना ?
यह बिल डेटा को संभालने और संसाधित करने वाली संस्थाओं के दायित्वों के साथ-साथ व्यक्तियों के अधिकारों को निर्धारित करता है। नियम का उल्लंघन करने पर डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड को शिकायत की जा सकेगी। बोर्ड नियम तोड़ने के बदले 250 करोड़ तक का जुर्माना कर सकेगा और दो बार ऐसा करने पर बोर्ड की सिफारिश पर डिजिटल प्लेटफार्म को सरकार ब्लाक भी कर सकेगी।
विशेष परिस्थितियों को छोड़कर सरकार पर भी समान नियम लागू
सरकार विशेष परिस्थिति में जैसे कि प्राकृतिक आपदा, राष्ट्रीय सुरक्षा व डाटा रिसर्च के लिए बिना इजाजत के डिजिटल डाटा का इस्तेमाल कर सकेगी। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद जारी हो जाएगी अधिसूचना। अन्य परिस्थिति में सरकार पर भी समान नियम लागू होंगे। लेकिन इनोवेशन के लिए विशेष छूट का प्रविधान रखा गया है ताकि डाटा सुरक्षा नियम की वजह से इनोवेशन प्रभावित नहीं हो। इसके लिए रेगुलेटरी सैंडबाक्स बनाया जाएगा और इनोवेशन का काम पूरा होने पर इनोवेशन वाले स्टार्टअप्स को भी DPDP का पालन करना होगा।
अश्विनी वैष्णव ने बिल को राज्य सभा में पेश किया
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बिल को राज्य सभा में पेश करते हुए कहा कि इस बिल में डिजिटल सेवा का इस्तेमाल करने वाले लोगों को शक्तिशाली बनाया गया है और डिजिटल निजी डाटा का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों पर कई प्रकार की जिम्मेदारी डाली गई हैं। बिल में डिजिटल नागरिक को अपनी सूचना लेने, अपने निजी डाटा को ठीक करने या डिलीट करवाने, शिकायत का निपटान करने का अधिकार दिया गया है।
डाटा को स्टोर करने की इजाजत नहीं देता
इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि इस बिल के कानून बनते ही सभी प्लेटफार्म को उन सभी नागरिकों को ईमेल या फोन से यह सूचित करना पड़ेगा कि उनका डाटा उनके पास है। अगर डिजिटल नागरिक उस डाटा को स्टोर करने की इजाजत नहीं देता है तो उस डाटा को उन्हें डिलीट करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि किसी भी डाटा का कलेक्शन बिना नागरिक की मंजूरी के नहीं होगा। डाटा उतना ही लिया जाएगा जितनी जरूरत होगी। जिस उद्देश्य के लिए डाटा लिया जा रहा है, उसकी पूर्ति के बाद प्लेटाफार्म उस डाटा को अपने पास नहीं रख सकेगा। डाटा किसी और को नहीं दिया जा सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार करार दिया था
चंद्रशेखर ने कहा कि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार करार दिया था और इस संबंध में कानून लाने के लिए कहा था। वर्ष 2018 में डाटा प्रोटेक्शन बिल का ड्राफ्ट तैयार किया गया और वर्ष 2019 में इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया। समिति से बिल के आने के बाद उनकी सिफारिश के आधार पर डीपीडीपी बिल तैयार किया गया। अब तक भारत में डाटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं था। उन्होंने बताया कि इस बिल के कानून बनने के बाद फेसबुक जैसे प्लेटफार्म भी आपकी तस्वीर, आपके डाले गए कंटेंट का इस्तेमाल किसी रिसर्च या पोल के लिए नहीं कर सकेंगे। अभी इस प्रकार के प्लेटफार्म लोगों के डिजिटल कंटेंट का इस्तेमाल चुनावी रुख तक जानने में करते हैं।
जुर्माना भर देने के बाद नहीं चलेगा मुक़दमा
डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को देशवासियों के लिए जरूरी माना जा रहा है। दरअसल अब तक कहीं भी रजिस्ट्रेशन करते वक्त संबंधित कंपनी या प्लेटफॉर्म को हम अपना पर्सनल डाटा यूज करने की अनुमति देते हैं। इसमें कंपनी और यूजर के बीच इस तरह की स्थिति स्पष्ट नहीं होती है कि इस डाटा का प्रयोग कंपनी कैसे करेगी।
डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड स्वतंत्र एजेंसी के रूप में काम करेगी। किसी व्यक्ति का डाटा लीक हो जाता है और उससे उसको नुकसान होता है तो उस व्यक्ति को क्षतिपूर्ति का दावा सिविल कोर्ट में करना होगा। जिस संस्था से गलती हो जाती है वह चाहे तो स्वैच्छिक रूप से गलती स्वीकारते हुए जुर्माना भर सकता है। उसके खिलाफ फिर कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।