मणिपुर में हुई क्रूर हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

मणिपुर में हुई हिंसा और महिलाओं के साथ हुए दरिंदगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति बनाकर जांच करने की मांग की गई है। साथ ही वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गयी याचिका में चार हफ्ते के भीतर यौन उत्पीड़न की घटनाओं, कानून और व्यवस्था की वर्तमान स्थिति की CBI से जांच की मांग की गई है।

DrashtaNews

-याचिका में 4 हफ्ते के भीतर यौन उत्पीड़न की घटनाओं, कानून और व्यवस्था की वर्तमान स्थिति की CBI से  जांच की मांग की गई है।

नई दिल्ली । मणिपुर में हुई हिंसा और महिलाओं के साथ हुए दरिंदगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति बनाकर जांच करने की मांग की गई है। साथ ही वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गयी याचिका में चार हफ्ते के भीतर यौन उत्पीड़न की घटनाओं, कानून और व्यवस्था की वर्तमान स्थिति की CBI से  जांच की मांग की गई है।

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दरसल, मणिपुर का एक वीडियो वायरल होता है। जिसमें भीड़ दो कुकी महिलाओं को निवस्त्र कर सड़क पर परेड कराती नजर आई। कुछ लोग उनसे अश्लील हरकतें करते दिखे। इसे देख कलेजा कांप गया। वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र और मणिपुर सरकार को अल्टीमेटम दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और एसजी तुषार मेहता को तलब कर ,अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में अदालत को अवगत कराने को कहा था। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने घटना के संबंध में गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकारों को अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए वरना अदालत दखल देगी।

हिंसा फैलने के संबंध में निष्क्रियता

विशाल तिवारी ने याचिका में ललिता कुमारी के मामले में निर्धारित कानून का पालन करने में विफल रहने के लिए राज्य एजेंसियों को “कर्तव्य में लापरवाही” के लिए निर्देश जारी करने की भी मांग की है। याचिकाकर्ता ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों पर उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में हाईकोर्ट के आदेश पर हिंसा फैलने के संबंध में निष्क्रियता का आरोप लगाया है।

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को ‘अनुसूचित जनजाति’ का दर्जा देने पर विचार करने का निर्देश दिया था। याचिका के मुताबिक सरकारों ने मैतेई, कुकी और नागा समुदायों के बीच हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कोशिश नहीं की। याचिकाकर्ता ने कहा, “यूरोपीय संसद जैसे विदेशी अंतरराष्ट्रीय फोरम में भी इस मामले पर चर्चा हुई। लेकिन भारतीय संप्रभु मशीनरी इस पर चुप है। न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार ने कोई उचित कदम उठाया।

घटनाएं लोकतंत्र को ख़त्म कर देगी

याचिका में  कहा गया है, मणिपुर में कानून के शासन और भारतीय संविधान के दर्शन का उल्लंघन हुआ है। मणिपुर के विभिन्न जिलों जैसे चुराचांदपुर, इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर में हिंसा और आगजनी की सूचना मिली है। महिलाओं का रेप हो रहा है। यौन उत्तपीड़न हो रहा है। राज्य में छेड़छाड़, गोलीबारी, बम विस्फोट, दंगों के मामले सामने आए हैं। संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 मानवाधिकार उल्लंघन पर रोक लगाते हैं। इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र को ख़त्म कर देगी।”

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याचिका में कहा गया कि मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया पर इस घटना को अपहरण, गैंगरेप और मर्डर का केस बताया है। जब पुलिस के सामने कोई संज्ञेय अपराध की जानकारी आती है तो पुलिस का कर्तव्य है कि वो FIR दर्ज करे। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने CBI को मणिपुर में चल रही हिंसा के संबंध में FIR दर्ज करने, पीड़ितों के बयान दर्ज करने, जांच शुरू करने और चार्जशीट तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की है।

इस घटना को “पूरी तरह से अस्वीकार्य” बताते हुए CJIने आगे कहा कि लैंगिक हिंसा को कायम रखने के लिए सांप्रदायिक संघर्ष के क्षेत्र में महिलाओं को एक साधन के रूप में इस्तेमाल करना मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन और अतिक्रमण है। उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वीडियो हालिया है और मई का है।

केस टाइटल

विशाल तिवारी बनाम भारत संघ | रिट याचिका (आपराधिक) संख्या ऑफ 2023

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