दिल्ली सरकार के हाथ में प्रसाशनिक नियंत्रण मिलते ही वरिष्ठ नौकरशाह को लगा डर सताने

नई दिल्ली। बुजुर्ग नौ वर्षीय आशीष मोरे ने दिल्ली के सौर मंत्री भारद्वाज के खिलाफ मुख्य सचिव और उपराज्यपाल से गैर-जिम्मेदाराना आरोप लगाते हुए शिकायत की है। इस पर आम आदमी पार्टी ने कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए उपराज्यपाल की ओर से साजिश रची जाने का आरोप लगाया है। आशीष मोरे को 11 मई को दिल्ली की सेवा के सचिव के पद से हटा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि गैरों के स्थानांतरण और पोस्टिंग पर उपराज्यपाल का नहीं बल्कि दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा, कुछ ही घंटों बाद पद से हटा दिया गया था। आशीष मोरे ने आरोप लगाया कि 16 मई को मंत्री ने उन्हें अपने चेंबर में बुलाकर बदलालू की और धमकी दी। मोरे ने इस मामले में सरकार से कार्रवाई की मांग की है और अपने लिए सुरक्षा की मांग की है। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने अधिक आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "अगर वह दावा करते हैं कि मैंने उन पर शारीरिक हमला किया है, तो हम क्या कर सकते हैं।" उन्होंने दोहराया कि सरकार की ओर से भेजे गए और पत्रों ने उन्हें स्वीकार नहीं किया, भले ही वे अपने आवास पर हों। मंत्री ने बताया कि अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले के दिन ही घोषणा कर दी थी कि अधिकारियों में बड़े-बड़े अधिकारी काम करेंगे और जो लोग सार्वजनिक कार्यों में बाधा आएंगे उन्हें हटा देंगे, ताकि बेहतर अधिकारियों को लाया जा सके। भारद्वाज ने कहा, "मैंने 11 मई को ही सेवा सचिव को बदलने का फैसला किया, और वे गायब हो गए। वे कुछ दिनों बाद वापस और तलमटोल करने लगे। आखिरकार हमने उप राज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना को इससे संबंधित प्रस्ताव भेजा। लेकिन उन्होंने अभी तक उसे मौज़ूद नहीं दिया।" मंत्री ने कहा कि उनके सूत्रों ने उन्हें सूचित किया है कि उप राज्यपाल कॉल द्वारा अधिकारियों को "धामकी" दे रहे हैं, उन्हें निर्देश दे रहे हैं कि वे सभी कुछ जिम्मेदारी पर बने रहें क्योंकि केंद्र जल्द ही इस (अधिकाधिकारियों की पोस्टिंग और स्थानांतरण पर नियंत्रण) ) पर एक यादगार। सौरभ भारद्वाज ने कहा, "आज हमारे सभी मंत्री उप राज्यपाल से मिलने जाएंगे और उनसे पूछेंगे कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को क्यों नहीं मान रहे हैं। वे फाइल पास क्यों नहीं कर रहे हैं।" दिल्ली की जिम्मेदारी और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर पर सौरभ भारद्वाज के दावों को दोहराया। उन्होंने ट्वीट किया, ''एलजी सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्यों नहीं मान रहे? दो दिन से सैकड़ों क्रेटरी की फाइल साइन क्यों नहीं की? कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का अगला फैसला आर्डिनेंस लाकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलटने वाला है? क्या केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने की साज़िश कर रही है? क्या एलजी साहिब आर्डिनेंस का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए फाइल साइन नहीं कर रहे हैं?'' अशोक मोरे को चार दिन पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। तब उन्हें अपना पद वापस लेने के लिए कहा गया था। नौवें मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मोरे ने अप्रत्याशित रूप से छोड़ दिया और अपना फोन बंद कर दिया। बयान में कहा गया है कि, "मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सेवा सचिव आशीष मोरे को सेवा विभाग के सचिव के पद पर एक नए अधिकारी के स्थानांतरण के लिए फाइल पेश करने का निर्देश दिया। हालांकि, आशीष मोरे ने अप्रत्याशित रूप से मंत्री के रूप में घोषणा की। सूचित किए बिना विचार छोड़ दिया। वे बाहर पहुंच गए और उनका फोन भी स्विच ऑफ हो रहा था। अधिक मंत्रालय की ओर से "राजनीतिक रूप से तटस्थ" नहीं होने का भी आरोप लगाया गया है।

DrashtaNews

-IAS अफसर आशीष मोरे ने सुरक्षा मांगी

नई दिल्ली। वरिष्ठ नौकरशाह आशीष मोरे ने दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज के खिलाफ मुख्य सचिव और उपराज्यपाल से दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत भेजी है। इस पर आम आदमी पार्टी ने अदालत के फैसले को पलटने के लिए उपराज्यपाल की ओर से साजिश रची जाने का आरोप लगाया है। आशीष मोरे को 11 मई को दिल्ली के सेवा सचिव के पद से हटा दिया गया था। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले, जिसमें कहा गया था कि नौकरशाहों के स्थानांतरण और पोस्टिंग पर उपराज्यपाल का नहीं बल्कि दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा, के कुछ घंटों बाद पद से हटाया गया था।

आशीष मोरे ने आरोप लगाया है कि 16 मई को मंत्री ने उन्हें अपने चेंबर में बुलाकर बदसलूकी की और धमकी दी। मोरे ने इस मामले में सरकार से कार्रवाई की मांग की है और अपने लिए सुरक्षा की मांग की है। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मोरे के आरोप को खारिज करते हुए कहा, “अगर वह आरोप लगाते कि मैंने उन पर शारीरिक हमला किया, तो हम क्या कर सकते हैं।” उन्होंने अपना आरोप दोहराया कि मोरे ने सरकार की ओर से उन्हें भेजा गया पत्र स्वीकार नहीं किया, भले ही वे अपने आवास पर थे।

मंत्री ने बताया कि अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले के दिन ही घोषणा कर दी थी कि अधिकारियों में बड़ा फेरबदल किया जाएगा और जो लोग सार्वजनिक कार्य में बाधा डालते हुए पाए जाएंगे उन्हें हटा दिया जाएगा, ताकि बेहतर अधिकारियों को लाया जा सके।

भारद्वाज ने कहा, “हमने 11 मई को ही सेवा सचिव को बदलने का फैसला किया, और वे गायब हो गए। वे कुछ दिनों के बाद लौटे और टालमटोल करने लगे। आखिरकार हमने उप राज्यपाल (LG) वीके सक्सेना को इससे संबंधित प्रस्ताव भेजा, लेकिन उन्होंने उसे अभी तक मंजूरी नहीं दी।”

मंत्री ने कहा कि उनके सूत्रों ने उन्हें सूचित किया है कि उप राज्यपाल कॉल करके अधिकारियों को “धमकी” दे रहे हैं, उन्हें निर्देश दे रहे हैं कि वे सब कुछ स्थगित करते रहें क्योंकि केंद्र जल्द ही इस (अधिकारियों की पोस्टिंग और स्थानांतरण पर नियंत्रण) पर एक अध्यादेश लाएगा।  सौरभ भारद्वाज ने कहा, “हमारे सभी मंत्री आज उप राज्यपाल से मिलने जाएंगे और उनसे पूछेंगे कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को क्यों नहीं मान रहे हैं। वे फाइल पास क्यों नहीं कर रहे हैं।” दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर पर सौरभ भारद्वाज के दावे दोहराए।

उन्होंने ट्वीट किया, ”एलजी साहिब सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्यों नहीं मान रहे ? दो दिन से सर्विसेज़ सेक्रेटरी की फाइल साइन क्यों नहीं की? कहा जा रहा है कि केंद्र अगले हफ़्ते आर्डिनेंस लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने वाली है ? क्या केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने की साज़िश कर रही है? क्या एलजी साहिब आर्डिनेंस का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए फाइल साइन नहीं कर रहे?”

आशीष मोरे को चार दिन पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। तब उनसे अपना पद छोड़ने के लिए कहा गया था। सर्विसेज मिनिस्टर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि, मोरे ने अप्रत्याशित रूप से सचिवालय छोड़ दिया और अपना फोन बंद कर दिया।

बयान में कहा गया है कि, “मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सेवा सचिव आशीष मोरे को सेवा विभाग के सचिव के पद पर एक नए अधिकारी के स्थानांतरण के लिए फाइल पेश करने का निर्देश दिया। हालांकि, आशीष मोरे ने अप्रत्याशित रूप से मंत्री के दफ्तर को सूचित किए बिना सचिवालय छोड़ दिया। वे पहुंच से बाहर हो गए और उनका फोन भी स्विच ऑफ रहा।” मोरे पर मंत्रालय की ओर से “राजनीतिक रूप से तटस्थ” नहीं होने का भी आरोप लगाया गया है।

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