मोरबी। गुजरात के मोरबी शहर में एक झूला पुल के टूटने के कुछ महीने बाद राज्य सरकार ने मंगलवार को शहर की नगरपालिका को भंग कर दिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। पिछले साल 30 अक्टूबर को हुए इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी। नगरपालिका पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का नियंत्रण था, जो राज्य में सत्तारूढ़ दल है। मोरबी के जिलाधिकारी जी टी पांडया ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने मोरबी नगरपालिका को भंग कर दिया है।”
मोरबी पुल दुर्घटना मामले में सरकार ने नगर पालिका अध्यक्ष को कारण नोटिस जारी किया था। इसमें पूछा गया था कि पालिका को क्यों नहीं बर्खास्त किया जाए। मोरबी शहर में मच्छु नदी पर स्थित झूला पुल का रखरखाव और संचालन ओरेवा ग्रुप नगरपालिका के साथ हस्ताक्षरित एक समझौते के तहत कर रहा था। जनवरी में, राज्य के शहरी विकास विभाग ने नगरपालिका को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में नाकाम रहने के चलते उसे क्यों ना भंग कर दिया जाए। उल्लेखनीय है कि मोरबी नगरपालिका के सभी निर्वाचित 52 पार्षद भाजपा के थे।
जांच में सामने आ चुका है कि जब हादसा हुआ, उस दिन ओरेवा ग्रुप ने 3,165 टिकट बेचे थे, केबल में जंग लगी थी। एंकर की ठीक से मरम्मत नहीं हुई। जिन्होंने मरम्मत की, वे नट-बोल्ट ढीले छोड़ गए। मोरबी पुल का मैनेजमेंट संभाल रहे लोगों को ट्रेनिंग नहीं दी गई थी कि पुल पर कितने लोगों को जाने देना है।
इस हादसे में ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक (MD) जयसुख पटेल के खिलाफ गुजरात की एक अदालत में सप्लीमेंटरी चार्जशीट दाखिल किया गया है। पटेल के वकील हरेश मेहता ने बताया कि पुलिस ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एम. जे. खान की अदालत में सप्लीमेंटरी चार्जशीट दायर किया।