इंदौर। कई पार्टियां सालों से ब्लैकमनी को व्हाइट में बदल रही हैं। आयकर विभाग ने राजनीतिक दलों को चंदा देकर आयकर छूट हासिल करने के फर्जीवाड़े में ताबड़तोड़ नोटिस जारी किए हैं। चार दिनों में इंदौर में ही 500 से ज्यादा करदाताओं को आयकर ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। विभाग ने छूट निरस्त कर ब्याज और पेनाल्टी वसूलने की चेतावनी भी दी है।
गुजरात में बीते साल पड़े छापे से मिली जानकारी कार्रवाई का आधार बनी है। विभाग को शक है कि करदाताओं ने चुनिंदा राजनीतिक दलों को चंदा देकर पहले आयकर छूट हासिल कर ली, बाद में थोड़ा-सा कमीशन देकर चंदे की उस राशि को वापस हासिल कर लिया। इस तरह सरकार को टैक्स की चपत तो लगाई ही गई, ब्लैक मनी भी खड़ी कर ली गई।
आयकर विभाग ने फर्जीवाड़े में 23 राजनीतिक दलों को चिह्नित किया है। सभी दल गुजरात से पंजीकृत बताए जा रहे हैं। इंदौर और देशभर में कुछ कर सलाहकार इनके एजेंट के रूप में काम करते थे। सीए ब्रांच इंदौर के पूर्व अध्यक्ष पंकज शाह के अनुसार आयकर अधिनियम 1961 में राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे पर धारा 80जीजीबी और 80जीजीसी में छूट दी जाती है।
खास बात है कि अन्य ट्रस्ट या परमार्थिक कार्यों के लिए दान पर आय के अनुपात में सीमित छूट मिलती है, लेकिन राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान की पूरी राशि पर छूट दी जाती है। चार्टर्ड अकाउंटेंट और भाजपा व्यवसायिक प्रकोष्ठ के सहसंयोजक स्वप्निल जैन के अनुसार यह सरकार का सही कदम है। इससे ईमानदार करदाता प्रोत्साहित होंगे और कालेधन पर अंकुश लगेगा।इन दलों के दान को माना बोगस
भारतीय राष्ट्रीय तंत्र पार्टी, राष्ट्रवादी जनता राज पार्टी, नवसृजन भारत पार्टी, जनतावादी कांग्रेस पार्टी, सत्य कल्याण पार्टी, भारतीय जनक्रांति दल (डेमोक्रेटिक), अपना देश पार्टी, राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी (सेक्युलर), सरदार वल्लभभाई पटेल पार्टी, लोक कल्याण पार्टी, राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी, जनसंघर्ष विराट पार्टी, युवा जनजागृति पार्टी, सौराष्ट्र जनता पक्ष, मदरलैंड नेशनल पार्टी, लोकतंत्र जागृत पार्टी, भारतीय किसान परिवर्तन पार्टी, राष्ट्रीय कौमी एकता पार्टी, लोकशाही सत्ता पार्टी, गर्वी गुजरात पार्टी, इंडियन सवर्ण समाज पार्टी, जनमन पार्टी व गुजरात जनता पंचायत पार्टी।
मोदी के फैसले पर उठ चुके हैं सवाल
नोट बंदी के मोदी के फैसले पर सवाल उठ चुके हैं। जनता नोट बदलवाने के लिए लंबी कतारों में खड़ी है और पॉलिटिकल पार्टियों को चंदे पर करोड़ों रुपये के टैक्स की छूट है। देश के पूर्व इलेक्शन कमिश्नर एसवाई कुरैशी ने कहा था कि पॉलिटिकल पार्टियों से पैसों का ब्योरा नहीं लिया जाता। देश में 2000 पॉलिटिकल पार्टियां हैं। 2003 के बाद पॉलिटिकल पार्टियां मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ीं हैं।
– एसवाई कुरैशी का कहना था कि 2003 के बाद से पॉलिटिकल पार्टियां हवाला से जुड़ गईं। इन्होंने अपने आपको बचा लिया।
– मोदी की नजर उन नेताओं, ब्यूरोक्रेट और राजनीतिक दलों पर नहीं पड़ी, जिनकी हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन, चंदा व दूसरे सोर्सेस से होने वाली इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता।
– इनके पास 80% पैसा कहां से आता है, किसी को नहीं पता। एमपी में नेशनल, स्टेट लेवल, रीजनल व अन्य मिलाकर कुल 51 पार्टियां चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड हैं।
– आयकर अधिनियम की धारा 13-ए में राजनीतिक दलों को टैक्स से छूट मिली हुई है।
– पीएम को बजट से पहले एसौचेम ने कहा था कि पॉलिटिकल पार्टीज को मिलने वाले बेनामी चंदे पर भी कर लगाया जाए, मोदी सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
– एसवाई कुरैशी ने कहा था कि , “कई राजनीतिक दल तो मनी लॉन्ड्रिंग की फैक्ट्री बन गए हैं। यह चंदा लेते तो करोड़ों में है पर इसको ‘पेटी कैश डिपॉजिट’ के नाम पर दिखाते हैं।
कई पार्टियां सालों से ब्लैकमनी को व्हाइट में बदल रही हैं
– दलों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कई पार्टियां सालों से ब्लैकमनी को व्हाइट में बदल रही हैं।
– छूट का लाभ लेने के लिए पार्टियों को भारतीय लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29(ए) के तहत रजिस्टर्ड होना जरूरी है।
– देशभर में रजिस्टर्ड ज्यादातर पार्टियों ने चुनाव ही नहीं लड़ा, लेकिन उनको वह सब फैसेलिटीज मिलती हैं, जो नेशनल या स्टेट लेवल पार्टियों को मिलती हैं।
– वर्ष 1971 में गठित वांचू समिति ने भी ब्लैकमनी को लेकर कई सवाल उठाए थे और चिंता जताई थी।
– RTI के जरिए लोगों ने मोदी सरकार से इस पर लगाम लगाने को कहा मगर नतीजा नहीं निकला।
2100 करोड़ चंदा मिला 2004 से 2015 के बीच
– एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के मुताबिक 2004 से 2015 के बीच हुए 71 विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को 2100 करोड़ का नकद चंदा मिला।
– पिछले लोकसभा चुनाव में आयोग को 300 करोड़ बिना सोर्स का नकद मिला था।
80% पैसा कहां से आता है, किसी को नहीं पता
– पार्टियों की हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन, चंदा व अन्य स्रोत से आय पर नहीं लगता टैक्स।
– पॉलिटिकल पार्टियां दल हजारों करोड़ रुपए की आय को अपने इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाती हैं, पर आयकर नहीं देतीं।
– कानून कहता है कि टैक्स से छूट तभी मिलेगी जब दल चुनावी चंदे का ब्योरा चुनाव आयोग को देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
– एडीआर के अनुसार देश के पांच राष्ट्रीय दलों की 80 फीसदी आय ‘अज्ञात स्रोतों’ से हो रही है।
– यह जानकारी चुनाव आयोग में जमा किए गए पांच पार्टियों के इनकम टैक्स रिटर्न के आधार पर है।
‘पॉलिटिकल पार्टियों का ऑडिट हो’
– एसवाई कुरैशी का कहना है कि पॉलिटिकल पार्टीज का इंडिपेंडेंट ऑडिटर ही ऑडिट करें, जिसे वेबसाइट पर डाला जाए।
– उनका कहना है कि ‘पार्टियों को मिलने वाले चंदे पर इनकम टैक्स लगना चाहिए। जनता को जानने का हक है कि पार्टियों को चंदा कौन दे रहा है और कितना दे रहा है।’
‘भाजपा ने पहले ही जमा कराए नोट’
– सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि बीजेपी ने अपने लोगों को नोट बंद करने के बारे में पहले ही बता दिया था।
– प्रशांत भूषण ने कहा, ‘ घोषणा के पहले ही भाजपा की बंगाल इकाई ने एक करोड़ रु. (500 और 1000 के नोट में) बैंक में जमा किए। कई ने रियल एस्टेट और स्टॉक मार्केट में पैसा लगा दिया।’