नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को दिल्ली में DGP-IGP के वार्षिक सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस सम्मेलन का उद्देश्य मजबूत आंतरिक सुरक्षा के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार कर गैंगस्टर-आतंकवादी गठजोड़ के साथ-साथ साइबर सुरक्षा सहित अन्य प्रमुख मुद्दों पर कार्रवाई करना है।
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम दिल्ली के पूसा संस्थान में शुरू हुआ। देशभर के पुलिस बलों के साथ-साथ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार और रविवार को गृह मंत्री की उपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।
PM मोदी पुलिस महानिदेश (DGP) और महानिरीक्षकों के सम्मेलन में 21 और 22 जनवरी को शामिल होंगे। 3 दिन चलने वाले इस सम्मेलन में PM मोदी के शिरकत करने की सूचना PMO द्वारा दी गई है। इस सम्मेलन का आयोजन राजधानी दिल्ली के पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में हो रहा है। सम्मेलन में साइबर अपराध, मादक पदार्थों के खिलाफ जंग, आतंकवाद से निपटने की चुनौतियों और वामपंथी उग्रवाद सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
PMO ने अपने एक बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21-22 जनवरी को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर, पूसा में पुलिस महानिदेशकों और महानिरीक्षकों के अखिल भारतीय सम्मेलन-2022 में भाग लेंगे। खास बात ये है कि इस सम्मेलन का आयोजन डिजिटल माध्यम से किया जा रहा है। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के DGP, केंद्रीय सशस्त्र बलों व केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुखों सहित करीब 100 प्रतिनिधि सम्मेलन में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होंगे, जबकि अन्य डिजिटल माध्यम से जुड़ेंगे।
PMO ने कहा कि सम्मेलन में साइबर अपराध, पुलिसिंग में प्रौद्योगिकी, आतंकवाद से निपटने की चुनौतियों, वामपंथी उग्रवाद, क्षमता निर्माण, जेल सुधार सहित कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। यह सम्मेलन पहचान किए गए विषयों पर जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पुलिस और खुफिया अधिकारियों को शामिल करते हुए व्यापक विचार-विमर्श की परिणति है.
प्रत्येक विषय के तहत राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की सर्वोत्तम प्रथाओं को सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि राज्य एक-दूसरे से सीख सकें। PMO ने कहा कि 2014 से प्रधानमंत्री DGP सम्मेलन में गहरी दिलचस्पी लेते रहे हैं और पहले के प्रधानमंत्रियों की प्रतीकात्मक उपस्थिति के विपरीत वह सम्मेलन के सभी प्रमुख सत्रों में बैठते हैं। प्रधानमंत्री न केवल सभी सुझावों को धैर्यपूर्वक सुनते हैं, बल्कि स्वतंत्र और अनौपचारिक चर्चाओं को भी प्रोत्साहित करते हैं, ताकि नए विचार सामने आ सकें।
PMO की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है, ताकि वे देश को प्रभावित करने वाले प्रमुख पुलिसिंग और आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों पर सीधे प्रधानमंत्री को जानकारी और सुझाव दे सकें। इसके अलावा, प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप सम्मेलन ने पुलिसिंग और सुरक्षा से जुड़े भविष्य के विषयों पर चर्चा शुरू की है, ताकि न केवल वर्तमान समय में सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके, बल्कि उभरते मुद्दों और चुनौतियों का सामना करने के लिए क्षमता विकसित की जा सके.