सड़कों पर नहीं होगा जनसभाओं और रैलियों का आयोजन -आंध्र प्रदेश सरकार

नेल्लोर। जन सुरक्षा का हवाला देते हुए आंध्र प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग सहित सड़कों पर जनसभाएं और रैलियों पर रोक लगा दी है। सरकार का यह आदेश मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा पिछले सप्ताह कंदुकुरु में आयोजित एक रैली में हुई भगदड़ के बाद आया है, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी। सरकार ने निषेधाज्ञा आदेश पुलिस कानून, 1861 के प्रावधानों के तहत ये आदेश 1 जनवरी की देर रात को लागू किया है। सरकार ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि सार्वजनिक सड़कों और सड़कों पर एक सार्वजनिक सभा आयोजित करने का अधिकार पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के अनुसार ही नियमन का विषय है। शासनादेश में प्रधान सचिव (गृह) हरीश कुमार गुप्ता ने संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस तंत्र को जनसभाओं के संचालन के लिए सार्वजनिक सड़कों से दूर निर्दिष्ट स्थानों की पहचान करने के लिए कहा, जो यातायात, सार्वजनिक आवाजाही, आपातकालीन सेवाओं के प्रवाह को बाधित नहीं करते हैं। प्रमुख सचिव ने कहा कि प्राधिकारियों को सार्वजनिक सड़कों की सभाओं की अनुमति देने से बचना चाहिए। केवल दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों में सार्वजनिक सभाओं की अनुमति पर विचार किया जा सकता है, लिखित कारणों के साथ। प्रधान सचिव ने 28 दिसंबर को हुई कंदुकुरु घटना पर प्रकाश डाला और कहा कि सार्वजनिक सड़कों और सड़क के किनारों पर बैठकें आयोजित करने से मौतें हो रही हैं और यातायात बाधित हो रहा है। उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी समय लगता है। वहीं विपक्षी दलों ने सरकार के फैसले की निंदा की है और जीओ को "अत्याचारी" कहा है। नेल्लोर में 8 लोगों की हुई थी मौत आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) नेता एन चंद्रबाबू नायडू की एक जनसभा में 28 दिसंबर, 2022 की शाम भगदड़ मच गई। इस दौरान TDP के 8 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, चंद्रबाबू नायडू की यह जनसभा नेल्लोर जिले के कंदुकुरु में आयोजित हुई थी। कंदुकुरु में आयोजित जनसभा में भारी संख्या में भीड़ एकत्रित हो गई। इसी बीच धक्का-मुक्की हो गई और भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी।

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नेल्लोर। जन सुरक्षा का हवाला देते हुए आंध्र प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग सहित सड़कों पर जनसभाएं और रैलियों पर रोक लगा दी है। सरकार का यह आदेश मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी द्वारा पिछले सप्ताह कंदुकुरु में आयोजित एक रैली में हुई भगदड़ के बाद आया है, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी। सरकार ने निषेधाज्ञा आदेश पुलिस कानून, 1861 के प्रावधानों के तहत ये आदेश 1 जनवरी की देर रात को लागू किया है।

सरकार ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि सार्वजनिक सड़कों और सड़कों पर एक सार्वजनिक सभा आयोजित करने का अधिकार पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 के अनुसार ही नियमन का विषय है।  शासनादेश में प्रधान सचिव (गृह) हरीश कुमार गुप्ता ने संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस तंत्र को जनसभाओं के संचालन के लिए सार्वजनिक सड़कों से दूर निर्दिष्ट स्थानों की पहचान करने के लिए कहा, जो यातायात, सार्वजनिक आवाजाही, आपातकालीन सेवाओं के प्रवाह को बाधित नहीं करते हैं।

प्रमुख सचिव ने कहा कि प्राधिकारियों को सार्वजनिक सड़कों की सभाओं की अनुमति देने से बचना चाहिए। केवल दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों में सार्वजनिक सभाओं की अनुमति पर विचार किया जा सकता है, लिखित कारणों के साथ।  प्रधान सचिव ने 28 दिसंबर को हुई कंदुकुरु घटना पर प्रकाश डाला और कहा कि सार्वजनिक सड़कों और सड़क के किनारों पर बैठकें आयोजित करने से मौतें हो रही हैं और यातायात बाधित हो रहा है। उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी समय लगता है। वहीं विपक्षी दलों ने सरकार के फैसले की निंदा की है और जीओ को “अत्याचारी” कहा है।

नेल्लोर में 8 लोगों की हुई थी मौत

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) नेता एन चंद्रबाबू नायडू की एक जनसभा में 28 दिसंबर, 2022 की शाम भगदड़ मच गई। इस दौरान TDP के 8 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, चंद्रबाबू नायडू की यह जनसभा नेल्लोर जिले के कंदुकुरु में आयोजित हुई थी। कंदुकुरु में आयोजित जनसभा में भारी संख्या में भीड़ एकत्रित हो गई। इसी बीच धक्का-मुक्की हो गई और भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी।

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