देश में फर्जी डॉक्टरों का एक बड़ा रैकेट आया सामने, CBI ने शुरू की जांच

देश में फर्जी डॉक्टरों का एक बड़ा रैकेट सामने आया है। CBI ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। रैकेट के जरिये अपात्र लोगों को मेडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस मिलने के मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है। अधिकारियों ने सोमवार को जानकारी दी कि 2011 से कई अपात्र लोगों ने जुगाड़ के जरिये भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लाइसेंस प्राप्त किए हैं। ऐसे फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए CBI ने मामला दर्ज कर लिया है। CBI ने 14 राज्यों के मेडिकल काउंसिल और 73 विदेशी चिकित्सा स्नातकों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इन विदेशी छात्रों को फारेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जाम (FMGE) की परीक्षा पास किए बगैर ही मरीजों का इलाज करने की अनुमति दे दी गई थी। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि मानकों के अनुसार एक विदेशी मेडिकल स्नातक को नेशनल बोर्ड आफ एक्जामिनेशन की ओर से आयोजित एफएमजीई/स्क्रीनिंग टेस्ट पास करना अनिवार्य है। इसके बाद ही उन्हें नेशनल मेडिकल कमिशन या राज्य चिकित्सा परिषद की ओर से प्रोविजिनल या स्थायी पंजीकरण मिलता है। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला राज्य चिकित्सा परिषदों के अज्ञात अधिकारियों, तत्कालीन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और 73 विदेशी मेडिकल स्नातकों के खिलाफ दर्ज किया है। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सूचित किया था कि 2011-22 के दौरान रूस, यूक्रेन, चीन और नाइजीरिया जैसे देशों से MBBS करने वाले 73 ऐसे मेडिकल स्नातकों ने इसकी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है और फिर भी विभिन्न राज्य चिकित्सा परिषद से पंजीकरण प्राप्त किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सीबीआई को की गई शिकायत में कहा गया है कि गैर-योग्य व्यक्तियों द्वारा इस तरह की धोखाधड़ी और फर्जी पंजीकरण नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा। बावजूद इसके उन्हें विभिन्न राज्यों की मेडिकल काउंसिलों से पंजीकरण हासिल हो गया है। CBI ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की शिकायत पर ऐसे अयोग्य चिकित्सकों के फर्जी पंजीकरण से देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।

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नई दिल्ली। देश में फर्जी डॉक्टरों का एक बड़ा रैकेट सामने आया है। CBI ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। रैकेट के जरिये अपात्र लोगों को मेडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस मिलने के मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है। अधिकारियों ने सोमवार को जानकारी दी कि 2011 से कई अपात्र लोगों ने जुगाड़ के जरिये भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लाइसेंस प्राप्त किए हैं। ऐसे फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए CBI ने मामला दर्ज कर लिया है।

CBI ने 14 राज्यों के मेडिकल काउंसिल और 73 विदेशी चिकित्सा स्नातकों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इन विदेशी छात्रों को फारेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जाम (FMGE) की परीक्षा पास किए बगैर ही मरीजों का इलाज करने की अनुमति दे दी गई थी। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि मानकों के अनुसार एक विदेशी मेडिकल स्नातक को नेशनल बोर्ड आफ एक्जामिनेशन की ओर से आयोजित एफएमजीई/स्क्रीनिंग टेस्ट पास करना अनिवार्य है।

इसके बाद ही उन्हें नेशनल मेडिकल कमिशन या राज्य चिकित्सा परिषद की ओर से प्रोविजिनल या स्थायी पंजीकरण मिलता है। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला राज्य चिकित्सा परिषदों के अज्ञात अधिकारियों, तत्कालीन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और 73 विदेशी मेडिकल स्नातकों के खिलाफ दर्ज किया है।

नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सूचित किया था कि 2011-22 के दौरान रूस, यूक्रेन, चीन और नाइजीरिया जैसे देशों से MBBS करने वाले 73 ऐसे मेडिकल स्नातकों ने इसकी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है और फिर भी विभिन्न राज्य चिकित्सा परिषद से पंजीकरण प्राप्त किया है।  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सीबीआई को की गई शिकायत में कहा गया है कि गैर-योग्य व्यक्तियों द्वारा इस तरह की धोखाधड़ी और फर्जी पंजीकरण नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा। बावजूद इसके उन्हें विभिन्न राज्यों की मेडिकल काउंसिलों से पंजीकरण हासिल हो गया है। CBI ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की शिकायत पर ऐसे अयोग्य चिकित्सकों के फर्जी पंजीकरण से देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।

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