SC ने जघन्य अपराध के आरोपी केंद्रीय मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा को ज़मानत नहीं दी

जघन्य अपराध के आरोपी केंद्रीय मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है, जिसमें कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट 29 नवंबर या उसके एक हफ्ते के भीतर आरोप तय करने पर फैसला सुनाए। इसके बाद 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। ट्रायल कोर्ट ने आरोप तय करने के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की है। लिहाजा ट्रायल कोर्ट उसी दिन या उसके एक हफ्ते के भीतर आरोप तय करें। लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर 2021 को नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान सड़क पर उतर आए थे। किसानों की तैयारी एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद अजय मिश्रा टेनी का विरोध करने की थी। किसान शांतिपूर्वक सड़क से जा रहे थे कि पीछे से आई तेज रफ्तार थार गाड़ी किसानों को कुचलते हुए थोड़ा आगे जाकर पलट गई। इसके बाद हिंसा हुई थी। इस हिंसा में चार किसानों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष इस मामले में मुख्य आरोपी है। हाईकोर्ट पहले जमानत दे चुका था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। यूपी सरकार ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा को जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि लखीमपुर मामले में 4 किसानों की मौत हो गई थी।

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नई दिल्ली। जघन्य अपराध के आरोपी केंद्रीय मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है, जिसमें कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट 29 नवंबर या उसके एक हफ्ते के भीतर आरोप तय करने पर फैसला सुनाए। इसके बाद 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। ट्रायल कोर्ट ने आरोप तय करने के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की है। लिहाजा ट्रायल कोर्ट उसी दिन या उसके एक हफ्ते के भीतर आरोप तय करें। 

लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर 2021 को नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान सड़क पर उतर आए थे। किसानों की तैयारी एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद अजय मिश्रा टेनी का विरोध करने की थी। किसान शांतिपूर्वक सड़क से जा रहे थे कि पीछे से आई तेज रफ्तार थार गाड़ी किसानों को कुचलते हुए थोड़ा आगे जाकर पलट गई। 

इसके बाद हिंसा हुई थी। इस हिंसा में चार किसानों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष इस मामले में मुख्य आरोपी है। हाईकोर्ट पहले जमानत दे चुका था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।  यूपी सरकार ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा को जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि लखीमपुर मामले में 4 किसानों की मौत हो गई थी। 

ये तथ्य की बात है कि मौके पर आशीष मिश्रा की गाड़ी बरामद हुई थी। ये मामला जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है।  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये भी कहा था कि वह राजनीतिक रूप से इतना प्रभावशाली है कि वह गवाहों को प्रभावित करेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर हिंसा की जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था। 

आशीष मिश्रा की ओर से याचिका में कहा गया है कि पिछले 11 महीने से जेल में हैं। किसान आंदोलन चल रहा था। किसान घेराव कर रहे थे।  गोली चलने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। गाडी अनियंत्रित होने का मामला है। इसमें हाईकोर्ट के जज के नेतृत्व में जांच भी हो चुकी है। चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। घटना से 4 किलोमीटर दूर कुश्ती का आयोजन था ये गलत बताया गया कि ये घटना पूर्वनियोजित थी, जिसने कैविएट दाखिल की उसका केस से कोई लेना-देना नहीं है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए यूपी सरकार को दो हफ्ते का समय दिया था। वहीं पीड़ित परिवारों ने जमानत का विरोध किया था।

पीड़ितों की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं कि अपराध “पूर्व नियोजित” था। इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई थी। कोर्ट ने 26 सितंबर को उत्तर प्रदेश राज्य को नोटिस जारी किया था. पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 26 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली मिश्रा की याचिका पर विचार कर रही है, जिसमें उसकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। आशीष मिश्रा के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था वो दस महीने से जेल में है और सुप्रीम कोर्ट जमानत याचिका पर पहले नोटिस जारी कर चुका है।  

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