नई दिल्ली। साल 2020 में देशभर में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के अंतर्गत 796 केस दर्ज किए गए है। इन मामलों में कुल 6,482 लोगों पर मुकदमा चलाया गया। मुकदमों के दौरान महज 80 आरोपी ही दोषी साबित हो पाए हैं। यह कुल मामलों का महज 1% है। वहीं, 116 आरोपी बरी हो चुके हैं।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी। गृह राज्यमंत्री की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार UAPA के तहत वर्ष 2016 में 922 केस दर्ज किए गए थे, इसमें से 24 को दोषी ठहराया गया और 19 छूट गए। इसी क्रम में वर्ष 2017 में 901 (39 दोषी ठहराए गए और 42 बरी हुए), वर्ष 2018 में 1182 (35 दोषी ठहराए गए और 117 बरी हुए) और वर्ष 2019 में 1227 केस (34 दोषी ठहराए गए और 116 बरी हुए) केस दर्ज किए गए।
यह जानकारी बुधवार को राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने दी है। राय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, UAPA के तहत बीते 5 साल (2016 से 2020) में 5,027 केस दर्ज हुए। इन मामलों में 24,134 लोगों पर मुकदमे चले, लेकिन 212 पर ही आरोप साबित हो पाएं। इस दौरान देश की अलग-अलग अदालतों ने 386 लोगों को बरी किया।
4098 लोगों पर मुकदमा चला
साल 2016 में 922 केस दर्ज हुए थे। इसके तहत 3,047 लोगों पर मुकदमा चला और 24 आरोपियों को दोषी ठहराया गया और 19 छूट गए। वहीं, साल 2017 में UAPA के तहत 901 केस दर्ज किए गए और 4098 लोगों पर मुकदमा चला। इन मामलों में 39 दोषी ठहराए गए और 42 बरी हुए।
साल 2018 में 1182 केस दर्ज हुए (4,862 लोगों पर मुकदमें चले, 35 दोषी ठहराए गए और 117 बरी हुए)। सबसे अधिक 1227 केस साल 2019 में दर्ज किए गए। इन मामलों के तहत 5, 645 लोगों पर मुकदमें चले, लेकिन 34 ही दोषी ठहराए गए और 116 बरी हो गए।
धर्म के आरोपियों की संख्या
राज्यसभा सांसद ए.ए. रहीम ने बीते 5 साल के दौरान देशभर में UAPA के तहत दर्ज कुल मामलों की जानकारी मांगी थी। सरकार ने NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के डेटा के आधार पर संसद में यह जानकारी दी।
सांसद ने अलग-अलग जाति वर्ग (SC/ST/OCB) और धर्म के आरोपियों की संख्या भी मांगी थी। हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया कि NCRB में इस आधार पर डेटा मेंटेन न होने की वजह से यह जानकारी नहीं दी जा सकी।
गौरतलब है कि जीएसटी और महंगाई के मुद्दे पर आज संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। सदस्यों के लगातार हंगामे के बीच उच्च सदन की कार्यवाही में बार-बार व्यवधान पड़ा और दोपहर दो बजे कार्यवाही को गुरुवार सुबह तक स्थगित कर दिया गया। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने महंगाई और कई जरूरी खाद्य वस्तुओं को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने के विरोध में बुधवार को संसद भवन परिसर में धरना दिया। इन सांसदों ने ने एक बैनर भी ले रखा था जिस पर गैस सिलेंडर की तस्वीर थी और लिखा था ‘‘दाम बढ़ने से आम नागरिकों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, वे कैसे जीवन यापन करेंगे?” कुछ सांसदों ने अपने हाथों में तख्तियां भी ले रखीं थीं और कुछ छाछ के पैकेट भी लेकर पहुंचे थे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, तेलंगाना राष्ट्र समिति के नमा नागेश्वर राव एवं के. केशव राव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी, आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर और कई अन्य विपक्षी सांसद इस धरने में शामिल हुए.इस दौरान विपक्षी सांसदों ने ‘दूध-दही पर जीएसटी वापस लो’ के नारे भी लगाए। विपक्षी दलों ने मंगलवार को भी इसी विषय पर संसद परिसर में धरना दिया था और दोनों सदनों में हंगामा किया था जिस कारण कार्यवाही बाधित हुई थी.