शिवसेना ने कड़ा ऐक्शन लेते हुए एकनाथ शिंदे को पार्टी के विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है
मुम्बई। महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अगाड़ी सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ठाकरे सरकार में मंत्री और शिवसेना के शीर्ष नेता एकनाथ शिंदे, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से नाखुश हैं और कथित तौर पर भाजपा शासित गुजरात में सूरत के मेरिडियन होटल में पार्टी के 21 अन्य विधायकों के साथ ठहरे हुए हैं। इससे उद्धव ठाकरे सरकार पर बहुमत खोने का खतरा बढ़ गया है और इसके कारण स्वाभाविक रूप से मुख्य विपक्षी दल बीजेपी खुश है।
इस बीच शिवसेना ने कड़ा ऐक्शन लेते हुए एकनाथ शिंदे को पार्टी के विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है। उनके स्थान पर सेवरी के विधायक अजय चौधरी को कमान दी गई है। वहीं एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के ऐक्शन के बाद उद्धव ठाकरे पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘हम बालासाहेब ठाकरे के कट्टर शिवसैनिक हैं। बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व की सीख दी थी। हमने कभी इससे धोखा नहीं किया गया था और न ही कभी हिंदुत्व से गद्दारी करेंगे। हम बालासाहेब ठाकरे की सिखाई हुई बातों के साथ हैं। महाराष्ट्र के इस बदलते घटनाक्रम पर राज्य के बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल ने मंगलवार को मीडिया से बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीजेपी ने अभी कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। शिंदे के ट्वीट पर पाटिल ने कहा, “समझने वाले को इशारा काफी है। अभी कुछ बोलना जल्दबाजी होगी। अभी वेट एंड वॉच करना ही ठीक होगा। ”
विधान परिषद के परिणामों को लेकर शिवसेना पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “आपको आपके विधायकों पर भरोसा नही था। बीजेपी को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिला। देवेंद्र जी का कौशल दिखा और इनका अभिनंदन करता हूं। विधानपरिषद में हमें 134 वोट मिला, कुछ लोग कहते हैं कि 134 और 144 में भी सिर्फ 10 का ही फर्क है। पाटिल ने यह भी कहा, “एकनाथ शिंदे ने जो अलग रास्ता पकड़ा है। उसमे बीजेपी की कोई पूर्व योजना नहीं है लेकिन इसके बाद क्या होगा ये बताने के लिए मैं ज्योतिषी नहीं हूं। ” एक अन्य सवाल पर कहा कि संजय कुट , गिरीश महाजन के सभी दलों में मित्र है। एकनाथ जी ने बहुत निडरता दिखाई है, इसलिए उनका मिलना व्यक्तिगत है बीजेपी का कोई हाथ नहीं है।
बीजेपी नेता ने कहा कि तकनीकी तौर पर देखे तो महाराष्ट्र तौर पर सरकार अल्पमत आ गई है। राज्यसभा और विधानपरिषद में अल्पमत में दिखी है लेकिन व्यवहारिक तौर पर लाने के लिए एक प्रक्रिया है। क्या उनकी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाएगी, इस सवाल पर पाटिल ने कहा, “अविश्वास प्रस्ताव अधिवेशन में लाया जाता है। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि अधिवेशन जल्द बुलाने की जरूरत है। यह अपने तय समय जुलाई में ही होगा। ”
एकनाथ शिंदे की बगावत और करीब दो दर्जन विधायकों के सूरत में डेरा जमाने के चलते शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार बड़े संकट में आ गई है। उद्धव ठाकरे ने इस मसले पर बात करने के लिए आज दोपहर मीटिंग बुलाई थी, लेकिन इसमें करीब 20 विधायक ही शामिल हुए। ऐसे में उद्धव ठाकरे सरकार को लेकर चिंता बढ़ गई है। शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं और यदि पार्टी से 27 अलग हो जाते हैं तो फिर उन पर दल-बदल का कानून लागू नहीं होगा। ऐसे में उद्धव ठाकरे की मीटिंग से 35 विधायकों का दूर रहना बड़े संकेत दे रहा है। हालांकि शिवसेना अब डैमेज कंट्रोल में जुटी है। एक तरफ एकनाथ शिंदे को उसने विधायक दल के नेता के पद से हटाकर अजय चौधरी को यह कमान सौंपी है। वहीं कुछ देर में शक्ति प्रदर्शन की भी बात कही है।
इस बीच भाजपा के दावे ने भी शिवसेना और अघाड़ी सरकार की चिंताओं में इजाफा कर दिया है। मीडिया से बात करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा, ‘हमारे पास जो खबर है, उसके मुताबिक एकनाथ शिंदे 35 विधायकों के साथ गए हैं। इसका मतलब यह हुआ कि तकनीकी तौर पर उद्धव ठाकरे सरकार अल्पमत में आ गई है। हालांकि व्यवहारिक तौर पर सरकार के अल्पमत में आने में अभी कुछ वक्त लगेगा।’ उन्होंने कहा कि हमें एमएलसी चुनाव और राज्यसभी इलेक्शन में अच्छा समर्थन मिला है। कई निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों के नेताओं ने हमें वोट दिया।
हालांकि इस दौरान चंद्रकांत पाटिल ने यह भी संकेत कर दिया कि भाजपा इस बार उतावली नहीं दिखना चाहती। उन्होंने कहा कि फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव के लिए स्पेशल सेशन बुलाने की स्थिति पैदा नहीं हुई है। 18 जुलाई से सदन का मॉनसून सेशन शुरू हो रहा है। हम उस दौरान इस पर बात करेंगे। यही नहीं भाजपा की ओर से सरकार बनाने के दावे पर पाटिल ने कहा, ‘अभी तो कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। हम फिलहाल हालात पर नजर बनाए हुए हैं। न ही एकनाथ शिंदे ने हमें कोई प्रस्ताव भेजा है और न भाजपा की ओर से उन्हें कुछ ऑफर किया गया है।’
इसके साथ ही चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि राजनीति में किसी भी वक्त कुछ भी हो सकता है। उद्धव ठाकरे की मीटिंग में शिवसेना के ही 35 विधायकों के न पहुंचने से भाजपा नेता का दावा मजबूत दिखता है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के 106 विधायक हैं और उसे 13 अन्य निर्दलीय नेताओं का समर्थन हासिल है। ऐसे में यदि उसे 26 शिवसेना विधायक सपोर्ट करते हैं तो फिर वह सरकार बनाने के जादुई आंकड़े तक पहुंच सकती है।