
इस महिला आरक्षण बिल का वजूद वैसा ही है जैसे बस यात्री सीट पर बैठने से पहले अपना रुमाल फेंककर सीट पर कब्जा होने का दावा करते हैं। सरकार ने महिला आरक्षण बिल नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में हुआ ऐसा इतिहास में दर्ज कराने के लिए केवल एक रुमाल फेंक पाई है।
कांग्रेस पार्टी ने अजगर की तरह बीजेपी को लपेट रखी है। कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने भारतीय जनता पार्टी को बिखेर कर रख दिया है। भारत जोड़ो यात्रा से उत्पन्न विचारों की विस्फोटक ऊर्जा बीजेपी को सहन नहीं हुई। बीजेपी के नेता और केन्द्र सरकार में उनके मंत्री इस ऊर्जा से झूलस रहे हैं। कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान बीजेपी नेताओं के तीलमिलाहटपूर्ण बोल उनकी मानसिक हालत को बयां कर रहे थे। इस विस्फोटक ऊर्जा ने बीजेपी से हिमाचल और कर्नाटक की सत्ता छीन कर कांग्रेस को दे दी है।
‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने बीजेपी नेताओं और सरकार में उनके मंत्रियों की मानसिक संतुलन को बिगाड़ दिया है। बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार लगातार हड़बड़ी में गड़बड़ी करती चली जा रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जिन ओबीसी के वोट बैंक को पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वयं के लिए पिछड़े वर्ग का बताना पड़ा था अब वही बात विनाशक सिद्ध हो रही है।
कांग्रेस के लिए ओबीसी का महत्व
2022 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के बारे में ‘द्रष्टा’ ने अपने प्रकाशित लेख में यूपी की सत्ता में ओबीसी वर्ग के मतों का महत्व बताया था। ओबीसी मतदाताओं को अपने पाले में लाने की कांग्रेस की कोशिश नाकाम रही थी। ओबीसी वर्ग के महत्व को समझते हुए भाजपा ने प्रदेश के अधिकतर सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार उतारे। और भाजपा ने भारी बहुमत से जीत हासिल कर लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई। यहां तक की ओबीसी नेता केशव प्रसाद मौर्य के चुनाव हार जाने के बावजूद बीजेपी ने उपमुख्यमंत्री बनाया। कांग्रेस ओबीसी वर्ग के महत्व को समझते हुए इंडिया गठबंधन के जरिए चुनावी समीकरण साधने में लग गयी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नौटंकी भजपाईयों के गले की हड्डी
बच्चे जिस प्रकार चमक-दमक देखकर नई वस्तुओं को लपकने के लिए लालायित होते हैं उसी मानसिकता से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नये संसद भवन में इतिहास दर्ज करना चाहते थे। जी-20 के आयोजन के बाद हड़बड़ी में नए संसद भवन में विशेष सत्र बुलाया गया। बुलाने का एजेंण्डा भी विपक्षी दलों को नहीं बताया गया। लोकसभा में 128वें संविधान संशोधन विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) 2023 पेश किया गया। कांग्रेस ने कहा कि हम महिला आरक्षण के साथ हैं लेकिन यह बिल सरकार बगैर तैयारी के पेश कर रही है। एनडीए की मोदी सरकार को ओबीसी महिलाओं की भागीदारी की बात बतानी होगी। संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी अभी सिर्फ 15 प्रतिशत और राज्य विधानसभाओं में 10 प्रतिशत है।
अवश्य पढ़ें : ओबीसी नेतृत्व के बगैर यूपी की सत्ता में भाजपा का आना मुश्किल
2014 और 2019 में भारी बहुमत से जीत हासिल कर सरकार बनाने वाली भाजपा अब कमजोर पड़ रही है। हाल ही में हुए राज्यों की विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली हार से शीर्ष नेतृत्व में घबराहट पैदा हो गई है। और ऊपर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नौटंकी भजपाईयों के गले की हड्डी बनता जा रहा है। मध्य प्रदेश में भाजपा नेताओं का दो हिस्सों में बंटना शीर्ष नेतृत्व के लिए चुनौती है।
सरकार चलाने वाले 90 अधिकारियों में से सिर्फ 3 ओबीसी वर्ग से
राहुल गांधी ने संसद में मांग की है कि महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी आरक्षण को लागू किया जाए। कांग्रेस ने शुक्रवार को नई दिल्ली कांग्रेस कार्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस की। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने सवाल करते हुए पूछा कि देश को चलाने वाले संस्थान, संसद में कैबिनेट सचिव और सचिव सरकार चलाते हैं, तो 90 में से सिर्फ तीन अधिकारी ही क्यों ओबीसी वर्ग से हैं! पीएम मोदी हर दिन ओबीसी की बात करते हैं लेकिन उन्होंने ओबीसी वर्ग के लिए क्या किया है?
ओबीसी वर्ग का सबसे प्रमुख मुद्दा
राहुल गांधी ने कहा कि आम लोगों के बीच सत्ता का सही तरह से वितरण करने में सक्षम होने के लिए हमें डेटा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पहले के आंकड़े क्यों जारी नहीं कर रहे हैं और जनगणना कराने में देरी क्यों हो रही है? आबादी के अनुपात में आरक्षण ओबीसी वर्ग का सबसे प्रमुख मुद्दा है। प्रशासन और शासन में मौजूद अधिकारी अपनी नियुक्ति अधिकारों को लेकर बुदबुदाते हैं। वह दबी जुबान से सबकुछ कह देते हैं और अनुशासनहिनता का हवाला देकर खामोश हो जाते हैं।
सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी कई बार ओबीसी के अधिकारों को हड़पने का आरोप उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर लगा चुके हैं। अखिलेश यादव कह चुके हैं कि प्रदेश के अधिकतर जिलों के डीएम और पुलिस कप्तान व थानों के प्रभारी अगड़ी जाति के हैं। इसी कारण ओबीसी और एससी वर्ग के लोगों के साथ अपराध हो रहे हैं। ओबीसी और एससी के प्रति बीजेपी के कथनी और करनी को लेकर सोशल मीडिया टिप्पणीयों से भरा पड़ा है।
ओबीसी कुल आबादी का लगभग 60 प्रतिशत
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बृहस्पतिवार को केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को चेतावनी दी कि ओबीसी वर्ग एक लड़ाकू (जागरूक) वर्ग है, अगर अन्य पिछड़े वर्ग का हक वे छीनेंगे तो यह वर्ग ईंट से ईंट बजा देगा। ओबीसी कुल आबादी का लगभग 60 प्रतिशत है। मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि यदि उनके हिस्से का उल्लंघन करने का कोई प्रयास किया जाता है, तो वे जानते हैं कि इस पर दावा कैसे करना है।
तेजस्वी यादव ने बीजपी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि बीजपी के लोग हमेशा से पिछड़ा वर्ग विरोधी रहे हैं और उनकी मानसिकता महिला आरक्षण विधेयक में झलक रही है। आखिर क्या वजह है कि इन्होंने पिछड़ा, अति पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के लिए इस बिल में प्रावधान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इस बिल के माध्यम इन समुदाय के लोगों को पूरी तरह से छलने का काम किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में पहले से ही जातिगत जनगणना करा रहे हैं। इस जातिगत जनगणना को रोकने के लिए केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट तक जा चुकी है।
ओबीसी के बड़े चेहरे इंडिया गठबंधन के साथ
कांग्रेस से ओबीसी वर्ग का पिछले कुछ दशकों से मोह भंग हो चुका था। खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्यों के ओबीसी वर्ग के युवा कांग्रेस का दामन थामने से परहेज करते हैं। कांग्रेस को यह भी पता है कि बीजेपी के ओबीसी नेता केशव प्रसाद मौर्य से ओबीसी वर्ग के लोग संतुष्ट नहीं हैं। वे विधान सभा चुनाव भी जीत नहीं पाये थे। बीजेपी केवल केशव प्रसाद मौर्य का इस्तेमाल कर उनकी बिरादरी के वोट पाना चाहती है। उत्तर प्रदेश से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, बिहार से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव, जैसे ओबीसी के बड़े चेहरे अब इंडिया गठबंधन के साथ हैं।
ऐसे में कांग्रेस को ओबीसी की बात करनी ही पड़ती। लेकिन इससे पहले मोदी सरकार ने नये संसद भवन में बगैर तैयारी के महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया। इस महिला आरक्षण बिल का वजूद वैसा ही है जैसे बस यात्री सीट पर बैठने से पहले अपना रुमाल फेंककर सीट पर कब्जा होने का दावा करते हैं। सरकार ने महिला आरक्षण बिल नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में हुआ ऐसा इतिहास में दर्ज कराने के लिए केवल एक रुमाल फेंक पाई है।
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से कहा कि महिला आरक्षण विधेयक से जनगणना और परिसीमन अ•यास के दो खंडों को हटाने की मांग की- जो अधिनियम को लागू करने के लिए एक शर्त है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का पूरा समर्थन करती है लेकिन सरकार को चुनौती दी कि वह धाराएं हटाए और विधेयक को तुरंत लागू करे। राहुल गांधी ने सरकार से कहा कि आप किस चीज से ध्यान भटकाना चाहते हैं? ओबीसी गणना से।
केन्द्र की सत्ता में कांग्रेस की वापसी का रास्ता
ओबीसी के अधिकारों को लेकर राहुल गांधी की महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण वाले बेबाक बयान बीजेपी के लिए किसी घातक अस्त्र से कम नहीं है। इस समय कांग्रेस को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तिसगढ़, हरियाणा के होने वाले विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में जिस अस्त्र की ज्यादा जरुरत थी,उस ओबीसी अस्त्र का उपयोग ब्रह्मास्त्र की तरह राहुल गांधी ने बीजेपी के खिलाफ कर दिया है। बहरहाल, ओबीसी के अधिकारों की रक्षा कांग्रेस के लिए केन्द्र की सत्ता में वापसी का रास्ता बना रही है।
…………..(व्याकरण की त्रुटि के लिए द्रष्टा क्षमाप्रार्थी है )
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