मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश और OBC आरक्षण का महत्व

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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में अब किसी भी समय पंचायत और निकाय चुनाव का बिगुल बज सकता है। सुप्रीट कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को इस बाबत आदेश दे दिया है। 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ पंचायत और निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है। कोर्ट के इस आदेश के एक दिन बाद राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निवेशकों को राज्य में आकर्षित करने के मकसद से की जा रही अपनी विदेश यात्रा को रद्द कर दिया है। सीएम 14 मई से 24 तक दौर पर जाने वाले थे। इस दौरान वे कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श और समीक्षा याचिका की तैयारी करने वाले थे।
सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद सरकार और राजनीतिक दल तैयारी में जुट गए हैं। राज्य कांग्रेस प्रमुख और पूर्व सीएम कमलनाथ ने घोषणा की है कि स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के 27 प्रतिशत टिकट ओबीसी उम्मीदवारों को आवंटित किए जाएंगे। वहीं, राज्य बीजेरी प्रमुख वीडी शर्मा ने घोषणा की कि पार्टी “योग्य” ओबीसी उम्मीदवारों को 27 प्रतिशत से अधिक टिकट देगी। हालांकि दोनों की प्राथमिकता शीर्ष अदालत में समीक्षा याचिका के माध्यम से 35% ओबीसी आरक्षण के लिए मार्ग प्रशस्त करना है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बीजेपी जहां अपनी जीत बता रही है तो वहीं कांग्रेस ने इसे हार बताया है सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ पंचायत और निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा का कहना है सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है। लेकिन यह बीजेपी की करारी हार है। क्योंकि बीजेपी ने केस हारने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ओबीसी वर्ग को 27प्रतिशत आरक्षण मिलना था। लेकिन अब बीजेपी की कार्यशैली की वजह से 14प्रतिशत आरक्षण ही मिल पाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब फिर से वही पुरानी स्थिति बहाल हो गई है। जहां एसटी और एससी आबादी को 36 फ़ीसदी आरक्षण और ओबीसी आबादी को 14 फ़ीसदी आरक्षण ही मिल पाएगा।

OBC वोटर्स का महत्व

बता दें कि ओबीसी मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा वोटिंग ब्लॉक है, क्योंकि पिछले 19 सालों में तीन ओबीसी मुख्यमंत्री रहे हैं, जिनमें उमा भारती, बाबूलाल गौर और वर्तमान शिवराज सिंह चौहान (सभी भाजपा नेता) शामिल हैं। मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किए गए हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एमपी में ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, विंध्य और मध्य एमपी क्षेत्रों में सबसे अधिक 51 प्रतिशत ओबीसी मतदाता हैं। राज्य की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 100 से अधिक के पास ओबीसी वोटों का तय हिस्सा है, जो 2003 के बाद से काफी हद तक बीजेपी के पक्ष में रहा है, लेकिन 2018 के चुनावों में, ओबीसी वोट बैंक कांग्रेस की ओर भी काफी संख्या में ट्रांस्फर हो गया था।

बिसेन आयोग की सिफारिशें

सुप्रीम कोर्ट का पंचायत चुनाव को लेकर आज दिया गया ऐतिहासिक निर्णय बिसेन आयोग की 12 मई की रिपोर्ट के आधार पर ही है। मूल रूप से आज आया यह ऐतिहासिक फैसला बिसेन आयोग की उस दूसरी रिपोर्ट के कारण ही आ पाया है। बिसेन आयोग ने जो रिपोर्ट और सिफारिशें आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दी थीं उसके अनुसार

– यदि किसी निकाय में एससी एसटी का आरक्षण मिलाकर ५० प्रतिशत या उससे अधिक तो ओबीसी का आरक्षण उस निकाय में शून्य होगा।

-यदि किसी निकाय में एससी एसटी का आरक्षण मिलाकर 50 प्रतिशत से कम तो उस निकाय में अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा तक ओबीसी का आरक्षण होगा।

-यदि किसी निकाय में एससी एसटी का आरक्षण मिलाकर 50 प्रतिशत से कम तो वहां ओबीसी का आरक्षण उस निकाय की ओबीसी आबादी से अधिक नहीं होगा।
– किसी भी निकाय में ओबीसी का आरक्षण 35 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

-निकाय के जिन पदों में आरक्षण राज्य स्तर पर होते हैं जैसे जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष ऐसे निकायों की कुल जनसंख्या के आधार पर उपरोक्त सिद्धांतों का पालन करते हुए आरक्षित पदों की संख्या निकाली जाएगी।

– केंद्र द्वारा ओबीसी की सूची में जो जातियां मध्य प्रदेश की ओबीसी सूची में सम्मिलित नहीं है उन जातियों को राज्य की सूची में जोड़ा जाए।

स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान बिसेन आयोग की उस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है जो 12 मई को सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी। अगर इस रिपोर्ट के मुताबिक देखा जाए तो इन सिफारिशों के आधार पर ही अब आगामी 1 सप्ताह के भीतर प्रदेश सरकार को आरक्षण की प्रक्रिया करनी है। संभवत इन्हीं आधार पर सरकार अब आरक्षण करेगी और जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी उसके बाद निर्वाचन आयोग 1 सप्ताह के भीतर चुनाव कार्यक्रम घोषित कर देगा।

प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों की स्थिति

कुल 321 नगरीय निकायो में चुनाव

-इनमें 16 नगर निगम , 79 नगर पालिका परिषद और 226 नगर परिषद

– 23263 ग्राम एवं पंचायत निकायो में चुनाव लंबित

– 22709 पंचायतें , 313 जनपद पंचायत और 5 ज़िला पंचायत शामिल

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