सुप्रीम कोर्ट ने अजय सिंह को कहा, हर हाल में पैसा चुकाओ, वरना अगली तारीख को तिहाड़ जेल भेज देंगे

इसमें 4.15 करोड़ रुपए (5 लाख डॉलर) का इंस्टॉलमेंट पेमेंट और 8.29 करोड़ रुपए का डिफॉल्ट अमाउंट है। इसके लिए उन्हें 22 सितंबर तक का समय दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर वो पेमेंट नहीं करते हैं, तो उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया जाएगा।

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी सोमवार 11 सितंबर को स्पाइसजेट के चेयरमैन अजय सिंह को क्रेडिट सुइस केस में 12.45 करोड़ जमा करने को कहा है। इसमें 4.15 करोड़ रुपए (5 लाख डॉलर) का इंस्टॉलमेंट पेमेंट और 8.29 करोड़ रुपए का डिफॉल्ट अमाउंट है। इसके लिए उन्हें 22 सितंबर तक का समय दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर वो पेमेंट नहीं करते हैं, तो उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया जाएगा।

जस्टिस विक्रम नाथ और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने 2015 के इस क्रेडिट सुइस मामले की सुनवाई की है। जजों ने कहा- यह (मामला) काफी हो गया है, अब हमें काफी कठोर स्टेप लेने होंगे। हमें कोई फर्क नहीं पड़ता अगर स्पाइसजेट शट-डाउन हो जाए या बंद हो जाए, लेकिन अजय सिंह को सहमति की शर्तों को मानना ही होगा। कोर्ट ने अजय सिंह को कोर्ट की हर सुनवाई में उपस्थित होने का भी आदेश दिया है।

जान-बूझकर कंसेंट की शर्तों को नहीं मानने का है आरोप

इस मामले में 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अजय सिंह के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। कोर्ट फाइलिंग के मुताबिक, अजय सिंह ने जान-बूझकर कंसेंट की शर्तों को नहीं माना। साथ ही उन्होंने 199.25 करोड़ रुपए का भुगतान कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं किया।

क्या है मामला?

स्विट्जरलैंड बेस्ड कंपनी SRT टेक्निक्स (क्रेडिट सुइस) के साथ स्पाइस जेट ने साल 2011 में विमान इंजन के मेंटेनेंस के लिए 10 साल की डील की थी। साल 2013 में क्रेडिट सुइस ने स्पाइसजेट पर समय पर पेमेंट नहीं करने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया था। मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने स्पाइसजेट को 2021 तक बंद कर देने का आदेश दे दिया था।

हाइकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ स्पाइसजेट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की थी। इसके बाद SC ने इस मामले को दोनों पक्षों को आपसी सहमती से सुलझाने को कहा था। मई 2022 में क्रेडिट सुइस और एयरलाइन के बीच समझौता हुआ था। जिसके तहत स्पाइसजेट को एडवांस पेमेंट और बकाया पेमेंट के रूप में करीब 199 करोड़ रुपए क्रेडिट सुइस को एक निश्चित समय के भीतर देने की बात हुई थी।

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