सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, बिना दावे वाली धनराशि के मामले में वित्त मंत्रालय 3 हफ्ते में दे जवाब

नई दिल्ली। दिवंगत खाता धारकों के बैंक खातों, बीमा, डाकघर धनराशि इत्यादि की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीयकृत डाटाबेस बनाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय को तीन हफ्ते का समय प्रदान किया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा, ''कारपोरेट मामलों के मंत्रालय ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है, केंद्र सरकार के वकील का कहना है कि वित्त मंत्रालय को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय प्रदान किया जाए। जवाबी हलफनामा तीन हफ्तों में दाखिल किया जाए। याचिका को 28 अप्रैल को सूचीबद्ध किया जाए।'' शीर्ष अदालत ने पिछले वर्ष याचिका पर वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और अन्य को नोटिस जारी किया था। पत्रकार सुचेता दलाल ने अपनी याचिका में अदालत से बैंक खातों, बीमा, डाकघर में धनराशि इत्यादि पर कानूनी उत्तराधिकारियों के दावों से निपटने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का आदेश देने की मांग की थी ताकि अनावश्यक मुकदमे खत्म हो सकें। याचिका में कहा गया है कि लोगों की बिना दावे वाली धनराशियों को डिपाजिटर्स एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (डीईएएफ), इंवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (आईईपीएफ) और सीनियर सिटीजंस वेलफेयर फंड (एससीडब्ल्यूएफ) जैसे सरकारी स्वामित्व वाले कोषों में इस आधार पर ट्रांसफर कर दिया जाता है कि कानूनी उत्तराधिकारियों या नामितों ने उन पर दावा नहीं किया। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के नियंत्रण में ऐसा केंद्रीयकृत ऑनलाइन डाटाबेस तत्काल विकसित करने की जरूरत है जो नाम, पता, लेनदेन की आखिरी तिथि समेत दिवंगत खाताधारक के बारे में जानकारी उपलब्ध करा सके। याचिका के मुताबिक, डीईएएफ में मार्च, 2021 के आखिर तक 39,264.25 करोड़ रुपये थे, जबकि 31 मार्च, 2020 तक इसमें 33,114 करोड़ रुपये थे। मार्च, 2019 के बाद इसमें एकदम से काफी बढ़ोतरी देखी गई, क्योंकि तब तक इसमें 18,381 करोड़ रुपये थे। आईईपीएफ की वर्ष 1999 में 400 करोड़ की धनराशि से शुरुआत हुई थी और मार्च, 2020 के आखिर तक इसमें 10 गुना अधिक 4,100 करोड़ रुपये थे।

DrashtaNews

कोविड काल में अचानक बढ़ी बिना दावे वाली धनराशि

नई दिल्ली। दिवंगत खाता धारकों के बैंक खातों, बीमा, डाकघर धनराशि इत्यादि की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीयकृत डाटाबेस बनाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय को तीन हफ्ते का समय प्रदान किया है।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने गुरुवार को अपने आदेश में कहा, ”कारपोरेट मामलों के मंत्रालय ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है, केंद्र सरकार के वकील का कहना है कि वित्त मंत्रालय को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय प्रदान किया जाए। जवाबी हलफनामा तीन हफ्तों में दाखिल किया जाए। याचिका को 28 अप्रैल को सूचीबद्ध किया जाए।”

शीर्ष अदालत ने पिछले वर्ष याचिका पर वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और अन्य को नोटिस जारी किया था। पत्रकार सुचेता दलाल ने अपनी याचिका में अदालत से बैंक खातों, बीमा, डाकघर में धनराशि इत्यादि पर कानूनी उत्तराधिकारियों के दावों से निपटने के लिए एक प्रक्रिया तय करने का आदेश देने की मांग की थी ताकि अनावश्यक मुकदमे खत्म हो सकें।

याचिका में कहा गया है कि लोगों की बिना दावे वाली धनराशियों को डिपाजिटर्स एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (डीईएएफ), इंवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) और सीनियर सिटीजंस वेलफेयर फंड (SCWF) जैसे सरकारी स्वामित्व वाले कोषों में इस आधार पर ट्रांसफर कर दिया जाता है कि कानूनी उत्तराधिकारियों या नामितों ने उन पर दावा नहीं किया। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के नियंत्रण में ऐसा केंद्रीयकृत ऑनलाइन डाटाबेस तत्काल विकसित करने की जरूरत है जो नाम, पता, लेनदेन की आखिरी तिथि समेत दिवंगत खाताधारक के बारे में जानकारी उपलब्ध करा सके।

याचिका के मुताबिक, डीईएएफ में मार्च, 2021 के आखिर तक 39,264.25 करोड़ रुपये थे, जबकि 31 मार्च, 2020 तक इसमें 33,114 करोड़ रुपये थे। मार्च, 2019 के बाद इसमें एकदम से काफी बढ़ोतरी देखी गई, क्योंकि तब तक इसमें 18,381 करोड़ रुपये थे। आईईपीएफ की वर्ष 1999 में 400 करोड़ की धनराशि से शुरुआत हुई थी और मार्च, 2020 के आखिर तक इसमें 10 गुना अधिक 4,100 करोड़ रुपये थे।

Scroll to Top