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बाप के अटूट विश्वास से लाशों के बीच जिन्दा मिला बेटा

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बालासोर। ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में 275 से अधिक लोगों की जान चली गई है। बालासोर के एक स्कूल को अस्थायी मुर्दाघर बनाया गया था, जहां लोग अपने परिजनों के शवों को खोज रहे थे। इन्हीं में एक ऐसा पिता भी था जिसके विश्वास ने वहां शवों की कतार में पड़े बेटे को मौत के मुंह से निकाल लिया। हादसे के बारे में पता चलने के बाद बिस्वजीत मलिक के पिता फौरन एंबुलेंस से 230 किलोमीटर दूर अपने बेटे को तलाशने निकल पड़े। उन्होंने मुर्दाघर से अपने बेटे को निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया और आगे के इलाज के लिए कोलकाता वापस ले आए।

24 साल के बिस्वजीत मलिक अपने भाग्य का शुक्रिया अदा कर सकते हैं कि उनके पिता हेलाराम मलिक ने उनकी ‘मौत’ की खबर को हल्के में नहीं लिया। एसएसकेएम अस्पताल की ट्रॉमा केयर यूनिट में सर्जरी कराने वाले बिस्वजीत की सोमवार को एक और दौर की सर्जरी होने की उम्मीद है। वह गंभीर रूप से घायल हैं, लेकिन उनकी हालत स्थिर है। हेलाराम हावड़ा में एक दुकान चलाते हैं। उन्होंने बेटे बिस्वजीत को शालीमार स्टेशन पर छोड़ा था।

हादसे के बाद उनकी बात बिस्वजीत से हुई थी, जिसमें वह दर्द से कराह रहा था। इसके बाद हेलाराम ने बिना समय गंवाए एक स्थानीय एम्बुलेंस चालक पलाश पंडित को फोन किया, अपने बहनोई दीपक दास को अपने साथ चलने के लिए कहा, और उसी रात बालासोर के लिए चल दिए । रातभर सफर करने के बाद वह बालासोर पहुंच गए। वह हर किसी से बेटे के बारे में पूछ रहे थे। अस्पताल भी गए लेकिन बिस्वजीत का पता नहीं चला।

इसी दौरान उन्हें किसी ने बताया कि बहानागा हाई स्कूल में दुर्घटना में जान गंवा चुके रेल यात्रियों के शव रखे गए हैं। उन्हें वहां खोजने के लिए कहा गया, हेलाराम यह स्वीकार नहीं कर पाए कि उनका बेटा मुर्दों के बीच होगा। फिर भी वह वहां के लिए निकले जहां बहुत सारे शव पड़े थे।  इसी दौरान उनकी नजर शवों के बीच बिस्वजीत पर पड़ गई। वह बुरी तरह घायल था और बेहोश था। तुरंत बिस्वजीत को बालासोर के अस्पताल ले जाया गया। इंजेक्शन दिलवाने के बाद उसे कटक मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां से बॉन्ड साइन करने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता पहुंचने तक बिस्वजीत को होश नहीं आया। सुबह करीब साढ़े आठ बजे उसे एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजनों ने बताया कि रविवार को बिस्वजीत की ऐंकल सर्जरी की गई। सोमवार को दूसरे पैर की सर्जरी हुई। उसके दाहिने हाथ में कई फ्रैक्चर हो गए थे। फोरेंसिक मेडिसिन एक्सपर्ट सोमनाथ दास ने कहा कि मामला सस्पेंडेड एनिमेशन का है। सदमे की वजह से भी यह स्थिति हो सकती है कि अंग ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में कुछ समय के लिए अंग शिथिल हो जाते हैं और दवा के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है।

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