ज्ञानवापी में प्रकट शिवलिंग को पूजा पाने का भी अधिकार है – रमेश उपाध्याय (अधिवक्ता)

ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग प्रतिमा की पूजा से सम्बंधित मामले की सुनवाई जिला अदालत में चल रही है। 8 सितम्बर शुक्रवार को जिला जज महोदय के अदालत में प्रकट शिवलिंग की पूजा राग भोग से संम्बंधित बहस हूई।

DrashtaNews

वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में मिली  शिवलिंग प्रतिमा की पूजा से सम्बंधित मामले की सुनवाई जिला अदालत में चल रही है। 8 सितम्बर शुक्रवार को जिला जज महोदय के अदालत  में  प्रकट शिवलिंग की पूजा राग भोग से संम्बंधित बहस हूई।  ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरान्द सरस्वती जी महाराज के अधिवक्ता ने बहस के दौरान प्रकट शिवलिंग को पूजा से वंचित करने से रोके जाने व विधितः कराने की मांग की।

श्री उपाध्याय ने कहा कि शिव प्रतिमा दो प्रकार के होते है। एक स्वयंभू  शिवलिंग व दुसरा कृत्रिम  शिव । स्वयंभू शिवलिंग के दो प्रकार है नर्मदेश्वर शिवलिंग व स्व प्रस्फूटित स्वयंभू शिवलिंग है। यह शिवलिंग स्व प्रस्फूटित शिवलिंग है।जिसका  विधितः संरक्षण करने हेतु माननीय सर्वोच्च न्यायालय  ने आदेशित किया है। माननीय सर्वोच्च अदालत ने  17-5‐2023 के अपने आदेश के पैरा 8 में इस विन्दू पर बल देकर कहा है कि शिवलिंग का विधितः संरक्षण हो। माननीय सर्वोच्च न्यायालय प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियो को एक नाबालिग के रुप में मानती चली आयी है।

हम याचिकाकर्ता का प्रार्थना पत्र पूजा के अधिकार से संम्बंधित है। भगवान को प्रकट हुए साल भर से अधिक हो गया। भगवान राग-भोग से वंचित है। ऐसी सूरत मे प्रार्थना पत्र 98 ग का निस्तारण किया जाना आवश्यक एवं विधि सम्मत है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह मामला सबजुडिस है। प्रार्थना पत्र अरजेन्सी का जून 2022 मे निरस्त हो चुका था। उसके बाद अदालत खुलने पर यह दावा दाखिल किया गया ,ऐसे में अरजेन्सी का मामला नही बनता।

इस बात का जबाब देते हुए रमेश उपाध्याय ने कहा कि  दावा को अरजेन्सी के रुप अदालत मानते हुए स्वीकार की है। स्वीकार के बाद उक्त कथन का कोई मतलब नही है। दुसरी बात कि सम्पूर्ण दावा की बात में और भी तथ्य है। प्रार्थना पत्र  98ग में तो यह यह कहा गया है कि विपक्षी सं01के अधीन शिवलिंग को विधितः संरक्षित करने को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है। शिवलिंग को पूजा पाने का भी अधिकार है व विपक्षी सं1 के संरक्षण मे होने से उनका पूजा कराना विधितः धर्म है। तत्काल विपक्षी सं1 पूजा करावे। विधि के समक्ष समान संरक्षण होने के चलते अन्य शिवलिंग के तरह ही उनका अधिकार मिलना आवश्यक है। उसके बाद फाईल 13-09-2023 को आदेश हेतु नियत की गई है।

Scroll to Top