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SBI को चुनावी बान्ड संख्या का भी खुलासा करना होगा – सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। पाप की कमाई का आधार चुनावी बांड की पूरी जानकारी देने में SBI हिल्ला- हवाली कर रहा है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए एक बार फिर SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी संख्या के बारे में भी खुलासा करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने SBI को मामले में नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ किया कि SBI जो बॉन्ड के बारे मे जो ब्यौरा दिया है उसमें उसे नंबरों का खुलासा करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने चुनाव आयोग की उस अर्जी पर सुनवाई की जिसमें चुनाव आयोग ने कहा था कि सील बंद लिफाफे में जो उसने दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट को सौंपे हैं उसे वापस किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने कहा कि उसने गोपनीयता का पालन करने के कारण दस्तावेज की कोई कॉपी अपने पास नहीं रखी है ऐसे में उसे लिफाफा वापस किया जाना चाहिए।

चीफ जस्टिस ने इस दौरान स्पष्ट करते हुए कहा कि एक बात है। इस मामले में SBI की ओर से कौन पेश हो रहा है? SBI ने बॉन्ड का यूनिक नंबर का खुलासा नहीं किया है। यूनिक नंबर का खुलासा होना चाहिए था। तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि में SBI की ओर से पेश नहीं हो रहा हूं। लेकिन मैं अदालत से कहना चाहूंगा कि मामले में SBI को नोटिस जारी किया जाए। अगर SBI को कुछ कहना होगा तो वह कह पाएंगे और मुझे लगता है कि उन्हें सुना जाना चाहिए। इस पर याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश था वह समग्र था और उसमें तमाम संबंधित जानकारियां उजागर करने की बात है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट का आदेश था कि SBI चुनावी बॉन्ड से संबंधित सारी सूचना देगा। सारी जानकारी का खुलासा करना उसका कर्तव्य है। कोर्ट ने इस पर SBI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में सोमवार 18 मार्च को फिर सुनवाई होगी।

-चुनावी बॉन्ड योजना में गोपनीयता बरतने की नीति थी इसलिए जारी किये जाने वाले प्रत्येक बॉन्ड को एक विशिष्ट नंबर दिया जाता था। बॉन्ड खरीदे जाने और बॉन्ड को राजनैतिक दलों द्वारा भुनाए जाने की सूचनाएं अलग अलग एकत्र की जाती थीं। माना जा रहा है चुनावी बॉन्डों के विशिष्ट नंबरों से यह जाना जा सकता है कि किस कारपोरेट हाउस ने किस राजनैतिक दल को कितना चंदा दिया है।

– अभी एसबीआइ से मिली चुनावी बॉन्ड की जो जानकारी चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर डाली है उसमें चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों या लोगों की सूची अलग है और जिन राजनैतिक दलों ने चुनावी बॉन्ड भुनाए हैं उसकी सूची अलग है।

– दोनों सूचियों को मिलाने की कोई कड़ी उसमें नजर नहीं आती इसलिए यह तो जाना जा सकता है कि किस कंपनी ने कितने चुनावी बॉन्ड खरीदे और किस राजनैतिक दल को चुनावी बॉन्ड के जरिए कितना चंदा मिला लेकिन किसने किसको कितना चंदा दिया यह पता नहीं चलता है।

– शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में चुनाव आयोग की अर्जी पर सुनवाई के लिए बैठी थी। आयोग ने अर्जी में कहा था कि 2019 से पहले खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की सूचनाएं वह सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में जमा करा चुका है और उसके पास अब सूचना नहीं है। जब कोर्ट उसे वापस करेगा तभी सूचना वेबसाइट पर डालने के 11 मार्च के आदेश का पालन हो पाएगा।

– कोर्ट ने इस पर रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह आयोग द्वारा सील बंद लिफाफों में जमा कराई सूचना को स्कैन करे उसका डिजटलीकरण करे और इसके बाद मूल दस्तावेज और डिजिटल प्रति आयोग को दी जाए। इसी दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि एसबीआइ की ओर से कौन है। उन्होंने कहा कि एसबीआइ ने इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबरों (विशिष्ट नंबर) का खुलासा नहीं किया है।

– कोर्ट ने आदेश में एसबीआई को चुनावी बॉन्ड की सारी सूचना उसे खरीदने की तारीख, खरीदने वाले का नाम और उसे भुनाने वाले राजनैतिक दलों का ब्योरा देने को कहा था।

– तभी केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एसबीआइ की ओर से यहां कोई नहीं है। बेहतर होगा कि कोर्ट एसबीआइ को नोटिस जारी करे ताकि एसबीआइ इस पर स्थिति स्पष्ट करे।

– याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट का आदेश स्पष्ट था कि सारी सूचना का खुलासा करना है। उन्होंने आदेश का मूल हिस्सा पढ़ कर भी सुनाया। इसके बाद पीठ ने एसबीआइ को नोटिस जारी किया।

– SBI ने कोर्ट से पूरी जानकारी का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय देने की मांग करते हुए कहा था कि दो अलग अलग एकत्र की गई कुल 44434 सूचनाओं को मिलाने में वक्त लगेगा। लेकिन कोर्ट ने कहा था कि उससे मिलान करने को नहीं कहा है। उसके पास जो भी सूचना है वह सारी चुनाव आयोग को दे।

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