उद्धव ठाकरे को राकांपा का साथ, त्रिशूल, मशाल या उगता सूरज में से कोई एक हो सकता है चुनावी सिंबल

महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के बाद ठाकरे और शिंदे गुट में अब शिवसेना पर अधिकार को लेकर घमाशान जारी है। हालांकि, आगामी चुनाव में दोनों मेचुनाव में दोनों में से कोई भी गुट इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे क्योंकि चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और पार्टी सिंबल को फ्रीज कर दिया है। चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने मुंबई के अंधेरी ईस्ट में आगामी उपचुनाव के लिए तीन नामों और प्रतीकों की एक सूची आयोग को सौंपी है। इससे पहले आयोग की तरफ से 197 नामों और चिह्नों की सूची में से कोई एक नाम मांगा गया था। जानकारी मिली है कि उद्धव गुट की अपनी पहली पसंद 'शिवसेना बालासाहेब ठाकरे' है। जबकि दूसरी पसंद में उद्धव खेमे ने 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' नाम सुझाया है। सूत्रों के अनुसार, उद्धव गुट के चुनावी सिंबल त्रिशूल, मशाल या उगता सूरज में से कोई एक हो सकता है। चुनाव चिन्ह को लेकर एकराय बनाने के लिए आज उद्धव गुट ने पार्टी नेताओं की बैठक भी बुलाई है. बता दें कि 1 अक्टूबर 1989 को शिवसेना ने 'धनुष और तीर' का चिन्ह चुनाव आयोग से हासिल किया था। सिंबल मिलने से पहले शिवसेना नारियल के पेड़, रेलवे इंजन, तलवार और ढाल, मशाल, कप और तश्तरी जैसे सिंबल पर चुनाव लड़ा करती थी।

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मुम्बई। महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के बाद ठाकरे और शिंदे गुट में अब शिवसेना पर अधिकार को लेकर घमाशान जारी है। हालांकि,  आगामी चुनाव में दोनों मेचुनाव में दोनों में से कोई भी गुट इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे क्योंकि चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और पार्टी सिंबल को फ्रीज कर दिया है। 

चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने मुंबई के अंधेरी ईस्ट में आगामी उपचुनाव के लिए तीन नामों और प्रतीकों की एक सूची आयोग को सौंपी है। इससे पहले आयोग की तरफ से 197 नामों और चिह्नों की सूची में से कोई एक नाम मांगा गया था। जानकारी मिली है कि उद्धव गुट की अपनी पहली पसंद ‘शिवसेना बालासाहेब ठाकरे’ है। जबकि दूसरी पसंद में उद्धव खेमे ने ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम सुझाया है। सूत्रों के अनुसार, उद्धव गुट के चुनावी सिंबल त्रिशूल, मशाल या उगता सूरज में से कोई एक हो सकता है।

चुनाव चिन्ह को लेकर एकराय बनाने के लिए आज उद्धव गुट ने पार्टी नेताओं की बैठक भी बुलाई है. बता दें कि 1 अक्टूबर 1989 को शिवसेना ने ‘धनुष और तीर’ का चिन्ह चुनाव आयोग से हासिल किया था। सिंबल मिलने से पहले शिवसेना नारियल के पेड़, रेलवे इंजन, तलवार और ढाल, मशाल, कप और तश्तरी जैसे सिंबल पर चुनाव लड़ा करती थी।   

दरअसल, शनिवार शाम को पूर्व मंत्री और उद्धव खेमे के वरिष्ठ नेता अनिल परब ने कहा था कि हमारे समूह को चुनाव आयोग द्वारा 197 प्रतीक और नामों की सूची उपलब्ध कराई गई थी। जिसमें से तीन पर विचार किया जा रहा है। बता दें कि शिवसेना के दोनों धड़ों को नाम और चुनाव चिह्न के अपने तीन अंतिम विकल्प सोमवार दोपहर 1 बजे तक चुनाव आयोग को भेजने हैं।

 

इस बीच उद्धव ठाकरे को दिग्गज नेता शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का साथ मिला है। वहीं भारत निर्वाचन आयोग के अंतरिम आदेश को इस फैसले पर NCP के चीफ प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि EC द्वारा शिवसेना का चुनाव चिन्ह फ्रीज करना आश्चचर्यजनक फैसला है। हालांकि यह आयोग का आखिरी फैसला नहीं है। 

महाविकास अघाड़ी में शिवसेना के साथ रही राकांपा ने कहा है कि आयोग के आदेश का मतलब है यह नहीं है कि ठाकरे के नेतृत्व वाला गुट कमजोर हो गया है या हतोत्साहित हो गई है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व गुट उपचुनाव भी नहीं लड़ रहा है, फिर भी पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल प्रतिबंधित है। प्रतीक को फ्रीज करने का मतलब यह नहीं है कि (ठाकरे के नेतृत्व वाले) शिवसेना कार्यकर्ता कमजोर हो गए हैं। शिवसेना (ठाकरे गुट) राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा को कड़ी टक्कर देगी। 

फिलहाल, दोनों ही गुट चुनाव आयोग के आदेश पर मंथन की तैयारी कर रहे हैं। खबरें थी कि ठाकरे रविवार दोपहर 12 बजे मीटिंग कर सकते हैं। वहीं, सीएम शिंदे शाम 7 बजे समर्थकों से मिल सकते हैं।

 

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