नई दिल्ली/द्रष्टा ब्यूरो। भारत में आतंक का पर्याय बने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को कनाडा ने आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। भारत में संबंधों में सुधार के बीच कंजर्वेटिव और NDP नेताओं की मांग के बाद कनाडा सरकार ने यह फैसला लिया है।
पिछले साल RCMP ने भारत पर बिश्नोई गिरोह का इस्तेमाल कनाडा के लोगों, खासकर खालिस्तान नामक एक अलग सिख देश के निर्माण की वकालत करने वालों को निशाना बनाकर हत्याओं और जबरन वसूली के लिए करने का आरोप लगाया था। हालांकि, भारत ने कनाडा के इन दावों को खारिज कर दिया था और कहा है कि वह ओटावा के साथ मिलकर गिरोह को रोकने की कोशिश कर रहा है।
गिरोह पर लगाम लगने की संभावना
द कैनेडियन प्रेस के अनुसार, सेंटर फॉर इंटरनेशनल गवर्नेंस इनोवेशन के वरिष्ठ फेलो वेस्ली वार्क ने पहले कहा था कि आतंकवादी सूची में शामिल होने से इस गिरोह पर लगाम लगने की संभावना नहीं है, क्योंकि कनाडा की मुख्य समस्या आपराधिक खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की क्षमता का अभाव है।
लॉरेंस बिश्नोई खिलाफ 80 से अधिक आपराधिक मामले
लॉरेंस बिश्नोई एक अन्तराष्ट्रीय कुख्यात गैंगस्टर है, जो बिश्नोई गिरोह के सरगना के रूप में जाना जाता है। यह गिरोह मुख्य रूप से हत्या, वसूली, धमकियां, हथियार तस्करी और ड्रग्स की तस्करी जैसे संगठित अपराधों में लिप्त है। गिरोह का प्रभाव उत्तर भारत (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश) से लेकर मुंबई के अंडरवर्ल्ड तक फैला हुआ है, और हाल के वर्षों में यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, खासकर कनाडा और अमेरिका में सक्रिय हो गया है। बिश्नोई वर्तमान में गुजरात के साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है, लेकिन जेल से ही वह अपनी गतिविधियों को संचालित करता है। उसके खिलाफ 80 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
लॉरेंस बिश्नोई का जन्म 12 फरवरी 1993 को पंजाब के फाजिल्का जिले के दुतरावाली गांव में एक संपन्न जाट किसान परिवार में हुआ था। लॉरेंस बिश्नोई का असली नाम बलकरण बरार है। लॉरेंस बिश्नोई के पिता हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल थे, लेकिन 1997 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और खेतीबाड़ी शुरू कर दी। बचपन में बिश्नोई को एक शांत और अच्छे व्यवहार वाला लड़का माना जाता था, जो कभी झगड़ों में नहीं पड़ता था। उसने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अबोहर (पंजाब) के असम्पशन कॉन्वेंट स्कूल से पूरी की, जहां वे एथलेटिक्स (खासकर 1500 मीटर दौड़) में सक्रिय था।
2010 में वह चंडीगढ़ चला गया और डीएवी कॉलेज से बीए और पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान वह छात्र राजनीति में सक्रिय हो गया। इस दौरान वह पंजाब विश्वविद्यालय कैंपस स्टूडेंट्स काउंसिल से जुड़ गया। यहां उसकी दोस्ती गोल्डी बरार से हो गयी। गोल्डी बरार बाद में कनाडा में गैंगस्टर बना।
बिश्नोई ने कैसे रखा अपराध की दुनिया में कदम
बिश्नोई का अपराधी जीवन 2008 में शुरू हुआ, जब उसने अपने दोस्त रॉबिन बरार के छात्र परिषद चुनाव में मदद के लिए एक प्रतिद्वंद्वी पर गोली चलाई, जिसके लिए उसे पहली बार जेल भेजा गया। 2010-2012 के बीच चंडीगढ़ में उसके खिलाफ हत्या की कोशिश, अतिक्रमण, हमला और लूट के कई मामले दर्ज हुए, जो ज्यादातर छात्र राजनीति से जुड़े थे। इनमें से 7 FIR में चार में उसे बरी कर दिया गया, लेकिन 3 मामले अभी लंबित हैं।
जेल में रहते हुए उसने अन्य कैदियों के साथ गठजोड़ बनाए और रिहा होने के बाद हथियार तस्करों से संपर्क स्थापित किया। 2013 में लॉ की डिग्री पूरी करने के बाद, उसने मुक्तसर में एक सरकारी कॉलेज के छात्र नेता और लुधियाना नगर निगम चुनाव में एक प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार की हत्या करवाई। साथ ही, वे शराब तस्करी और हत्यारों को शरण देने में भी लिप्त हो गया। 2014 में राजस्थान पुलिस के साथ एक सशस्त्र मुठभेड़ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। जेल से ही उसने बिश्नोई गिरोह को मजबूत बनाया, जो अब 700 से अधिक शूटरों का नेटवर्क है। गिरोह का नाम बिश्नोई समुदाय से प्रेरित है, जो पर्यावरण और ब्लैकबक हिरण की रक्षा के लिए जाना जाता है।
मुख्य सदस्य और सहयोगी
1-गोल्डी बरार बिश्नोई का सबसे करीबी दोस्त गोल्डी बरार है जो कनाडा से गैंग चलता है। वह कई हत्याओं में शामिल है और सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी ले चुका है।
2-रोहित गोडारा गिरोह का प्रमुख सदस्य, जो जयपुर में करणी सेना नेता सुक्खदेव सिंह गोगामेडी की हत्या का दावा करने के लिए जाना जाता है।
3-जसविंदर सिंह उर्फ रॉकी एक पूर्व गैंगस्टर, जो 2016 में मारा गया।
4-शुभम लोंकार बाबा सिद्दीकी हत्या का दावा करने वाला, जो गिरोह का करीबी था।
अन्य सहयोगियों में सुक्खा डुनेके जो कनाडा में मारा गया और विभिन्न हैंडलर जो सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम, स्नैपचैट) के जरिए संचालित होते हैं।
अंतरराष्ट्रीय संबंध और प्रमुख आपराधिक गतिविधियां
बिश्नोई गिरोह की गतिविधियां हत्याओं, वसूली और धमकियों पर केंद्रित हैं। गिरोह क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी गिरोहों (जैसे गैंगस्टर काला खरकू, बग्गा सिंह) से युद्ध लड़ता है।
सलमान खान को धमकियां (2018-वर्तमान)- बिश्नोई ने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को 1998 के ब्लैकबक शिकार मामले के लिए धमकी दी, क्योंकि बिश्नोई समुदाय ब्लैकबक को पवित्र मानता है। 2018 में उनके सहयोगी संपत नेहरा ने सलमान पर हमला किया। 2023-24 में भी धमकियां जारी रहीं।
सिद्धू मूसेवाला हत्या (29 मई 2022)- पंजाब के मंसा में पंजाबी सिंगर सिडहू मूसेवाला पर 24 गोलियां चलाई गईं। गोल्डी बरार ने बिश्नोई के नाम पर जिम्मेदारी ली। योजना विभिन्न जेलों से बनी, जिसमें VoIP कॉल्स का इस्तेमाल हुआ।
सुक्खा दुनेके हत्या (21 सितंबर 2023)- कनाडा के एडमोंटन में पंजाबी गैंगस्टर सुक्खदूल सिंह उर्फ सुक्खा दुनेके की गोली मारकर हत्या। बिश्नोई ने जिम्मेदारी ली, उसे “नशेड़ी” बताते हुए।
सुक्खदेव सिंह गोगामेड़ी हत्या (5 दिसंबर 2023)- जयपुर में करणी सेना अध्यक्ष सुक्खदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या, रोहित गोडारा ने दावा किया।
बाबा सिद्दीकी हत्या (12 अक्टूबर 2024)- मुंबई में NCP नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या। शुभम लोंकार ने फेसबुक पर बिश्नोई के नाम पर जिम्मेदारी ली। जांच में इंस्टाग्राम और स्नैपचैट का इस्तेमाल सामने आया।
अन्य: 2023 में गिप्पी ग्रेवाल के घर पर गोलीबारी का दावा। गिरोह वसूली के लिए व्यापारियों और सेलिब्रिटीज को टारगेट करता है।
बिश्नोई गिरोह का वैश्विक नेटवर्क कनाडा, अमेरिका, दुबई, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया तक फैला है। वसूली का पैसा प्रो-खालिस्तान तत्वों को फंडिंग के रूप में भेजा जाता है। कनाडा में गोल्डी बरार जैसे सदस्य सक्रिय हैं। 2023 में हरदीप सिंह निज्जर सिख अलगाववादी नेता की हत्या में गिरोह को भारतीय खुफिया एजेंसी RAW के इशारे पर आरोपी ठहराया गया।
भारत-कनाडा संबंध बिगड़े
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारतीय सरकार बिश्नोई गिरोह को सिख असंतुष्टों को टारगेट करने के लिए इस्तेमाल कर रही है। इससे भारत-कनाडा संबंध बिगड़े, और अक्टूबर 2024 में दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित किया।वर्तमान स्थिति और हाल की घटनाएं (2025 तक)बिश्नोई साबरमती जेल में बंद है, लेकिन जेल से VoIP और सोशल मीडिया के जरिए संचालन जारी रखता है। गिरोह मुंबई अंडरवर्ल्ड में घुसपैठ कर रहा है।
29 सितंबर 2025 को कनाडा सरकार ने बिश्नोई गिरोह को “आतंकवादी संगठन” घोषित कर दिया, जिससे कनाडा में इसके संपत्ति जब्ती और फंडिंग पर रोक लग गई। यह कदम निज्जर हत्या और अन्य हिंसाओं के जवाब में उठाया गया। भारत ने इन आरोपों को खारिज किया है। गिरोह के कई सदस्य गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन नेटवर्क मजबूत बना हुआ है। यह गिरोह भारत के संगठित अपराध का एक प्रमुख उदाहरण है, जो छात्र राजनीति से शुरू होकर वैश्विक स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, कानून प्रवर्तन एजेंसियां (जैसे NIA, CBI) लगातार कार्रवाई कर रही हैं।


