सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों ने किया हमला

नई दिल्ली। लंदन के बाद सैन फ्रांसिस्को में भी खालिस्तान समर्थकों ने अपना दुस्साहस दिखाया है। यहां रविवार रात को खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के समूह ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला करके उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। खालिस्तान समर्थकों की ये कार्रवाई 'वारिश पंजाब दे' संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के समर्थन में की जा रही है। साथ ही पंजाब में अमृतपाल सिंह के सहयोगियों की गिरफ्तारी के विरोध में इमारत के बाहर खालिस्तानी झंडे भी लहराए। हालांकि इस घटना पर सैन फ्रांसिस्को पुलिस की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई थी। कट्टरपंथी उपदेशक एवं खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने भारतीय वाणिज्‍य दूतावास को काफी नुकसान पहुंचाया है। खाल‍िस्‍तानी समर्थक पहले प्रदर्शन करने के लिए वहां पहुंचे थे बाद में उन लोगों ने हमला बोल दिया। हमलावरों द्वारा खुद बनाए गए कई वीडियो में देखा गया है कि उपद्रवी खालिस्तान के झंडे के लकड़ी के बट से वाणिज्य दूतावास की इमारत के दरवाजों और खिड़कियों के शीशे तोड़ रहे हैं। गौरतलब है कि रविवार को खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों ने ब्रिटेन में तिरंगा का अपमान किया था। भारत ने रविवार रात दिल्ली में सबसे वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक को तलब कर सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए थे। विदेश मंत्रालय ने एक कड़े बयान में कहा था कि भारत को ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक परिसरों और कर्मियों की सुरक्षा के लिए ब्रिटेन सरकार की बेरूखी देखने को मिली है, जो अस्वीकार्य है। सूत्रों ने कहा कि ब्रिटिश उप उच्चायुक्त क्रिस्टीना स्कॉट को घटना के मद्देनजर विदेश मंत्रालय में तलब किया गया क्योंकि उच्चायुक्त एलेक्स एलिस दिल्ली से बाहर हैं। भारतीय अमेरिकी नागरिकों ने जताई कड़ी नाराजगी भारतीय-अमेरिकियों ने इसकी कड़ी निंदा की है। साथ ही इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग भी की है। भारतीय अमेरिकी समुदाय के नेता अजय भूटोरिया ने सैन फ्रांसिस्को में भारत के वाणिज्य दूतावास भवन पर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि हिंसा का यह कृत्य न केवल अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक संबंधों के लिए खतरा है, बल्कि हमारे समुदाय की शांति और सद्भाव पर भी हमला है। भूटोरिया ने स्थानीय अधिकारियों से इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और उन्हें न्याय दिलाने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं अपने समुदाय के सभी सदस्यों से एकजुट का भी आग्रह किया। FIIDS ने दी यह प्रतिक्रिया वहीं, खालिस्तान समर्थकों के हमले को लेकर फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (एफआईआईडीएस) ने भी नाराजगी जताई है। FIIDS ने कहा है कि हम लंदन के साथ-साथ एसएफओ में भी पूरी तरह से कानून व्यवस्था की विफलता से चकित हैं। जहां कुछ कट्टरपंथी अलगाववादियों ने भारत के राजनयिक मिशनों पर हमला किया है। FIIDS ने कहा कि यह देखना बेहद चिंताजनक है कि ब्रिटेन और अमेरिका राजनयिक मिशनों की सुरक्षा के लिए वियना कन्वेंशन के अनुसार प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहे हैं। FIIDS ने मांग करते हुए कहा कि हम डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS), FBI और CIA जैसे कानून और व्यवस्था संस्थानों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करेंगे कि संयुक्त राज्य अमेरिका में आतंकवाद को कोई जगह और समर्थन न मिले। साथ ही उसने यह भी कहा कि झूठे प्रचार के साथ सिख कट्टरपंथ को भड़काने और फंडिंग करने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI है। वहीं, दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह और उनके सहयोगियों पर पंजाब पुलिस की कार्रवाई के विरोध में खालिस्तान समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया। यहां खालिस्तान समर्थक ऑस्ट्रेलियाई संसद के बाहर एकत्र हुए और जमकर नारेबाजी की। गौरतलब है कि अमृतपाल सिंह की तलाश जारी है। शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक, खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को शनिवार से पंजाब में बड़े पैमाने पर तलाशा जा रहा है। उसने बड़ी संख्या में हथियार जमा किए, युवा सिख पुरुषों को नशामुक्त करने के लिए नशामुक्ति केंद्र चलाए और एक ड्रग डीलर द्वारा उपहार में दी गई मर्सिडीज एसयूवी का इस्तेमाल किया। पंजाब में अर्धसैनिक बल के सैकड़ों जवान फैल गए हैं और अमृतपाल सिंह की तलाश में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अमृतपाल सिंह को शनिवार को मर्सिडीज एसयूवी में तेजी से जाते हुए देखा गया था। हालांकि, बाद में अमृतपाल सिंह ने कार को छोड़ दिया और पुलिस को चकमा देने के लिए बाइक पर सवार हो गया।

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नई दिल्ली। लंदन के बाद सैन फ्रांसिस्को में भी खालिस्तान समर्थकों ने अपना दुस्साहस दिखाया है। यहां रविवार रात को खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के समूह ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला करके उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। खालिस्तान समर्थकों की ये कार्रवाई ‘वारिश पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के समर्थन में की जा रही है।  साथ ही पंजाब में अमृतपाल सिंह के सहयोगियों की गिरफ्तारी के विरोध में इमारत के बाहर खालिस्तानी झंडे भी लहराए। हालांकि इस घटना पर सैन फ्रांसिस्को पुलिस की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई थी।

कट्टरपंथी उपदेशक एवं खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने भारतीय वाणिज्‍य दूतावास को काफी नुकसान पहुंचाया है।  खाल‍िस्‍तानी समर्थक पहले प्रदर्शन करने के लिए वहां पहुंचे थे बाद में उन लोगों ने हमला बोल दिया। हमलावरों द्वारा खुद बनाए गए कई वीडियो में देखा गया है कि उपद्रवी खालिस्तान के झंडे के लकड़ी के बट से वाणिज्य दूतावास की इमारत के दरवाजों और खिड़कियों के शीशे तोड़ रहे हैं।

गौरतलब है कि रविवार को खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों ने ब्रिटेन में तिरंगा का अपमान किया था। भारत ने रविवार रात दिल्ली में सबसे वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक को तलब कर सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए थे। विदेश मंत्रालय ने एक कड़े बयान में कहा था कि भारत को ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक परिसरों और कर्मियों की सुरक्षा के लिए ब्रिटेन सरकार की बेरूखी देखने को मिली है, जो अस्वीकार्य है। सूत्रों ने कहा कि ब्रिटिश उप उच्चायुक्त क्रिस्टीना स्कॉट को घटना के मद्देनजर विदेश मंत्रालय में तलब किया गया क्योंकि उच्चायुक्त एलेक्स एलिस दिल्ली से बाहर हैं।

भारतीय-अमेरिकियों ने इसकी कड़ी निंदा की है। साथ ही इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग भी की है। भारतीय अमेरिकी समुदाय के नेता अजय भूटोरिया ने सैन फ्रांसिस्को में भारत के वाणिज्य दूतावास भवन पर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि हिंसा का यह कृत्य न केवल अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक संबंधों के लिए खतरा है, बल्कि हमारे समुदाय की शांति और सद्भाव पर भी हमला है। भूटोरिया ने स्थानीय अधिकारियों से इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और उन्हें न्याय दिलाने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं अपने समुदाय के सभी सदस्यों से एकजुट का भी आग्रह किया।

वहीं, खालिस्तान समर्थकों के हमले को लेकर फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (एफआईआईडीएस) ने भी नाराजगी जताई है। FIIDS ने कहा है कि हम लंदन के साथ-साथ एसएफओ में भी पूरी तरह से कानून व्यवस्था की विफलता से चकित हैं।  जहां कुछ कट्टरपंथी अलगाववादियों ने भारत के राजनयिक मिशनों पर हमला किया है। FIIDS ने कहा कि यह देखना बेहद चिंताजनक है कि ब्रिटेन और अमेरिका राजनयिक मिशनों की सुरक्षा के लिए वियना कन्वेंशन के अनुसार प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहे हैं।

FIIDS ने मांग करते हुए कहा कि हम डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS), FBI और CIA जैसे कानून और व्यवस्था संस्थानों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करेंगे कि संयुक्त राज्य अमेरिका में आतंकवाद को कोई जगह और समर्थन न मिले। साथ ही उसने यह भी कहा कि झूठे प्रचार के साथ सिख कट्टरपंथ को भड़काने और फंडिंग करने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI है।

वहीं, दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह और उनके सहयोगियों पर पंजाब पुलिस की कार्रवाई के विरोध में खालिस्तान समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया। यहां खालिस्तान समर्थक ऑस्ट्रेलियाई संसद के बाहर एकत्र हुए और जमकर नारेबाजी की।

ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर सिख समुदाय ने किया विरोध

सिख समुदाय से जुड़े कई लोगों ने इकट्ठा होकर सोमवार को दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। बता दें कि लंदन में रविवार को तिरंगे का अपमान किया गया था। भारतीय उच्चायोग में खालिस्तानी समर्थक अलगाववादियों द्वारा भारतीय ध्वज नीचे गिरा दिया गया था। अब भारत में सिख समुदाय से जुड़े लोगों ने घटना के खिलाफ ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर विरोध किया है।

गौरतलब है कि अमृतपाल सिंह की तलाश जारी है। शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक, खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को शनिवार से पंजाब में बड़े पैमाने पर तलाशा जा रहा है। उसने बड़ी संख्या में हथियार जमा किए, युवा सिख पुरुषों को नशामुक्त करने के लिए नशामुक्ति केंद्र चलाए और एक ड्रग डीलर द्वारा उपहार में दी गई मर्सिडीज एसयूवी का इस्तेमाल किया। पंजाब में अर्धसैनिक बल के सैकड़ों जवान फैल गए हैं और अमृतपाल सिंह की तलाश में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अमृतपाल सिंह को शनिवार को मर्सिडीज एसयूवी में तेजी से जाते हुए देखा गया था। हालांकि, बाद में अमृतपाल सिंह ने कार को छोड़ दिया और पुलिस को चकमा देने के लिए बाइक पर सवार हो गया।

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