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मानव परिवार हुआ आबाद, 8 अरब के पार हुई आबादी ,1974 में थी 4 अरब की जनसंख्या

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नई दिल्ली। मानव परिवार की आबादी  8 अरब के पार पहुंच गयी है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दुनिया की आबादी 48 साल बाद दोगुनी हो रही है। 1974 में 4 अरब के आंकड़े को छूने के 48 साल बाद आबादी दोगुनी हुई है। हालांकि अब आबादी कभी दोगुनी नहीं होगी। कम मौतों और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के कारण दुनिया की आबादी अगले कुछ दशकों तक बढ़ती रहेगी। विश्व में मानव का इतना बड़ा परिवार हो गया है कि आने वाली सालों में खाद्यान्न समेत तमाम जरूरतों की किल्लत भी देखने को मिल सकती है।

हालांकि संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या के अनुमान डाटा और कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि दुनिया की आबादी हमेशा के लिए नहीं बढ़ेगी। इसी सदी में एक दौर ऐसा भी आएगा, जब आबादी की ग्रोथ स्थिर हो जाएगी और फिर गिरावट भी देखने को मिलेगी। लेकिन बीते 48 सालों में आबादी में जो इजाफा हुआ है, वह चौंकाने वाला है। दुनिया की आबादी 1974 में 4 अरब ही थी, जो अब 8 अरब के पार हो गई है। 1950 में तो दुनिया की आबादी महज ढाई अरब ही थी। यही नहीं 2086 ऐसा साल होगा, जब इस दुनिया में 10.6 अरब के पार इंसानों की आबादी हो जाएगी।

बढ़ती आबादी का एक अर्थ यह भी है कि औसत आयु भी बढ़ रही है। प्रत्येक अरब में बढ़ोत्तरी बुजुर्ग लोगों की संख्या में वृद्धि करता है और इससे वैश्विक औसत आयु बढ़ती है। जनसंख्या को दो हिस्सों में बांटकर इसे समझा जा सकता है। 1974 में, वैश्विक आबादी की औसत आयु 20.6 वर्ष थी, जिसका मतलब है कि दुनिया की आधी आबादी की उम्र 22 साल 2 महीने से कम थी जबकि आधी आबादी इससे अधिक उम्र की। वर्तमान वैश्विक औसत आयु 30 साल 5 महीने की है।

जैसे-जैसे जन्म दर में गिरवाट आएगी वैसे ही बढ़ती जनसंख्या की रफ्तार धीमी हो जाएगी। एक बार इसके स्थिर होने पर इसमें गिरावट होगी। हम अभी 8 अरब की आबादी के निशान पर हैं, और वर्ष 2100 से पहले 10 अरब को पार कर लेंगे। लेकिन संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या अनुमान डाटा और कई विशेषज्ञ मानते हैं कि दुनिया की आबादी हमेशा के लिए नहीं बढ़ेगी। इस शताब्दी में किसी समय, जनसंख्या चरम पर होगी और उसके बाद घटने लगेगी। ग्राफ को देखा जाए तो आबादी 2086 में 10 अरब से अधिक होगी जो पीक होगा।

आबादी से जुड़े मामलों की समझ रखने वालों का कहना है कि मृत्यु दर में कमी की वजह से भी जनसंख्या में इजाफा हो रहा है। बीते करीब 70 सालों में दुनिया की आबादी बढ़ाने में चीन और भारत का अहम योगदान रहा है। इन दोनों देशों की आबादी ही मिला लें तो यह करीब 2.80 अरब हो जाती है। लेकिन आने वाले वक्त में भारत और चीन की ग्रोथ में कमी देखने को मिलेगी। कहा जा रहा है कि 21वीं सदी के आखिरी दशकों में भारत और चीन की बजाय अफ्रीकी देशों में आबादी तेजी से बढ़ेगी। इन देशों में तंजानिया, नाइजीरिया और कॉन्गो शामिल होंगे।

आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सबसे ज्यादा आबादी अब भी 142 करोड़ के साथ चीन की है और दूसरे नंबर पर भारत है, जिसकी जनसंख्या 141 करोड़ है। कहा जा रहा है कि जिस गति से भारत की आबादी बढ़ रही है, उसके मुताबिक 2023 में वह चीन को भी इस मामले में पीछे छोड़ देगा। हालांकि 2050 के आसपास से आबादी की ग्रोथ स्थिर होगी और फिर कमी भी देखने को मिलेगी। यही वजह है कि भारत, चीन समेत दुनिया के कई देशों में आने वाले दशकों में युवा आबादी घटने की आशंका जताई जा रही है, जिसका वर्कफोर्स पर विपरीत असर देखने को मिल सकता है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत साल 2023 तक चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। चीन और भारत दोनों की आबादी दुनिया को कई देशों को मिलाकर आबादी से कहीं अधिक होगी। चीन की बढ़ती आबादी को लेकर जो अनुमान लगाया गया है उससे चीन की टेंशन बढ़ेगी। एक वक्त था जब चीन ने बढ़ती आबादी पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम बनाए अब वह चाह रहा है कि उसके देश की आबादी बढ़े। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कई विवाहित जोड़े केवल एक ही बच्‍चा पैदा करना चाहते हैं जबकि सरकार की कोशिश है कि लोग कम से कम 3 बच्‍चे पैदा करें।

दरअसल दुनिया के कई देशों में पहले से ही आबादी की ग्रोथ रेट रिप्लेसमेंट लेवल यानी 2.1 से भी कम हो गई है। कहा जा रहा है कि पूरी दुनिया की आबादी की ग्रोथ रेट ही 2055 तक 2.1 यानी रिप्लेसमेंट लेवल तक रह जाएगी। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक आबादी में सबसे अधिक इजाफा 2012 से 2014 के दौरान हुआ है। इस दौरान 14 करोड़ से ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ था। कहा जा रहा है कि कुछ उतार-चढ़ाव के साथ ही 2043 से आबादी बढ़ने की दर में गिरावट देखी जा सकती है। अब तक आबादी में तेजी से इजाफा हुआ है, लेकिन अब अगले एक अरब लोगों के आबादी में जुड़ने में 12 सालों का वक्त लगेगा।

आबादी बढ़ने की दर पर नजर दौड़ाएं तो दुनिया में मनुष्यों की संख्या 1950 में ढाई अरब थी, जो अगले 10 सालों में बढ़कर 3 अरब हो गई। इसके बाद 1974 में 4 अरब हो गई। फिर अगले 13 सालों में यानी 1987 में यह आंकड़ा 5 अरब हो गया। हालांकि अगला एक अरब यानी 6 करोड़ आंकड़ा होने में 12 साल ही लगे। फिर 2011 में दुनिया की आबादी 7 अरब हो गई और अब आंकड़ा 11 सालों में 8 अरब के पार पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि आने वाले दशकों में आबादी की ग्रोथ में थोड़ी स्थिरता आएगी और 2086 तक हमारी आबादी 10.4 अरब तक पहुंच जाएगी।

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