नई दिल्ली। कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति ना करने के मामले में सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार NJAC के रद्द किए जाने से नाखुश है। केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति को लेकर बैठी रहेगी तो सिस्टम कैसे काम करेगा। पिछले 2 महीने से सब कुछ ठप है, इसका समाधान करें।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कॉलेजियम सिफारिश से कुछ नामों को मंजूरी देकर और अन्य नामों को रोककर कॉलेजियम प्रस्तावों को विभाजित करने की केंद्र की प्रथा की आलोचना की। जस्टिस एसके कौल ने केंद्र द्वारा कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी देने में देरी के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, ” कभी-कभी जब आप नियुक्ति करते हैं तो आप सूची से कुछ नामों को चुनते हैं और दूसरों को नहीं। आप क्या करते हैं कि आप सिनियोरिटी को प्रभावी ढंग से बाधित करते हैं। जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिफारिश करता है, तो कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है। ” पहली पीढ़ी के वकील मिलना बहुत कठिन स्थिति है। समयसीमा निर्धारित की गई है, इसका पालन करना होगा।
कोर्ट ने कहा कि हमें न्यायिक पक्ष पर फैसला करने को विवश ना करें। वहीं, अटॉर्नी जनरल और एसजी को कहा कि वे सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सलाह दें कि देश के कानून का पालन किया जाए। एजी ने अदालत को आश्वासन दिया कि उन्होंने अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाया है और इसे हल करने के लिए कुछ समय मांगा है। उन्होंने कहा, ” किसी अन्य कारक को शामिल किए बिना कुछ शीघ्रता की आवश्यकता है। आदेश प्राप्त करने के बाद मैंने सेक्रेटीज़ के साथ कुछ चर्चा की। कुछ तथ्य बताए गए। मेरे कुछ प्रश्न भी थे। मुझे वापस आने दीजिए। “अब इस मामले में 8 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कानून मंत्री किरेन रिजीजू के कॉलेजियम पर दिए बयानों पर भी नाराजगी जाहिर की। एक समिट में कानून मंत्री के कॉलेजियम को लेकर बयानों पर जस्टिस संजय किशन कौल ने निराशा जताई और कहा कि ये नहीं हो ना चाहिए था। ये कोई प्रेस रिपोर्ट नहीं है, बल्कि उच्च पद पर बैठने वाले का बयान है। ऐसा नहीं होना चाहिए था।
दरअसल, इस आरोप का जवाब देते हुए कि सरकार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की विभिन्न सिफारिशों पर ‘बैठती’ है, कानून मंत्री रिजिजू ने कहा था यह कभी नहीं कहना चाहिए कि सरकार फाइलों पर बैठी है। कभी मत कहिए कि सरकार फाइलों पर बैठी है, फिर फाइलें सरकार को मत भेजिए, आप खुद ही नियुक्त करिए। आप खुद ही शो चलाइए।
उन्होंने कहा था कि सिस्टम उस तरह काम नहीं करता है। कार्यपालिका और न्यायपालिका को काम करते हुए उन्हें देश की सेवा करनी होगी। 11 नवंबर को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र द्वारा नामों को लंबित रखना मंजूर नहीं है। सरकार न तो नामों की नियुक्ति करती है और न ही अपनी आपत्ति के बारे में बताती है। सरकार के पास 10 नाम भी लंबित हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दोहराया है।