–CAA का विरोध करने वालों का कहना है कि यह 1985 के असम समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जो केंद्र सरकार और AASU के बीच हुआ था, जिसने बांग्लादेश से ‘अवैध प्रवासियों’ के खिलाफ 6 साल तक आंदोलन का नेतृत्व किया था।
नई दिल्ली। देशभर में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम CAA कानून लागू होते ही देश भर में विरोध-प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। विरोध को देखते हुए कई राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश असम और दिल्ली उन संवेदनशील राज्यों में शामिल हैं, यहां पुलिस अलर्ट मोड पर है। दिल्ली पुलिस की साइबर बिंग भी अलर्ट पर है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देश भर की सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस की पैनी नजर है। दरअसल CAA के विरोध में राजधानी में बड़ी संख्या में धरना प्रदर्शन किया गया था। शाहीनबाग इलाके पर खास नजर रखी जा रही है। वहीं असम में CAA के खिलाफ आज बंद बुलाया गया है।
पुलिस ने सख्त लहजे में कहा कि विरोध-प्रदर्शन और बंद की वजह से अगर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो उनकी वसूली भी प्रदर्शनकारियों से ही की जाएगी। CAA के नियमों को अधिसूचित करने के बाद गौतमबुद्धनगर पुलिस अलर्ट मोड पर है। तीनों जोन के पुलिस उपायुक्तों (डीसीपी) ने सोमवार शाम को पुलिसबल के साथ अलग-अलग जगहों पर पैदल मार्च किया अधिकारियों ने बताया कि संवेदनशील जगहों पर अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है तथा इन इलाकों में पुलिस ने गश्त बढ़ा दी है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में पुलिस सभी धर्म गुरुओं के साथ पहले ही बैठक कर चुकी है तथा कई जगह पर सादे कपड़ों में भी पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। नोएडा जोन के DCP विद्या सागर मिश्रा ने बताया कि शहर के कई हिस्सों में ड्रोन कैमरे से भी निगरानी की जा रही है तथा शहर को ‘जोन’ और ‘सुपरजोन’ में बांटा गया है।
असम में राजनीतिक दलों को कानूनी नोटिस जारी
असम में CAA का एक बार फिर विरोध शुरू हो गया है। राज्य में विपक्षी दलों और क्षेत्रीय संगठनों ने शांतिपूर्ण सामूहिक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। असम पुलिस ने बंद बुलाए जाने पर 16 विपक्षी राजनीतिक दलों को कानूनी नोटिस जारी किया है। पुलिस ने राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, बंद में शामिल लोगों पर केस दर्ज किए जा सकते हैं। गुवाहाटी HC के 2023 के आदेश में कहा गया है कि ‘बंद’ अवैध और असंवैधानिक हैं। HC ने निर्देश देते हुए कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों से विरोध या हड़ताल की वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान की वसूली कर सकती है। वहीं असम के मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी थी कि बंद बुलाने पर राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन बंद हो सकता है।
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गुवाहाटी पुलिस ने कहा कि ‘रेलवे और राष्ट्रीय राजमार्ग संपत्तियों सहित सार्वजनिक/निजी संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचाने या किसी भी नागरिक को चोट लगने पर, भारतीय दंड संहिता और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम सहित कानून के उचित प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान की कुल लागत आपसे और आपके संगठन से वसूल की जाएगी।’
AASU ने की राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा
असम में विपक्षी दलों ने CAA लागू करने पर BJP सरकार की आलोचना की है। राज्यभर में CAA के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। 16 दल वाले संयुक्त विपक्षी मंच, असम (UOFA) ने मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा भी की है। मालूम हो कि ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने वर्ष 1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान और उनके निष्कासन की मांग को लेकर छह वर्षीय आंदोलन की शुरुआत की थी। AASU ने कहा कि वह केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी।
असम समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन
गौरतलब है कि असम में हिंदू ही इस कानून का विरोध कर रहे हैं। असम में यह विरोध – एक ऐसा राज्य जो बांग्लादेश के साथ 263 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है और जिसका इतिहास, राजनीति और जनसांख्यिकी प्रवास की लहरों से आकार लेती है – की एक लंबी और भयावह पृष्ठभूमि है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार CAA का विरोध करने वालों का कहना है कि यह 1985 के असम समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जो केंद्र सरकार और AASU के बीच हुआ था, जिसने बांग्लादेश से ‘अवैध प्रवासियों’ के खिलाफ 6 साल तक आंदोलन का नेतृत्व किया था।
भारत की नागरिकता प्रदान करने की अनुमति
यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने की अनुमति देता है।
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