अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने PM नरेंद्र मोदी को दिए कृषि और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़े सुझाव

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के आखिरी पूर्ण बजट के पेश होने से पहले अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श किया और उनके सुझाव लिए। नीति आयोग में प्रधानमंत्री देश के जाने माने अर्थशास्त्रियों से मुखातिब हुए। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जोखिम के बावजूद, उभरता हुआ वैश्विक वातावरण डिजिटलीकरण, ऊर्जा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में नए और अलग अलग प्रकार के अवसर प्रदान करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार कहा कि उभरते वैश्विक माहौल के परिणामस्वरूप उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को तालमेल बिठाने और लीक से हटकर सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने नीति आयोग में अगले वित्त वर्ष के बजट से पहले जाने-माने अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत में भारत की डिजिटल क्षेत्र में सफलता और वित्तीय प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाये जाने की भी सराहना की। नीति आयोग में हुई इस बैठक का थीम, वैश्विक प्रतिकूलताओं के बीच भारत का विकास और लचीलापन था। बैठक में प्रधानमंत्री ने उभरते वैश्विक हालात के मद्देनजर उत्पन्न होने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिए, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को लीक से हटकर सोचने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने भारत के डिजिटल स्टोरी की सफलता और देश भर में फिनटेक को तेजी से अपनाने की सराहना की। प्रधानमंत्री ने नारी शक्ति को भारत के विकास के प्रमुख चालक के रूप में भी रेखांकित करते हुए वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी को सक्षम बनाने और बढ़ावा देने के लिए प्रयास जारी रखने को कहा है। बाजरा के चल रहे अंतरराष्ट्रीय वर्ष में, प्रधान मंत्री ने बाजरा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। बयान के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज का वर्ष का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने ग्रामीण और कृषि क्षेत्र को बदलने की मोटे अनाज की क्षमता के मद्देनजर इसे बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज में प्राकृतिक खेती के लिए अनुकूल और पोषण के किफायती स्रोत जैसे गुण होते हैं। बैठक में शामिल अर्थशास्त्रियों ने कृषि, विनिर्माण समेत विभिन्न क्षेत्रों के बारे अपने सुझाव दिये। साथ ही उन तरीकों और व्यवहारिक उपायों के बारे में बताया जिनसे भारत अपनी विकास की गति बनाये रख सकता है। PMO ने कहा, ‘‘इस बात पर सहमति थी कि अपनी मजबूती के कारण, भारत चुनौतीपूर्ण वैश्विक मंच पर एक उज्ज्वल और आकर्षक स्थान के रूप में उभरा है।'' इस दौरान यह सुझाव भी आया कि सभी क्षेत्रों में समग्र विकास के माध्यम से इस नींव पर विकास को गति देने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने अर्थशास्त्रियों को उनके विचारों के लिए धन्यवाद दिया और उनसे आग्रह किया कि वे राष्ट्र के विकास में अपने विचार उनसे लगातार साझा करें। बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, योजना राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), नीति आयोग के उपाध्यक्ष, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, नीति आयोग के सदस्य, कैबिनेट सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार और नीति आयोग के सीईओ भी उपस्थित थे। बैठक में शामिल अर्थशास्त्रियों में शंकर आचार्य, शमिका रवि और अशोक गुलाटी समेत अन्य शामिल थे।

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के आखिरी पूर्ण बजट के पेश होने से पहले अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श किया और उनके सुझाव लिए। नीति आयोग में प्रधानमंत्री देश के जाने माने अर्थशास्त्रियों से मुखातिब हुए। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जोखिम के बावजूद, उभरता हुआ वैश्विक वातावरण डिजिटलीकरण, ऊर्जा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में नए और अलग अलग प्रकार के अवसर प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार कहा कि उभरते वैश्विक माहौल के परिणामस्वरूप उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को तालमेल बिठाने और लीक से हटकर सोचने की आवश्यकता है। उन्होंने नीति आयोग में अगले वित्त वर्ष के बजट से पहले जाने-माने अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत में भारत की डिजिटल क्षेत्र में सफलता और वित्तीय प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाये जाने की भी सराहना की।

नीति आयोग में हुई इस बैठक का थीम, वैश्विक प्रतिकूलताओं के बीच भारत का विकास और लचीलापन था। बैठक में प्रधानमंत्री ने उभरते वैश्विक हालात के मद्देनजर उत्पन्न होने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिए, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को लीक से हटकर सोचने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने भारत के डिजिटल स्टोरी की सफलता और देश भर में फिनटेक को तेजी से अपनाने की सराहना की। प्रधानमंत्री ने नारी शक्ति को भारत के विकास के प्रमुख चालक के रूप में भी रेखांकित करते हुए वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी को सक्षम बनाने और बढ़ावा देने के लिए प्रयास जारी रखने को कहा है। बाजरा के चल रहे अंतरराष्ट्रीय वर्ष में, प्रधान मंत्री ने बाजरा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

बयान के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज का वर्ष का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने ग्रामीण और कृषि क्षेत्र को बदलने की मोटे अनाज की क्षमता के मद्देनजर इसे बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज में प्राकृतिक खेती के लिए अनुकूल और पोषण के किफायती स्रोत जैसे गुण होते हैं।

बैठक में शामिल अर्थशास्त्रियों ने कृषि, विनिर्माण समेत विभिन्न क्षेत्रों के बारे अपने सुझाव दिये। साथ ही उन तरीकों और व्यवहारिक उपायों के बारे में बताया जिनसे भारत अपनी विकास की गति बनाये रख सकता है। PMO ने कहा, ‘‘इस बात पर सहमति थी कि अपनी मजबूती के कारण, भारत चुनौतीपूर्ण वैश्विक मंच पर एक उज्ज्वल और आकर्षक स्थान के रूप में उभरा है।”

इस दौरान यह सुझाव भी आया कि सभी क्षेत्रों में समग्र विकास के माध्यम से इस नींव पर विकास को गति देने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने अर्थशास्त्रियों को उनके विचारों के लिए धन्यवाद दिया और उनसे आग्रह किया कि वे राष्ट्र के विकास में अपने विचार उनसे लगातार साझा करें।

बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, योजना राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), नीति आयोग के उपाध्यक्ष, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, नीति आयोग के सदस्य, कैबिनेट सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार और नीति आयोग के सीईओ भी उपस्थित थे। बैठक में शामिल अर्थशास्त्रियों में शंकर आचार्य, शमिका रवि और अशोक गुलाटी समेत अन्य शामिल थे।

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