कर्नाटक के गरीब लोगों ने सांठगांठ वाले पूंजीपतियों को हरा दिया है, इसलिए यहां मोहब्बत का बाजार खुल गया है -राहुल गाँधी
मुख्यमंत्री बोम्मई की सरकार के खिलाफ 40 प्रतिशत कमीशन के आरोपों को कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ा मुद्दा बनाने में सफल रही।
बेंगलुरु। कर्नाटक हाल के वर्षों में खंडित जनादेश और त्रिशंकु विधानसभा देने वाला राज्य रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। शनिवार को आए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को 137 सीटों पर विजय हासिल हुई है और बहुमत का आंकड़ा 113 है। कांग्रेस ने 42.9 फीसदी वोट शेयर प्राप्त किया। 65 सीटें जीतने के बाद बीजेपी ने कर्नाटक चुनाव में हार मान ली है। जेडीएस के हिस्से में 19 सीटें आई हैं। अन्य के खाते में 3 सीटें गई हैं।
2024 लोकसभा चुनाव के पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी का ये प्रदर्शन निश्चित रूप से कार्यकर्ताओं में जोश भरेगा। इस दौरान राज्य में कांग्रेस को भारी बहुमत मिलने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने रामनगर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार जयकारे लगाए।
वर्ष 1994 के बाद केवल कांग्रेस ही राज्य के विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल करने में कामयाब रही है, वह भी तीन बार- 2023, 2013 और 1999 में इसके अलावा वर्ष 1994 के चुनाव में जेडीएस को स्पष्ट बहुमत मिला था। कर्नाटक में पिछली बार किसी पार्टी को वर्ष 2013 में स्पष्ट बहुमत मिला था, जब कांग्रेस को 122 सीटें मिली थीं और सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
‘इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया’ ने कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के साथ 122-140 के बीच सीट मिलने का अनुमान जताया था तो वहीं भाजपा को 62-80 और JD (S) को 20-25 सीटें मिलने की संभावना जताई थी. ‘न्यूज 24-टुडेज चाणक्य’ ने भी कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के साथ 120 सीटें मिलने की संभावना जताई है, इसने भाजपा को 92 सीटें और JD (S) को 12 सीटें मिलने की बात कही थी।
हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक चुनाव में स्थानीय मुद्दों और स्थानीय नेताओं को आगे रखते हुए कांग्रेस ने पीएम मोदी के चेहरे के सहारे चुनाव को राष्ट्रीय पिच पर ले जाने के भाजपा के दांव को पस्त कर दिया है। कर्नाटक में पार्टी की यह कामयाबी इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लगातार बैकफुट पर रही कांग्रेस ने इस बार फ्रंटफुट पर आकर भाजपा को चुनौती दी। 2014 के बाद यह पहला चुनाव है जिसमें कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार को न केवल सबसे बड़ा मुद्दा बनाया बल्कि उससे मात देने में भी कामयाब रही है। कर्नाटक में कांग्रेस की चुनावी रणनीति पूरी तरह स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रही ओर इसमें संदेह नहीं कि मुख्यमंत्री बोम्मई की सरकार के खिलाफ 40 प्रतिशत कमीशन के आरोपों को कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ा मुद्दा बनाने में सफल रही।
कर्नाटक में जीत के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे के घर बड़ी बैठक
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर हाई प्रोफाइल बैठक हुई। इस बैठक में खड़गे के आलावा सिद्धरमैया, डीके शिवकुमार, रणदीप सुरजेवाला और केसी वेणुगोपाल मौजूद रहे। इस बैठक से पहले कांग्रेस ने सिद्धरामैया और डीके शिवकुमार की एकजुटता की तस्वीर जारी की है।
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए बसवराज बोम्मई ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा। बोम्मई ने कहा कि उनकी पार्टी इस हार के कारणों की समीक्षा करेगी।
राहुल गांधी ने भाजपा पर तंज कसा है। राहुल ने कहा कि कर्नाटक के गरीब लोगों ने सांठगांठ वाले पूंजीपतियों को हरा दिया है। उन्होंने कहा कि हमने इस लड़ाई को नफरत से नहीं लड़ा, इसलिए यहां मोहब्बत का बाजार खुल गया है।
कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा- ‘बीजेपी हमें ताना मारती थी कि हम कांग्रेस मुक्त भारत बनाएंगे। अब यह सच्चाई है कि बीजेपी मुक्त दक्षिण भारत हो चुका है। राज्य की जनता ने फैसला किया और हमें 137 सीटें मिलीं। 36 साल बाद हमारी बड़ी जीत हुई है।
कांग्रेस ने नाम है ऐतिहासिक जीत का रिकॉर्ड
राज्य के इतिहास में 5 सबसे बड़ी जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड भी कांग्रेस के ही नाम है। 1989 में जहां इसने 178 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं 1972 में 165 सीटें, 1957 में 150 सीटें; 1978 में 149 सीटें और 1962 में 138 सीटें कांग्रेस ने अपने नाम की। वहीं इस बार के चुनाव परीणाम वर्ष 1989 के बाद कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन है।