विवादित 36.79 किलोमीटर जमीन में से असम को 18.51 किलोमीटर जमीन पर हिस्सेदारी मिलेगी और वो 18.28 किलोमीटर जमीन मेघालय को देगा।
नई दिल्ली। असम और मेघालय ने 50 साल पुराने विवाद का हल खोजते हुए ऐतिहासिक समझौते पर मंगलवार को हस्ताक्षर किए हैं। राजधानी दिल्ली में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री ने इस सीमा समझौते पर दस्तखत किए। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और मेघालय के सीएम कोनार्ड संगमा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इस समझौते पर अंतिम मुहर लगाई. इस दौरान दोनों राज्यों के गृह सचिव और केंद्रीय गृह मंत्रालय के तमाम अधिकारी भी मौजूद थे। दोनों राज्यों ने दो माह पहले एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद एक मसौदा केंद्रीय गृह मंत्रालय को 31 जनवरी को सौंपा गया था।
इस समझौते के अनुसार, दोनों राज्यों ने 884 किलोमीटर लंबी सीमाओं पर विवाद के 12 बिंदुओं में से छह को हल करते हुए ये समझौता किया है। इसके तहत विवादित 36.79 किलोमीटर जमीन में से असम को 18.51 किलोमीटर जमीन पर हिस्सेदारी मिलेगी और वो 18.28 किलोमीटर जमीन मेघालय को देगा। असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद पर समाधान को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि दोनों राज्यों के बीच इसको लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। यह विवाद मेघालय के राज्य के तौर पर स्थापना के बाद से ही उभरा था, जब असम से अलग कर अलग मेघालय राज्य का गठन किया गया।
सीमाओं के अलग-अलग निर्धारण के कारण अक्सर सीमा पर विवाद होता रहा है। असम का उसके एक और पड़ोसी राज्य मिजोरम से भी सीमा विवाद चला आ रहा है। जुलाई 2021 को इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था, जबक दोनों राज्यों के पुलिसकर्मियों के बीच गोलाबारी हुई थी, इसमें असम पुलिस के 5 जवान शहीद हो गए थे। इसको लेकर असम और मिजोरम के मुख्यमंत्री के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तब हालात को संभालने के लिए सक्रियता से कदम उठाए थे। दोनों राज्यों के बीच 500 वर्ग मील से ज्यादा के क्षेत्र को लेकर सीमा विवाद चला आ रहा है, जिसका हल निकालने को प्रयास हो रहे हैं।