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असंवैधानिक ‘चुनावी बॉन्ड’ का एक और आंकड़ा EC की वेबसाइट पर अपलोड

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नई दिल्ली। असंवैधानिक चुनावी बॉन्ड के जरिए मिलने वाले चंदे का एक और आंकड़ा EC की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से 16 मार्च को मिला इलेक्टोरल बॉन्ड का नया डेटा रविवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। नए डेटा में फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के बॉन्ड्स की जानकारी शामिल है। यह वही डेटा है जिसे चुनाव आयोग की तरफ से सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को दिया गया था।

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ये विवरण 12 अप्रैल, 2019 से पहले की अवधि के हैं। इस तिथि के बाद के चुनावी बॉन्ड विवरण पिछले सप्ताह चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए थे। चुनाव आयोग ने आज एक बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने डेटा  सीलबंद लिफाफे में वापस कर दिया है। जिसके बाद इसे आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद डेटा जारी किया है।

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14  मार्च को वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट डाली गई

आयोग ने 14 मार्च को 763 पेज की दो लिस्ट में अप्रैल 2019 के बाद खरीदे या कैश किए गए बॉन्ड की जानकारी​​ वेबसाइट पर ​​​​​अपलोड की थी। पहली लिस्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की डिटेल और दूसरी लिस्ट में राजनीतिक पार्टियों को मिले बॉन्ड का ब्यौरा था। चुनाव आयोग की वेबसाइट में अपलोड की गई सारी जानकारी 3 मूल्यवर्ग के बॉन्ड की खरीद से जुड़ी हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 14 मार्च को बॉन्ड से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को दी थी। इसमें बॉन्ड के यूनीक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स नहीं थे। कोर्ट ने 15 मार्च को SBI को नोटिस जारी कर 18 मार्च तक जवाब मांगा है।

भाजपा ने कुल 6 हजार 986 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड कैश कराए

चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक, भाजपा ने कुल 6 हजार 986 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड कैश कराए हैं। पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2 हजार 555 करोड़ रुपए मिले हैं। वहीं, DMK को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपए मिले, जिसमें लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से 509 करोड़ रुपए भी शामिल हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को लगाई थी फटकार

SBI ने मंगलवार शाम 5.30 बजे चुनाव आयोग को डेटा सौंप दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग (EC) ने गुरुवार को इसे सार्वजनिक किया था्. 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को फटकार लगाई थी और 12 मार्च शाम तक यह डिटेल देने का निर्देश दिया था।

राजनीतिक पार्टियों ने मांगे बॉन्ड्स के यूनीक नंबर्स

आयोग की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के मुताबिक कुछ पार्टियों ने SBI से बॉन्ड्स के यूनीक नंबर्स मांगे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि उसे नंबर्स चाहिए ताकि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर सके। भारतीय जनता पार्टी ने SBI से ऐसी कोई अपील नहीं की है, बल्कि उसने पूरा डेटा दिया है।

चुनाव आयोग ने गुरुवार (14 मार्च) को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया। हालांकि, किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है, इसका लिस्ट में जिक्र नहीं किया गया है। चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की हैं। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है।

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-भारतीय जनता पार्टी (BJP)ने कुल ₹6,986.5 करोड़ के चुनावी बांड भुनाए , जिसमें से ₹2,555 करोड़ 2019-20 में प्राप्त हुए।
-तृणमूल कांग्रेस (TMC) को चुनावी बांड के माध्यम से ₹1,397 करोड़ मिले, जो BJP के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है।
-कांग्रेस ने चुनावी बांड के जरिए कुल ₹1,334.35 करोड़ भुनाए।
-भारत राष्ट्र समिति (BRS) चुनावी बांड के माध्यम से चौथा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है, जिसने ₹1,322 करोड़ के बांड भुनाए।
-द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) को चुनावी बांड के माध्यम से ₹656.5 करोड़ मिले, जिसमें लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से ₹509 करोड़ भी शामिल हैं।

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-समाजवादी पार्टी (SP) को चुनावी बांड के जरिए ₹14.05 करोड़, अकाली दल को ₹7.26 करोड़, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ -मुनेत्र कड़गम (AIADMK) को ₹6.05 करोड़, नेशनल कॉन्फ्रेंस को ₹50 लाख मिले।
-बीजू जनता दल (BJD) ने ₹944.5 करोड़, युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआर कांग्रेस) ने ₹442.8 करोड़, तेलुगु -देशम पार्टी (TDP) ने ₹181.35 करोड़ के चुनावी बांड भुनाए।
-बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई (एम)), और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की फाइलिंग में चुनावी बांड के माध्यम से शून्य रसीदें दिखाई गईं। .
ईसीआई द्वारा मार्च 2018 – अप्रैल 2019 की अवधि के लिए चुनावी बांड के सीलबंद कवर डेटा को सार्वजनिक किया गया है, जिसमें दानदाताओं के नाम शामिल नहीं हैं (कुछ पार्टियों को छोड़कर जिन्होंने स्वेच्छा से नामों का खुलासा किया है)।

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चुनावी बॉन्ड इनकैश कराने वाली पार्टियों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, AIADMK, बीआरएस, शिवसेना, TDP, YSR कांग्रेस, डीएमके, JDS, एनसीपी, जेडीयू और राजद भी शामिल हैं।बहुजन समाज पार्टी ने कहा कि उसे चुनावी बॉन्ड के जरिए कोई चंदा नहीं मिला है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी कहा कि उसे भी इलेक्टोरल बॉन्ड्स से चंदा नहीं मिला। कांग्रेस ने कहा कि वह SBI द्वारा चुनाव आयोग को दिया गया डेटा जारी करेगी।

बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों में टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड भी शामिल हैं। ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज ने भी राजनीतिक दलों को चंदा दिया है।

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तृणमूल कांग्रेस ने एसबीआई को पत्र लिखकर बॉन्ड की विशिष्ट संख्या मांगी है ताकि पार्टी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर सके।  मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कहा है कि उसे चुनावी बॉन्ड के जरिए कोई चंदा नहीं मिला है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या CPI (M) ने कहा कि उसे भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा नहीं मिला है।

चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक, इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए BJP, कांग्रेस, AIADMK, BRS, शिवसेना, TDP, YSR कांग्रेस को डोनेशन मिला। इलेक्टोरल बॉन्ड के खरीदारों में अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन और सन फार्मा शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित किया था

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान बेंच ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित कर बिक्री पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट  ने SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा सौंपने को कहा था। SBI ने मंगलवार शाम 5.30 बजे चुनाव आयोग को डेटा सौंप दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग (EC) ने गुरुवार को इसे सार्वजनिक किया। 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को फटकार लगाई थी और 12 मार्च शाम तक यह डिटेल देने का निर्देश दिया था।

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