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जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, पीने का पानी हो चूका है ‘जहरीला’
एक व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए पानी पीना बहुत जरूरी है. हमारे शरीर में 66% पानी होता है। हमारे दिमाग में 75%, हड्डियों में 25% और खून में 83% पानी होता है। कोई भी इंसान बिना खाने के महीनेभर तक जिंदा रह सकता है, लेकिन बिना पानी के सिर्फ एक हफ्ते। एक व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी में औसतन 75 हजार लीटर पानी पीता है। किसी इंसान को स्वस्थ रहने के लिए हर दिन कम से कम 2 लीटर पानी पीना चाहिए। लेकिन क्या ये पानी हमें वाकई हेल्दी बना रहा है? इसका जवाब शायद ‘नहीं’ है।
दरअसल, आज के समय में हम पानी तो पी रहे हैं, लेकिन वो ‘जहर’ बन चुका है। ये बात सरकार ने संसद में मानी है। सरकार ने राज्यसभा में जो आंकड़े दिए हैं, वो सिर्फ चौंकाते ही नहीं है, बल्कि डराते भी हैं। ये आंकड़े डराते हैं कि हम अब तक जो पानी पीते आ रहे हैं, वो ‘जहरीला’ है। क्योंकि, देश के लगभग सभी राज्यों के ज्यादातर जिले ऐसे हैं, जहां ग्राउंड वाटर में जहरीली धातुओं की मात्रा तय मानक से ज्यादा पाई गई है।
25 राज्यों के 209 जिलों के कुछ हिस्सों में ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है।
29 राज्यों के 491 जिलों के कुछ हिस्सों में ग्राउंड वाटर में आयरन की मात्रा 1 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है।
21 राज्यों के 176 जिले ऐसे हैं, जहां के कुछ हिस्सों में ग्राउंड वाटर में सीसा तय मानक 0.01 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है।
11 राज्यों के 29 जिलों के कुछ हिस्सों में ग्राउंड वाटर में कैडमियम की मात्रा 0.003 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा पाई गई है।
16 राज्यों के 62 जिलों के कुछ हिस्सों में ग्राउंड वाटर में क्रोमियम की मात्रा 0.05 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा मिली है।
वहीं, 18 राज्यों के 152 जिले ऐसे हैं जहां के कुछ हिस्सों में ग्राउंट वाटर में यूरेनियम 0.03 मिलिग्राम प्रति लीटर से ज्यादा पाया गया है।
80% आबादी पीती है जहरीला पानी
जल शक्ति मंत्रालय के एक डॉक्युमेंट के अनुसार, देश की 80% से ज्यादा आबादी के घरों में पानी ग्राउंड वाटर से जाता है। जिसमें जहरीली धातुओं की मात्रा तय मानक से ज्यादा पाई गई है। लिहाजा, ग्राउंड वाटर में खतरनाक धातुओं की मात्रा तय मानक से ज्यादा होने का मतलब है कि पानी ‘जहर’ बन रहा है। राज्यसभा में सरकार ने उन रिहायशी इलाकों की संख्या का आंकड़ा भी दिया है, जहां पीने के पानी के स्रोत प्रदूषित हो चुके हैं। इसके मुताबिक, 671 इलाके फ्लोराइड, 814 इलाके आर्सेनिक, 14079 इलाके आयरन, 9930 इलाके खारापन, 517 इलाके नाइट्रेट और 111 इलाके भारी धातु से प्रभावित हैं। सरकार के मुताबिक 209 जिलों के ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक और 491 जिलों में आयरन की मात्रा तय मानक से ज्यादा मिली है। जो चिंताजनक है।
शहरों से ज्यादा गंभीर समस्या गांवों में है। क्योंकि भारत की आधी से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है। यहां पीने के पानी का मुख्य स्रोत भी हैंडपंप, कुआं या नदी-तालाब होते हैं। यहां सीधे ग्राउंड वाटर से ही पानी आता है. इसके अलावा इस पानी को साफ करने का कोई तरीका भी गांवों में आमतौर पर नहीं होता है। लिहाजा, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं।
स्वास्थ्य के लिए कितने खतरनाक है ये पानी?
पीने के पानी में आर्सेनिक या आयरन की मात्रा ज्यादा होने से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं। हमें कैसे पता चलेगा कि इनकी मात्रा ज्यादा है और इससे बचने के उपाय क्या हैं।
सवाल- आर्सेनिक और आयरन होता क्या है, जिसकी मात्रा पानी में बढ़ने से वो जहरीला माना जा रहा है?
जवाब- आर्सेनिक- ये एक केमिकल एलिमेंट है। यह वातावरण में नेचुरल तरीके से मौजूद होता है। कुछ एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रियल एक्टिविटी के कारण आर्सेनिक ग्राउंड वाटर में घुल जाता है। फिर पानी के जरिए हमारे शरीर में पहुंचता है।
आयरन- आर्सेनिक की तरह आयरन भी एलिमेंट है। मानव शरीर के न्यूट्रिशन में आयरन एक जरूरी एलिमेंट है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपको हर रोज तय मानक के हिसाब से आयरन को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
सवाल- आर्सेनिक और आयरन शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा सकते हैं?
जवाब- डॉ. वी पी पांडे के मुताबिक, हमारा शरीर को बहुत कम मात्रा में आर्सेनिक चाहिए होता है, जो आसानी से बाहर (पेशाब के जरिए) निकल जाता है। अगर इसकी मात्रा ज्यादा हो गई तो ये शरीर में कई तरह के निगेटिव इफेक्ट्स पैदा कर सकता है।
वहीं आयरन हमारे शरीर में खून बनाने के लिए जरूरी फैक्टर है। इसके न होने से खून की कमी हो जाती है, लेकिन शरीर में तय मात्रा में ही आयरन का होना जरूरी है। जब लंबे समय तक ज्यादा आयरन शरीर में जाता है, तो यह जहर की तरह काम करने लगता है। इससे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
पानी में कैडमियम ज्यादा होने से किडनी, लिवर, हड्डी और ब्लड रिलेटेड बीमारियां हो सकती हैं।
पानी में क्रोमियम की मात्रा ज्यादा होने से छोटी आंत में हाइपरलेशिया डिफ्यूज और ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है।
पानी में यूरेनियम की ज्यादा होने पर किडनी से रिलेटेड बीमारियां और कैंसर होने की आशंका रहती है।
(सोर्स- University of California, Water Quality Association)
आमतौर पर माना जाता है कि एक व्यक्ति हर दिन औसतन 3 लीटर पानी पीता होगा। हालांकि, सरकारी दस्तावेजों की मानें तो हेल्दी रहने के लिए कम से कम 2 लीटर पानी रोज पीना चाहिए। अगर 2 लीटर पानी भी हर रोज पी रहे हैं, तो कुछ न कुछ मात्रा में जहर भी आ रहा है।
ग्राउंड वाटर में आर्सेनिक, आयरन, सीसा (लीड), कैडमियम, क्रोमियम और यूरेनियम की मात्रा तय मानक से ज्यादा होने का सीधा-सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।
जहरीला पानी पीने से रोकने के लिए क्या कर रही सरकार?
संसद में केंद्र सरकार ने बताया कि पानी राज्य का विषय है, इसलिए लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्यों की है। हालांकि, केंद्र सरकार भी पीने का साफ पानी मुहैया कराने के लिए कई योजनाएं चला रही है।
– 21 जुलाई को सरकार ने लोकसभा में बताया था कि अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन शुरू किया गया था. इसके तहत 2024 तक हर ग्रामीण परिवार को नल के जरिए पीने के पानी की आपूर्ति की जाएगी। सरकार के जवाब के मुताबिक, अभी तक देश के 19.15 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 9.81 करोड़ परिवारों के घर पर नल से पानी पहुंचाया जा रहा है।
इलके अलावा अक्टूबर 2021 में केंद्र सरकार की ओर से अमृत 2.0 योजना शुरू की गई है. इसके तहत अगले 5 साल में यानी 2026 तक सभी शहरों में नल से पानी पहुंचाने का टारगेट तय किया गया है।
शहर से ज्यादा गांव की हालत खराब
देश की आधे से ज्यादा आबादी गांवों में रहती हैं। यहां पीने के पानी का मुख्य जरिया ही ग्राउंड वाटर है। जैसे- हैंडपंप, कुआं, नदी-तालाब या बोरवेल।
सवाल उठता है कि शहर हो या गांव, जिन लोगों के घरों में ग्राउंड वाटर आता है या कुआं, हैंडपंप नदी-तालाब या बोरवेल से डायरेक्ट पानी आता है, उन्हें कैसे पता लगेगा कि उनके पानी में आयरन और आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा है या नहीं?
सवाल- पीने के पानी में आयरन और आर्सेनिक कितना होना चाहिए?
जवाब- ICMR ने पीने के पानी में ज्यादा से ज्यादा आयरन की मात्रा 1.0 PPB तय की है।
आर्सेनिक के लिए निर्देशित मानक या मैक्सिमम कंटामिनेशन लेवल (MLC) 10 PPB (WHO के अनुसार) है, जिसे ज्यादातर विकसित देश मानते हैं। विकासशील देश जिनमें भारत और बांग्लादेश भी शामिल हैं,व हां पीने वाले पानी में आर्सेनिक की मात्रा 50 PPB मानी गई है।
सवाल- अगर वाटर टेस्टिंग की रिपोर्ट में आपके घर का पानी पीने लायक नहीं बताया जाता है तो क्या होता है?
जवाब- अगर आपके घर के पानी में कोई भी मिनरल ज्यादा होता है और उसका ट्रीटमेंट नहीं किया जाता है, तो उस कुएं, हैंडपंप या बोरवेल को बंद कर दिया जाता है। फिर घर पर किसी और रिसोर्स के जरिए पानी लेने के सलाह दी जाती है। जैसे- नगरपालिका के नल का कनेक्शन लें।
सवाल- कई बार आंधी-तूफान या बाढ़ जैसी इमरजेंसी अचानक आ जाती है। ऐसे में हो सकता है कि हमारे नल में पानी न आए और कुएं, हैंडपंप या बोरवेल का पानी पीने लायक न हो। ऐसी सिचुएशन में बीमारी से बचने के लिए हम कैसे पानी पिएं।
जवाब- CDC के अनुसार, जब तक आपके घर में पीने लायक पानी का सप्लाई न हो तब तक…
खाना पकाने, पर्सनल हाइजीन और पीने के लिए बोतल बंद, उबला हुआ या किसी दूसरे घर से पानी मांगकर इस्तेमाल करें।
पानी को उबालने और ट्रीट करने के लिए अपने एरिया के स्टेट, लोकल और ट्राइबल हेल्थ डिपार्टमेंट की सिफारिशों को फॉलो करें।
जिस पानी में फ्यूल, रेडियोएक्टिव मटेरियल, केमिकल या कोई मिनरल ज्यादा है, उसे उबालने से भी कुछ नहीं होगा। इसलिए पानी का दूसरा सोर्स मिलने तक बोतलबंद या किसी दूसरी जगह से लेकर ही पानी पिएं।
अपने घर के अंदर और बाहर पानी सप्लाई के दूसरे सोर्स को तलाशें, जहां से पीने लायक पानी मिल सके।
कभी भी रेडिएटर या बॉयलर से पानी गर्म न करें।
सवाल- आजकल शहरों में बहुत से लोग वाटर प्यूरीफायर लगवाते हैं। क्या ये पीने के पानी में आयरन और आर्सेनिक की मात्रा को कंट्रोल कर सकता है?
जवाब- वाटर प्यूरीफायर कई तरह के होते हैं। आपको खरीदने से पहले इस बात को आइडेंटिफाई करना होगा कि कौन सा वाटर प्यूरीफायर आर्सेनिक और आयरन को कंट्रोल कर सकता है और कौन सा नहीं।
रिहायशी इलाकों में भी पीने के पानी के स्रोत प्रदूषित हो चुके हैं। सरकारी आंकड़ों की मानें तो 671 इलाके फ्लोराइड, 814 इलाके आर्सेनिक, 1,4079 इलाके आयरन, 9,930 इलाके खारापन, 517 इलाके नाइट्रेट और 111 इलाके भारी धातु से इंफेक्टेड हैं।
किसी इंसान को हेल्दी रहने के लिए हर दिन कम से कम 2 लीटर पानी पीना चाहिए। कोई भी इंसान बिना खाने के महीने भर तक जिंदा रह सकता है, लेकिन बिना पानी के सिर्फ एक हफ्ते तक ही। एक व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी में औसतन 75 हजार लीटर पानी पी जाता है।