जज को 50-60 मामलों का निपटारा करना है तो, वे कैसे न्याय दे सकते हैं?’ जजों से मशीन की तरह नहीं करवा सकते काम – किरेन रिजिजू

देश की अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ने को लेकर केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को एक सम्मेलन में बोलते समय कहा कि जजों पर बोझ कम करने और न्याय पाने के लिए लोगों के संघर्ष को दूर करने के बीच संतुलन बनाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि जजों को मशीन की तरह काम नहीं करवा सकते है। केंद्रीय मंत्री ने देश के अदालतों में दर्ज मुकदमों को लेकर कहा कि अलग-अलग अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या लगभग 4.8 करोड़ है। रिजिजू गुरुवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के सम्मेलन 'इंडियानाइजेशन ऑफ लीगल सिस्टम एंड एजुकेशन' में बोल रहे थे। दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन विश्वविद्यालय के विधि संकाय और राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने संयुक्त रूप से किया है। मंत्री ने कहा, 'एक तरफ हम आधुनिक कानूनी व्यवस्था की बात कर रहे हैं, जो जवाबदेही, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित है। दूसरी तरफ हम कह रहे हैं कि हमारे देश के आम लोगों को न्याय पाने में मुश्किल हो रही है।' कानून मंत्री ने कहा, 'जब मैंने कानून और न्याय मंत्री के रूप में 2021 में पदभार संभाला था, तो भारत की विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या 4.2 करोड़ से थोड़ी अधिक थी। एक साल, तीन महीने की अवधि में यह 4.8 करोड़ को पार करने वाली है। एक तरफ हमारे न्यायाधीश मुकदमों को निपटाने के लिए कितनी कोशिश रहे हैं और दूसरी तरफ न्याय पाने के लिए आम लोग कितना संघर्ष कर रहे हैं।' किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि देश में एक ओर हमारे न्यायाधीश मुकदमों को निपटाने के लिए कितनी कोशिश रहे हैं और दूसरी तरफ न्याय पाने के लिए आम लोग कितना संघर्ष कर रहे हैं। वहीं इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय किशन कौल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह शामिल हुए।

DrashtaNews

-जजों पर बोझ कम करने और न्याय पाने के लिए लोगों के संघर्ष को दूर करने के बीच संतुलन बनाने की वकालत

नई दिल्ली। देश की अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ने को लेकर केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को एक सम्मेलन में बोलते समय कहा कि जजों पर बोझ कम करने और न्याय पाने के लिए लोगों के संघर्ष को दूर करने के बीच संतुलन बनाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि जजों को मशीन की तरह काम नहीं करवा सकते है। केंद्रीय मंत्री ने देश के अदालतों में दर्ज मुकदमों को लेकर कहा कि अलग-अलग अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या लगभग 4.8 करोड़ है। 

रिजिजू गुरुवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के सम्मेलन ‘इंडियानाइजेशन ऑफ लीगल सिस्टम एंड एजुकेशन’ में बोल रहे थे। दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन विश्वविद्यालय के विधि संकाय और राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने संयुक्त रूप से किया है। मंत्री ने कहा, ‘एक तरफ हम आधुनिक कानूनी व्यवस्था की बात कर रहे हैं, जो जवाबदेही, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित है। दूसरी तरफ हम कह रहे हैं कि हमारे देश के आम लोगों को न्याय पाने में मुश्किल हो रही है।’

कानून मंत्री ने कहा, ‘जब मैंने कानून और न्याय मंत्री के रूप में 2021 में पदभार संभाला था, तो भारत की विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या 4.2 करोड़ से थोड़ी अधिक थी। एक साल, तीन महीने की अवधि में यह 4.8 करोड़ को पार करने वाली है। एक तरफ हमारे न्यायाधीश मुकदमों को निपटाने के लिए कितनी कोशिश रहे हैं और दूसरी तरफ न्याय पाने के लिए आम लोग कितना संघर्ष कर रहे हैं।’

किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि देश में एक ओर हमारे न्यायाधीश मुकदमों को निपटाने के लिए कितनी कोशिश रहे हैं और दूसरी तरफ न्याय पाने के लिए आम लोग कितना संघर्ष कर रहे हैं। वहीं इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय किशन कौल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह शामिल हुए। 

रिजिजू ने कहा, आगे कहा कि “हमें संतुलन बनाने की जरूरत है। हम जजों से मशीन की तरह काम नहीं करवा सकते। सुप्रीम कोर्ट  से लेकर निचली अदालत तक, भारत में हर जज 50-60 मामलों को देख रहा है। अगर जज को 50-60 मामलों का निपटारा करना है तो वे कैसे न्याय दे सकते हैं?’ 

Scroll to Top