RBI ने जताई आशंका, 500 रुपये के नकली नोटों में 37 प्रतिशत की वृद्धि ,कांग्रेस ने कहा – याद है न…

RBI की 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई और बैंकों ने 2024-25 के दौरान 5.88 करोड़ रुपये मूल्य के 1.18 लाख नकली 500 रुपये के नोट (नए डिजाइन) पकड़े, जबकि 2023-24 में 4.28 करोड़ रुपये मूल्य के 85,711 नकली नोट पकड़े जाएंगे।

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– याद है न – कहा गया था कि नोटबंदी से नकली मुद्रा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी ?”

नई दिल्ली /RBI : 16 दिसंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गयी नोटबंदी के बाद भी बाजार में नकली नोटों की बड़ी खेप में बढ़ोत्तरी हो रही है। उस समय कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री के इस निर्णय को एक घोटाला बताया था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी बढ़ रही नकली नोटों को लेकर आशंकित है। गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में पकड़े गए 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या वर्ष 2024-25 में 37.3 प्रतिशत बढ़ जाएगी।

कांग्रेस ने इस खबर का हवाला देते हुए शुक्रवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में 500 रुपये के नकली नोटों में 37 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई, जबकि नोटबंदी के समय दावा किया गया था कि नकली नोट हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे। मुख्य विपक्षी दल ने यह दावा भी किया कि इससे साबित होता है कि नोटबंदी का यह पूरा प्रयोग कितना फिजूल और निरर्थक था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मोदी सरकार के 11 साल में 6,36,992 करोड़ रुपये की बैंक जालसाजी हुई हैं, जो कि 416 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। नोटबंदी के बाद भी, पिछले 6 वर्षों में 500 रुपये के नक़ली नोट की संख्या 291 प्रतिशत बढ़ी। इस वर्ष यह सबसे अधिक है।” उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी जी, हमें नहीं मालूम की आपकी रगों-नसों में क्या-क्या है, पर इतना तय है कि आपकी सरकार की नसों में धोखाधड़ी और जालसाजी ज़रूर है।”

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘8 नवंबर 2016 की रात प्रधानमंत्री द्वारा बड़े धूमधाम से की गई नोटबंदी की घोषणा हमारी अर्थव्यवस्था के लिए पहला बड़ा झटका था और इस झटके से अर्थव्यवस्था आज तक पूरी तरह उबर नहीं पाई है। 2000 रुपये के नोट उसी समय नवंबर 2016 में, लाए गए थे। लेकिन जैसे इन्हें अचानक पेश किया गया था, वैसे ही 30 सितंबर 2023 को इन नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा भी अचानक कर दी गई।”
खरगे ने कहा, ‘‘अब तक 98.24 प्रतिशत ऐसे नोट वापस रिजर्व बैंक में जमा हो चुके हैं. इससे साफ साबित होता है कि यह पूरा प्रयोग कितना फिजूल और निरर्थक था। 2024-25 में नकली 500 रुपये के नोटों में 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। याद है न – कहा गया था कि नोटबंदी से नकली मुद्रा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी?”

क्या है RBI की रिपोर्ट में –

RBI की 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, RBI और बैंकों ने 2024-25 के दौरान 5.88 करोड़ रुपये मूल्य के 1.18 लाख नकली 500 रुपये के नोट (नए डिजाइन) पकड़े, जबकि 2023-24 में 4.28 करोड़ रुपये मूल्य के 85,711 नकली नोट पकड़े जाएंगे।

RBI ने भी बताया था कि 2024-25 में 200 रुपये के नकली नोटों की संख्या में 13.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी। 2024-25 में पकड़े गए 200 रुपये के कुल नकली नोटों की संख्या 32,660 होगी, जिनकी कीमत 65.32 लाख रुपये होगी, जबकि 2024-25 में पकड़े गए 28,672 नकली नोटों की कीमत 57.34 लाख रुपये होगी।

2024-25 के दौरान 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये और 100 रुपये के मूल्यवर्ग में पकड़े गए जाली नोटों में क्रमशः 32.3 प्रतिशत, 14 प्रतिशत, 21.8 प्रतिशत और 23 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। 2,000 रुपये के जाली नोटों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, जो 2024-25 में 86.52 प्रतिशत घटकर 3,508 नोट रह गई, जबकि 2023-24 में यह संख्या 26,035 थी।

अप्रैल 2024-मार्च 2025 में बैंकिंग प्रणाली में पकड़े गए जाली नोटों की कुल संख्या 2.17 लाख थी, जो 2023-24 में 2.22 लाख से कम है।
वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल जाली भारतीय मुद्रा नोटों (FICN) का अधिकांश हिस्सा (95.3 प्रतिशत) बैंकों द्वारा पकड़ा गया, जबकि शेष (4.7 प्रतिशत) RBI ने पकड़ा।

RBI की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2024-25 के दौरान प्रचलन में बैंक नोटों का मूल्य और मात्रा क्रमशः 6 प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत बढ़ जाएगी।
2024-25 में 500 रुपये के बैंक नोटों की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत थी, जो मूल्य के लिहाज से मामूली गिरावट थी। 500 रुपये के मूल्यवर्ग में 40.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जो प्रचलन में कुल बैंक नोटों में सबसे अधिक थी, उसके बाद 10 रुपये के मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की हिस्सेदारी 16.4 प्रतिशत थी। निम्न मूल्यवर्ग के बैंक नोट – 10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये – कुल मिलाकर प्रचलन में कुल बैंक नोटों का 31.7 प्रतिशत थे।

डिजिटल मुद्रा, आरबीआई का अंतर्राष्ट्रीय भुगतान के लिए नया प्रयास
केंद्रीय बैंक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों आधारों पर सीमा पार भुगतान के लिए सीबीडीसी पायलटों की खोज कर रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय निपटान के लिए डिजिटल रुपये का उपयोग करने की दिशा में एक कदम है।

केंद्रीय बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, “प्रचलन में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) या ई-रुपये का मूल्य मार्च 2025 के अंत तक बढ़कर 1,016 करोड़ रुपये हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 234 करोड़ रुपये था।”
सीबीडीसी को पहली बार नवंबर 2022 में थोक पायलट के साथ पेश किया गया था, जिसके बाद खुदरा पायलट भी शुरू किया गया। सीमा पार भुगतान को सरल बनाना सीबीडीसी के घोषित लाभों में से एक था, जिसे बिटकॉइन जैसी गैर-फ़िएट आभासी मुद्राओं से मुद्रा प्रणाली के लिए चुनौती का सामना करने के लिए पेश किया जाना था।

बयान में कहा गया है, ‘‘रिजर्व बैंक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय आधार पर सीमा पार भुगतान पर सीबीडीसी पायलट शुरू करने की संभावना तलाश रहा है ताकि समय, दक्षता और पारदर्शिता से संबंधित प्रमुख चुनौतियों पर काबू पाया जा सके।’’
रिपोर्ट में कहा गया है, “चुनिंदा देशों के साथ द्विपक्षीय सीमा पार सीबीडीसी पायलटों पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है, और रोडमैप, तकनीकी पहलुओं और उपयोग के मामलों को अंतिम रूप देने में प्रगति हुई है।”

 

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