नीति आयोग की मीटिंग में 26 राज्य पहुंचे, 10 राज्य नहीं हुए शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नीति आयोग की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल शामिल हुए। लेकिन बिहार और केरल समेत 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बैठक में शामिल नहीं हुए।

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नीति आयोग की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल शामिल हुए। लेकिन बिहार और केरल समेत 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बैठक में शामिल नहीं हुए।

नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने यह जानकारी दी। बैठक में गांवों में गरीबी को शून्य स्तर पर लाने यानी इससे पूरी तरह समाप्त करने के विचार पर गहन चर्चा हुई। सुब्रमण्यम ने कहा कि बैठक में शामिल नहीं होने वालों में बिहार, केरल के अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुदुचेरी हैं।

इसमें सारे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को न्योता भेजा जाता है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इस बैठक का 10 मुख्यमंत्रियों ने विरोध किया और शामिल नहीं हुए।  वहीं कई मुख्यमंत्री अन्य कारणों से बैठक में नहीं पहुंचे। इनमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन जैसे नेता शामिल हैं।

पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक हर साल होती आई है। इस बार की नीति आयोग की बैठक में देश के 10 मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा नहीं लिया। इसमें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के मुखिया नीतीश कुमार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, केरल के सीएम पिनरई विजयन और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारम्मैया, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुखू, पुडुचेरी के सीएम एन रंगासामी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन शामिल रहे।

इन राज्यों के CM ने भी नहीं लिया बैठक में हिस्सा

नीति आयोग की बैठक में विकसित भारत 2047 के विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चर्चा हुई. इस दौरान नीति आयोग की बैठक खत्म होने के बाद सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने प्रेस काफ्रेंस करके बताया कि आज की बैठक में 10 मुख्यमंत्री अनुपस्थित रहे और 26 मुख्यमंत्री इसमें शामिल हुए थे. हमारे पास केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुडुचेरी से अनुपस्थित थे।

ममता ने लगाया ये गंभीर आरोप

दरअसल, ममता बनर्जी शनिवार को नीति आयोग ‘गवर्निंग काउंसिल’ की बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर निकल आईं थी। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें भाषण के बीच में ही रोक दिया गया। ममता ने आरोप लगाया कि बैठक में उन्हें सिर्फ 5 मिनट बोलने का मौका दिया गया, और बात पूरी हुए बिना ही माइक बंद कर दिया गया।

नीति आयोग ने ममता बनर्जी के आरोपों पर दी सफाई

सुब्रमण्यम ने कहा, ‘यह बैठक इस बात के लिए थी कि राज्यों के विकास को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है और उसमें कैसे योगदान दिया जा सकता है। अगर उन्होंने भाग नहीं लिया तो यह उनका नुकसान है।’ सीईओ ने बैठक से बाहर चली गईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में कहा कि उन्होंने दोपहर के भोजन से पहले बोलने का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया।  हर सीएम को 7 मिनट का समय मिलता है। जिसमें स्क्रीन के ऊपर सिर्फ एक घड़ी होती है जो आपको समय बताती है।”

हालांकि राज्यों के नाम के हिसाब से उनकी बारी दोपहर में आती। सुब्रमण्यम ने कहा कि जब मुख्यमंत्री का समय समाप्त हुआ, तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बस माइक थपथपाया। इस पर उन्होंने बोलना बंद कर दिया और बाहर चली गईं। हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी बैठक में शामिल हुए। बिहार के बारे में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में विधानसभा सत्र में व्यस्त होने के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सके।

उन्होंने आगे कहा, “ममता बनर्जी ने अपनी बात रखी और हमने सम्मानपूर्वक उनकी बातें सुनीं और उन पर ध्यान दिया, जो एक मिनट में की होंगी। वहीं, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव बैठक में बने रहें. क्योंकि,ममता बनर्जी को कलकत्ता के लिए फ्लाइट पकड़नी थी।”

बैठक में  खास

बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन का जिक्र करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि वह चाहते हैं कि राज्य एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिए प्रतिस्पर्धा करें ताकि निवेश सभी राज्यों तक पहुंच सके। खासकर उन राज्यों तक जो कम सफल हैं। बैठक में आबादी के प्रबंधन और गरीबी को शून्य स्तर पर लाने यानी उसे पूरी तरह से समाप्त करने के विचार पर भी चर्चा हुई।

सुब्रमण्यम के अनुसार प्रधानमंत्री चाहते हैं कि राज्य जिलों को मजबूत बनाने पर अधिक खर्च करें ताकि वे विकास को गति दे सकें। प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के लिए प्राथमिकता के आधार पर गरीबी को खत्म करने का सुझाव दिया। नीति आयोग के सीईओ के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘हमें गरीबी से व्यक्तिगत आधार पर निपटने की जरूरत है। सुब्रमण्यम के अनुसार उन्होंने कहा है कि आकलन के बाद गांवों को ‘गरीबी से मुक्त’ गांव घोषित किया जा सकता है।

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