क्या होगा, यदि अमित शाह की बात वोटर मान लेते हैं तो ?

DrashtaNewsप्रश्न-3 -अमित शाह बोले, 2022 में यूपी के माफियाओं को चुन-चुनकर खत्म करने का चुनाव  यदि अमित शाह की बात […]

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प्रश्न-3

रविकांत सिंह ‘द्रष्टा’

-अमित शाह बोले, 2022 में यूपी के माफियाओं को चुन-चुनकर खत्म करने का चुनाव

 यदि अमित शाह की बात वोटर मान लेते हैं तो, बीजेपी के 57 में से 29 (39%) प्रत्याशियों को अपराध के आरोपी मानकर जनता वोट नहीं करेगी। इसका परिणाम होगा कि औसतन 400 में 160 सीट तो यू   ही बीजेपी खो देगी।

यूपी की राजनीति में अपराधियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त होता रहा है। यूपी विधान सभा चुनाव 2022 में भी राजनीतिक दलों ने अनैतिक व्यवहार का परिचय देते हुए बड़ी बेदर्दी से जनता की भावनाओं को आहत करते हुए अपराधी माफियाओं को टिकट दिया है।

3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माननीयों के खिलाफ कोर्ट में करीब 5000 मामले लंबित हैं और 1800 से अधिक पांच साल से भी पुराने मामले हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अधिक से अधिक लोग संसद और राज्य विधानसभाओं में पहुंच रहे हैं। यह अत्यधिक आवश्यक है कि लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाए जाएं।’ दूसरी ओर आज ही के दिन चुनाव प्रचार करते हुए केन्द्रिय गृहमंत्री अमित शाह चुनावी सभा को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि 2022 में यूपी के माफियाओं को चुन-चुनकर खत्म करने का चुनाव है। अब संयोग ये है कि अपराधियों की एक भारी तादात चुनावी मैदान में कूद चुकी है।

‘द्रष्टा’ भी इस संयोग को चुनावी चश्में से ही देख रहा है। राजनीति में माफिया पहले भी स्वीकार किये जाते थे और अब भी जनता स्वीकार करती है। बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमने वाले नेता और माफिया का गठजोड़, सत्ता की मजबूत कड़ी है। स्वयं गृहमंत्री अमित शाह घोर अपराधियों की सूचि में शामिल रह चुके हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल 78 मंत्रियों में से 42 फीसदी पर आपराधिक केस हैं। कई मंत्रियों का नाम हत्या जैसे गंभीर अपराधों में शामिल हैं। लगभग 24, मतलब 31 फीसदी मंत्री गंभीर आपराधिक केसों का सामना कर रहे हैं। सबसे कम आयु के गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक पर हत्या का मुकदमा दर्ज है। उनके सहयोगी गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ भी हत्या के केस में फंसे हैं और उनका बेटा भी किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर मार डालने का जघन्य अपराध का आरोपी बन चुका है। जिसे बचाने के लिए केन्द्र सरकार अब भी जद्दोजहद कर रही है। देश में अपराधी जनप्रतिनिधियों की एक लम्बी फेहरिस्त है जिनकी यूपी चुनाव में चर्चा जोरों पर है।

     गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’

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जनप्रतिनिधियों की रिपोर्टिंग करने वाली संस्था उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के आंकड़ों पर गौर किया जाय तो, उत्तर प्रदेश के 45 विधायकों पर एमपी -एमएलए कोर्ट आरोप तय कर चुका है। यूपी विधानसभा के पहले फेज में 623 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें से 615 उम्मीदवारों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया गया है। 615 में से 156 यानि 25 फीसद ने खुद पर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। ये सभी पहले फेज के 58 निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से 20% उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। जबकि महिलाओं से संबंधित अपराध घोषित करने वाले 12 लोग हैं। इनमें से एक उम्मीदवार ने अपने ऊपर बलात्कार का मामला घोषित किया है। पहले फेज के चुनाव में 615 प्रत्याशियों में 280 करोड़पति है। जिसमें से सबसे ज्यादा संख्या भाजपा प्रत्याशियों की है। भाजपा माफियाओं को सलाखों के पीछे पहुंचाने में कितनी सजग है! घोटालों की बात की जाए, तो योगी शासन काल में सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में हुए कुम्भ मेला में घोटाले का पता चला था। जिसमें बताया गया कि कुंभ मेले के लिए 2743.60 करोड़ रुपए की राशि भुगतान हुए थें। जिसमें जम कर घोटाला हुआ।

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बीजेपी के कुल 312 विधायकों में से 114 के ऊपर अपराधिक मुकदमे
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिर्फोम्स (एडीआर) के मुताबिक यूपी में बीजेपी के कुल 312 विधायकों में से 114 के ऊपर अपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। यूपी सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सहित 20 मंत्री ऐसे है जिनके ऊपर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। बीजेपी के कुल 312 विधायकों में से 114 के ऊपर अपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 3 मामले दर्ज हैं, जिनमें 7 गंभीर धाराओं और 11 आईपीसी की अन्य धाराओं में हैं। डिप्टी सीएम केशव मौर्य के ऊपर 11 मामले दर्ज हैं। इन मामलों में 15 संगीन धाराएं लगी हैं और 38 आईपीसी की अन्य धाराओं में मामले दर्ज हैं। ऐसे में न्याय की बात करना बेमानी है।

पहले फेज में 615 प्रत्याशियों में 115 प्रत्याशी अपराधी प्रवृत्ति के हैं। 20 प्रतिशत प्रत्याशियों पर गंभीर आरोप हैं। विधान सभा चुनाव 2022 की पहली सूची में सपा में सबसे ज्यादा अपराधी प्रवृत्ति के प्रत्याशी हैं। सपा के 28 में से 21 (61%) प्रत्याशी अपराधी है। आरएलडी के पहले फेज में 29 में से 17 (52%) प्रत्याशी अपराधी प्रवृत्ति के हैं। बीएसपी के 56 में से 19 (29%) प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। आम आदमी पार्टी के 52 में से 15 (10%) प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कांग्रेस के 58 में से 21 (19%) प्रत्याशी अपराधी हैं।

आपराधिक छवि के प्रमुख दस प्रत्याशी

नाम- विधानसभा सीट का नाम- दल
योगेश वर्मा-हस्तिनापुर सुरक्षित, मेरठ- सपा
मनिंदर पाल-सिवाल खास, मेरठ- भाजपा
अतुल प्रधान-सरधना, मेरठ- सपा
नाहिद हसन-कैराना, शामली-सपा
अमित जानी-सिवालखास, मेरठ-एआईएफबी
मोहम्मद सलमान इम्तियाज-अलीगढ़-कांग्रेस
असलम अली-धौलाना, हापुड़-सपा
रामनाथ सिंह सिकरवार-खेरागढ़, आगरा-कांग्रेस
बाबू लाल-फतेहपुर सिकरी, आगरा-भाजपा
अमित अग्रवाल-मेरठ कैंट-भाजपा

बीजेपी के 57 में से 29 (39%) प्रत्याशियों पर अपराध के केस दर्ज हैं। यूपी की राजनीति में अपराधियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त होता रहा है। यूपी विधान सभा चुनाव 2022 में भी राजनीतिक दलों ने अनैतिक व्यवहार का परिचय देते हुए बड़ी बेदर्दी से जनता की भावनाओं को आहत करते हुए अपराधी माफियाओं को टिकट दिया है। और बड़ी बेशर्मी से जनता के बीच अपराधियों को न चुनने की बात भी जोर-शोर से कह रहे हैं। एक चुनाव प्रचार के दौरान केन्द्रिय गृहमंत्री अमित शाह चुनावी सभा को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि 2022 में यूपी के माफियाओं को चुन-चुनकर खत्म करने का चुनाव है। यदि अमित शाह की बात वोटर मान लेते हैं तो, बीजेपी के 57 में से 29 (39%) प्रत्याशियों को अपराध के आरोपी मानकर जनता वोट नहीं करेगी। इसका परिणाम होगा कि औसतन 400 में 160 सीट तो यू ही बीजेपी खो देगी।

क्रमश: जारी है…..

…………..(व्याकरण की त्रुटि के लिए द्रष्टा क्षमाप्रार्थी है ) drashtainfo@gmail.com

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